Unfortunate: जिला अस्पताल में डाक्टर को ही नहीं मिली व्हीलचेयर और स्ट्रेचर

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Unfortunate: जिला अस्पताल में डाक्टर को ही नहीं मिली व्हीलचेयर और स्ट्रेचर

●डॉक्टर की मां को नहीं मिला स्ट्रेचर न व्हीलचेयर…

●अस्पताल में पैदल अपनी मां को लेकर घूमते रहे डॉ. लखन तिवारी…

●जिला अस्पताल के पूर्व सिविविल सर्जन रहे डॉ. लखन तिवारी…

●कहा यह जिला अस्पताल का दुर्भाग्य यहां डॉक्टर को ही नहीं मिल रही व्हीलचेयर और स्ट्रेचर…

छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

छतरपुर – छतरपुर जिला अस्पताल के हाल बेहाल हैं यहां की व्यवस्थाएं दिनबदिन चौपट होतीं जा रहीं हैं।
यहाँ पर शुरुआती और जमीनी बेसिक सुविधाओं का टोटा पड़ा हुआ है। यहां व्हीलचेयर, स्ट्रेचर, एम्बुलेंस जरूरत पड़ने पर उपलब्ध नहीं हो पातीं जबकि इन्हें तत्काल मुहैया होना चाहिये। यहां सब सुचारू व्यवस्थाएं सिर्फ कागजों में चल रहा है।

Unfortunate (mediawala)
हकीक़त में ये है जो हम आपको बता और दिखा रहे हैं। यह महज़ बानगी है। मामले रोजाना कई और बहुत से निकलते हैं जो पटल पर आ नहीं पाते।

●जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं की खुली पोल…
छतरपुर जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं की पोल खोलता एक नया और बड़ा वाकया सामने आया है। जहां पदस्थ डॉ. लखन तिवारी (चाईल्ड स्पेशलिस्ट) जो कि हाल पूर्व में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भी रहे हैं। आज यहां उन्हीं की मां को ही व्हीलचेयर और स्ट्रेचर नहीं मिला वह अपनी मां के लिए स्वयं परेशान होते रहे।

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जिला अस्पताल में डाक्टर को ही नहीं मिली व्हीलचेयर और स्ट्रेचर

●यह जिला अस्पताल का दुर्भाग्य…
क्षुब्ध होकर डॉ. लखन तिवारी की मानें यो यह जिला अस्पताल का दुर्भाग्य है कि मैं इस अस्पताल में सीनियर डॉक्टर हूँ और सिविल सर्जन भी रहा हूँ। आज जब मुझे अपनी मां के ईलाज के लिए एम्बुलेंस की आवश्यकता थी तो मेरे कॉल करने पर भी वह नहीं मिली।

●1 घंटे किया एम्बुलेंस और वाहन का इंतज़ार…
डॉ.लखन तिवारी की मॉनें तो मुझे 1 घंटे तक एम्बुलेंस का इंतज़ार करना पड़ा इतना ही नहीं मुझे 1 घंटे तक लटकाये रखा कि एम्बुलेंस नहीं है, कोई अन्य वाहन भी नहीं है, अगर है भी तो ड्राइवर नहीं हैं, ड्राईवर फोन बंद किये और गायब हैं।

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●पर्सनल वाहन से लेकर आये अस्पताल…
परेशान हो मैं पर्सनल वाहन से मां को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा यो यहां मुझे न तो स्ट्रेचर मिला, न व्हीलचेयर मिली और न ही वार्डबॉय मिला मैं खुद अपनी को पैदल लेकर घूम रहा हूँ।

बाईट – डॉ. लखन तिवारी (वर्तमान में जिला अस्पताल में पदस्थ और पूर्व सिविल सर्जन)

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि वर्तमान में जिला अस्पताल में पदस्थ सीनियर डॉक्टर और पूर्व में सिविल सर्जन रहे डॉक्टर लखन तिवारी (चाईल्ड स्पेशलिस्ट) को आवश्यकता पड़ने पर व्हीलचेयर, स्ट्रेचर, और वार्डबॉय मुहैया नहीं हो सके तो आम लोगों की बिसात ही क्या आखिर उनका क्या होता होगा…?

●जिम्मेदारा नहीं निभा रहे जिम्मेदारी…
मामले से आप खुद ही समझ गए होंगे कि माज़रा है जिम्मेदार किस तरह से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। हकीकत और यथार्थ में नहीं सिर्फ कागजों में।