केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अवैध ई-फार्मेसी कम्पनियों को दिये नोटिस

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट संगठन ने उठाई थी मांग

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वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल की ख़ास ख़बर
नई दिल्ली। आईओसीडी केंद्र सरकारऔर स्वास्थ्य मंत्रालय को लगातार आगाह कर रहा था कि कतिपय कॉरपोरेट हाउसों द्वारा ई फार्मेसी माध्यम से इंटरनेट कोरियर ट्रांसपोर्ट से अवैध रूप से दवाओं का व्यापार किया जा रहा है। इसके चलते देश के दवा व्यापार से जुड़े और आश्रितों पर गंभीर समस्या खड़ी हो गई है।

यह नियम है भारत के प्रचलित ड्रग अधिनियम 1940, फार्मसी अधिनियम और अन्य दवाओं से संबंधित नियम, आदेश, आचार संहिता, जनता के स्वास्थ्य के लिए.खतरनाक इंटरनेट पर दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देते हैं और छूट और योजनाओं के  साथ विज्ञापन द्वारा दवा बिक्री को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं देते हैं।

दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय के आदेश, सभी वैध अपीलों, अनुरोधों, बैठकों के बावजूद, कॉर्पोरेट घराने अवैध रूप से वित्तीय शक्ति के साथ पीड़ीटरी या गैर प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य के साथ दवा व्यवसाय में लिप्त थे।

इससे भी खतरनाक यह था कि जब से ई-फार्मसियों नेदेश में राज्यों के सीमा पार से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का संचालन शुरू किया है, नकली दवाओं में अचानक वृद्धि शुरू हो गई है।

दवा व्यापारियों की पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखला यानी कंपनी सी एंड एफ डिपो को खुदरा फार्मेसी के लिएअधिकृत करने के लिए कॉर्पोरेट संस्थाओं द्वारा तोड़ दिया गया था और आपूर्ति चैनल में डुप्लिकेट दवाओं को धकेलने के लिए आपूर्ति पाइपलाइन को खोखला बना दिया था।

दूसरा ऑनलाइन ऐप नारकोटिक ड्रग्स, प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन किट, एंटीबायोटिक्स, सेडेटिव ड्रग्स तक आसान पहुंच बन गया और मरीजों को सीधे इसको अंतरराज्यीय आपूर्ति, राज्य एफडीए द्वारा ट्रेस.और ट्रैक करना बहुत कठिन हो गया।

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AIOCD ने हमेशा ध्यान आकर्षित किया है। ये सभी बहुत ज्वलंत मुद्दे हैं कि ये अवैध ई-फार्मसी अपने पोर्टल पर अपना स्वास्थ्य डेटा बना रहे हैं जो यह सब जनता के व्यक्तिगत स्वास्थ्य डेटा को उजागर करने के लिए एक खतरा भी था यह प्रधानमंत्री की एनएचआरएम ( NHRM) स्वास्थ्य डेटा नीति के खिलाफ भी है।

बड़े बड़े कॉरपोरेट्स द्वारा अपनाई जा रहीं इन अनैतिक प्रथाओं से छोटे स्टैंड अलोन-फार्मसी के बीच एक जीवन मरण का प्रश्न बन चुका है जो दवा नियमों का पालन कर रहे हैं और दूसरी ओर कॉर्पोरेट घरानों छोटे-छोटे फार्मसी को पीछे धकेलते हुए, और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए गैर-प्रतिस्पर्धात्मक या प्रीडिटरी मूल्य निर्धारण के साथ प्रतिस्पर्धा करके अनैतिक
छूट देकर और व्यापार के लिए उपलब्ध मार्जिन से अधिक मार्जिन प्रदान कर ई-फार्मसी का कार्य कर रहे हैं।

एआईओसीडी के पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री, भारत सरकार श्री मनसुख  मंडाविया से मुलाकात की। एआईओसीडी
अध्यक्ष श्री.जे एस शिंदे महासचिव राजीव सिंघल एवं प्रतिनिधि मंडल ने कॉर्पोरेट घरानों समर्थित खुदरा श्रृंखलाओं और
ई-फार्मेसी की अवैधता के संदर्भ में बहुत दृढ़ता से दवा व्यापार समस्याओं और चिंताओं को स्पष्ट किया।

AIOCD संगठन में 12 लाख से अधिक सदस्य हैं, उनके ऊपर आश्रित परिवार और कर्मचारी आदि की कुल  लगभग 4 करोड़ से अधिक आश्रित हैं इनका इन सभी बड़े बड़े कारपोरेट के गैर-प्रतिस्पर्धात्मक या प्रीडिटरी  मूल्य निर्धारण और
अवैध ई-फार्मसियों के कारण उनके लिए व्यवसाय में बने रहना मुश्किल कार्य होगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने व्यापार की विभिन्न समस्याओं और चिंताओं की गंभीरता को ध्यान से सुनाऔर समझा तथा अवैध रूप से दवा बेचने वाली संस्थाओं के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया।

डीसीजीआई ने उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार अवैध ऑनलाइन फ़ार्मेसी को शोकाज नोटिस जारी किया है, ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉ वी जी सोमानी के हस्ताक्षर से 8 फरवरी को जारी नोटिस में नई दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला भी स्पष्ट उल्लेख किया है।

एआईओसीडी संगठन इस फैसले का स्वागत करता है और कॉर्पोरेट घरानों द्वारा समर्थित ई-फार्मसियों.द्वारा छोटे दवा
व्यवसायियों के संचालकों व परिवाजनों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने वाली मूल्य निर्धारण नीति के खिलाफ प्रभावी
कार्रवाई की उम्मीद करता है।

एआईओसीडी संगठन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डीसीजीआई एवं राज्य एफडीए द्वारा आगे की कार्रवाई पर सदेव सतर्क रहेगा।

मंदसौर नीमच रतलाम सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों के केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की है कि नोटिस के परिपालन में प्रभावी कार्यवाही होगी और लाखों छोटे दवा व्यापारियों को राहत मिलेगी।