Union Carbide Waste Disposal : यूनियन कार्बाइड कचरा निष्पादन के बारे में लोगों को जागृत करने के प्रयास, कमिश्नर दीपक सिंह ने इसकी जरूरत बताई! 

डॉक्टर्स और विज्ञान विशेषज्ञों के साथ जनसंवाद कार्यक्रम में कमिश्नर और धार कलेक्टर का संबोधन!

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Union Carbide Waste Disposal : यूनियन कार्बाइड कचरा निष्पादन के बारे में लोगों को जागृत करने के प्रयास, कमिश्नर दीपक सिंह ने इसकी जरूरत बताई! 

Indore : पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरा निष्पादन के संबंध में स्थानीय लोगों में कई तरह की गलतफहमी है। प्रशासन जनजागृति के जरिए इसे दूर करने का लागतार प्रयास कर रहा है। इस सिलसिले में जनसंवादों का सिलसिला भी जारी है। इस क्रम में मंगलवार को अरबिंदो हॉस्पिटल के सभाकक्ष में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम संभाग आयुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में हुआ। इस कार्यक्रम में डॉक्टर्स, अन्य स्टाफ, विज्ञान विषय के प्रोफेसर तथा विशेषज्ञ शामिल हुए।

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कार्यक्रम में धार के कलेक्टर प्रियंक मिश्रा, अपर कलेक्टर गौरव बैनल, क्षेत्रीय प्रबंधक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड श्री एसएन द्विवेदी, अरबिंदो अस्पताल के डॉ विनोद भंडारी, मेडिकल कॉलेज इंदौर के पूर्व डीन डॉ संजय दीक्षित, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ पटेल सहित अन्य निजी चिकित्सालयों के डॉक्टर्स मौजूद थे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संभाग आयुक्त दीपक ‍सिंह ने कहा कि यूनियन काबाईड कचरा निष्पादन के संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। समाज के हर वर्ग को यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया बतायी जा रही है। उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया जा रहा है। वैज्ञानिक और कानूनी तथ्यों से अवगत कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कचरा निष्पादन की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है।

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कार्यक्रम में धार कलेक्टर प्रियंक मिश्र ने यूनियन कार्बाइड कचरा निष्पादन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित लोगों की जिज्ञासाओं का संतुष्टि के साथ समाधान भी किया। उन्होंने बताया कि समाज के हर वर्ग के साथ जनसंवाद के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें उन्हें पूरी प्रक्रिया समझायी जा रही है। उन्होंने कहा कि कचरा निष्पादन के संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए समाज के प्रबुद्धजनों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कचरा निष्पादन की पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक आधार पर है। कचरा निष्पादन में पूरी सावधानी एवं सुरक्षा बरती जायेगी। मानव जीवन के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जायेगा। पर्यावरण की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान रहेगा।

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जनसंवाद कार्यक्रम में दी गई महत्वपूर्ण जानकारी 

● यूनियन कार्बाइड का कचरा क्या है : भोपाल गैस त्रासदी का कचरा पेस्टीसाईड का उत्पादन करने वाली यूनियन कॉर्बाइड फैक्ट्री के परिसर में रखा हुआ अवशेष है। इस कचरे में रासायनिक अवशेष हैं, जिसमें मुख्य रूप से 5 प्रकार के कचरे हैं।

(1) परिसर की मिट्टी

(2) रिएक्टर अवशेष

(3) सेविन (कीटनाशक) अवशेष

(4) नेफ्थाल अवशेष

(5) सेमीप्रोसेस्ड अवशेष।

भोपाल गैस त्रासदी लगभग 40 साल पहले 1984 में घटित हुई थी। वैज्ञानिक प्रमाण अनुसार सेविन और नेफ्थॉल दोनों रसायनों का प्रभाव अब लगभग नगण्य हो चुका है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वर्तमान में इस कचरे में मिथाइल-आइसोसाईनेट गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी प्रकार के रेडियोएक्टिव कण भी नहीं है।

 

● इस कचरे को जलाना क्यों आवश्यक : किसी भी प्रकार के पेस्टीसाईड उद्योग से उत्पन्न होने वाला कचरा ‘परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ठ (प्रबंधन एवं सीमापार संचलन) नियम 2016’ के अनुसूची-1 के अनुसार खतरनाक श्रेणी में आता है। यूनियन कार्बाइड का कचरा भी इसी श्रेणी में आता है। इसलिए इस कचरे का निष्पादन उक्त नियम में दी गई विधि तथा वैज्ञानिक तरीके से किया जाना अनिवार्य है। क्योंकि, उक्त कचरे में कार्बोनिक पदार्थ हैं, इसलिए उन्हें भस्मक (इंसिनेटर) में जलाना आवश्यक है।

 

● पीथमपुर में ही कचरा क्यों जलाया जा रहा : भारत सरकार द्वारा बनाए नियम ‘परिसंकटमय अपशिष्ठ (प्रबंधन एवं हथालन) नियम 1989’ के अंतर्गत प्रत्येक राज्य को विभिन्न उद्योगों/संस्थानों से उत्पन्न होने वाले परिसंकटमय/ खतरनाक कचरे के निष्पादन (डिस्पोजल) हेतु एक ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्पोजल फैसिलिटी का निर्माण करना होता है। मध्य प्रदेश में पीथमपुर में ही सबसे ज्यादा उद्योग होने के कारण और अपशिष्ठ की मात्रा भी अधिक होने की वजह से उक्त साईट का निर्माण पीथमपुर में किया गया है, जो Pithampur Industrial Waste Management Pvt. Ltd के नाम से संचालित है।

यह भी जानना जरूरी है कि राज्य में केवल एक ही डिस्पोजल साईट पीथमपुर में है। इस कारण से अपशिष्ठ का निष्पादन पीथमपुर में किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा निर्देश दिए हैं।

 

● पीथमपुर प्लांट में कचरा जलाने के लिए कैसी सुविधाएं : प्लांट में अंतरराष्ट्रीय मानक का भस्मक और वैज्ञानिक पद्धति से निर्मित सिक्योर्ड लैंडफिल (Landfill) की व्यवस्था है। इसका प्रमाण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी स्वीकार किया है।

 

कचरे को वैज्ञानिक रूप से जलाने की व्यवस्था

भस्मक में प्राथमिक दहन कक्ष, द्वितीय दहन कक्ष और गैसों के ट्रीटमेंट के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाएं स्थापित हैं। कचरे को प्राथमिक दहन कक्ष में 850 डिग्री तापमान पर जलाया जाएगा, जिससे कचरे की राख नीचे चेंबर में एकत्रित होगी।

फ्लू गैस आगे द्वितीयक दहन कक्ष में जाएगी, जहां का तापमान 1200 डिग्री रहता है, वहां गैस में जो भी बचे हुए पदार्थ होंगे वे पूर्णतः जल जायेंगे। इसके पश्चात आगे मात्र फ्लू गैस जायेगी, जिसके उपचार के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण अथवा गैस के उपचार के लिए सारी व्यवस्थाएं हैं। गैस के उपचार के लिए उपकरण स्प्रे ड्रॉयर, मल्टी साँयकलॉन, डॉय स्क्रबर, बैग फिल्टर, वेट स्क्रबर मौजूद है। इन उपकरणों से उपचार के बाद फ्लू गैस 35 मीटर ऊंची चिमनी के माध्यम से उत्सर्जित होगी। चिमनी से उत्सर्जित होने वाली फ्लू गैस में गैस अथवा ठोस कण निर्धारित मानकसीमा के भीतर रहते हैं।

फ्लू गैस से होने वाले उत्सर्जन के निरन्तर मापन के लिए ऑनलाईन उत्सर्जन मॉनिटरिंग सिस्टम भी स्थापित हैं, जो केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास उपलब्ध रहते हैं तथा प्लांट के मुख्य द्वार पर लगे डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित होते हैं। इस प्रकार भस्मक में यूनियन कॉर्बाईड के अपशिष्ठ जलाने हेतु पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है।

 

2015 में सैंपल कचरा जलाने से क्या हुआ

वर्ष 2015 में न्यायालय के निर्देश पर भोपाल गैस त्रासदी के 10 टन कचरे को पीथमपुर प्लांट में सैंपल के रूप में लाकर जलाया गया था। जिससे यह पता चल सके कि क्या यह प्लांट कचरे को जलाने के लिए उपयुक्त है और जलाने की प्रक्रिया में किस प्रकार की गैस / पदार्थ निकलेंगे? सैंपल कचरे की रिपोर्ट समाधानकारक होने के कारण ही न्यायालय ने पूरे कचरे को पीथमपुर प्लांट में जलाने का निर्देश दिया।

 

कचरा जलाने की मॉनिटरिंग ऐसे होगी, लोगों को बताया जाएगा

कचरा जलाने की मॉनिटरिंग केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाएगी। चिमनी से निकलने वाली फ्लू गैसेस की जांच के लिए ऑनलाईन सतत उत्सर्जन मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित है, जिससे प्रदूषकों की जांच ऑनलाईन होगी। प्लांट के आसपास पूरे क्षेत्र में भी जल वायु की निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी। प्लांट परिसर के मुख्य गेट के पास डिस्प्ले बोर्ड स्थापित है, जिसमें अपशिष्ठों की मात्रा एवं दहन प्रक्रिया से उत्सर्जित होने वाली गैसों/पदार्थ की जानकारी प्रदर्शित होगी। प्लांट के मुख्य गेट पर लगे ऑनलाईन डिस्प्ले बोर्ड को लोजी भी देख सकेंगे।

 

कचरा जलाने का असर क्या बाद में होना संभव, मॉनिटरिंग कैसे

कचरा जलाने का जलवायु और आमजन के स्वास्थ्य पर कई वर्षों बाद भी कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध हैं। इसको सुनिश्चित करने के लिए कचरा जलाने के बाद भी निरंतर रूप से जल वायु की गुणवत्ता जांच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाएगी। यह जानकारी लोगों से भी साझा की जाएगी।