केन्द्रीय मंत्री ने नाराज होकर रुकवाई IPS की ज्वॉईनिंग, ग्वालियर IG को लेकर बनी असमंजस की स्थिति

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भोपाल। प्रदेश सरकार को ग्वालियर आईजी की नियुक्ति इसी इलाके से आने वाले एक केन्द्रीय मंत्री से पूछकर नहीं करना भारी पड़ गया है। प्रदेश सरकार के सामने केन्द्रीय मंत्री ने न सिर्फ नाराजगी जताई है बल्कि नवनियुक्त आईजी की ज्वाईनिंग रुकवाने के लिए कहा है। प्रदेश सरकार ने भी केन्द्रीय मंत्री की नाराजगी देखते हुए नवनियुक्त आईजी को थोड़ा इंतजार करने के निर्देश दिए हैं। वहीं ग्वालियर आईजी का प्रभार फिलहाल वहां डीआईजी को दिया गया है। अब ऐसे में असमंजस की स्थिति बन गई है कि यह नियुक्ति बरकरार रहेगी या सरकार नए आईजी की नियुक्ति करेगी। हालांकि इस बीच कुछ आईपीएस अधिकारियों ने यह नियुक्ति निरस्त मानते हुए ग्वालियर आईजी बनने के लिए लॉबिंग करनी शुरू कर दी है।

 

दरअसल ग्वालियर आईजी अविनाश शर्मा 31 दिसंबर को रिटायर हुए थे। उनके स्थान पर प्रदेश सरकार ने 1992 बैच के एडीजी स्तर के आईपीएस अधिकारी डी श्रीनिवास वर्मा को पदस्थ किया था। इसकी बात की सूचना अगले दिन जब केन्द्रीय मंत्री को लगी तो उन्होंनें उनसे बिना पूछे इतने महत्वपूर्ण पद पर किसी की नियुक्ति करने को लेकर जमकर नाराजगी जताई। साथ ही तत्काल उन्हें ज्वाईन करने से रोकने के निर्देश दिए गए। केन्द्रीय मंत्री के सख्त तेवर देख वर्मा को फिलहाल राज्य सरकार ने इंतजार करने के निर्देश दिए हैं। जबकि ग्वालियर आईजी का प्रभार डीआईजी राजेश हिंगणकर को दिया गया है। हिंगणकर का तबादला भी इंदौर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के तौर पर हुआ है। लेकिन नए आईजी के ज्वाईन करने तक उन्हें भी रिलीव होने से रोक दिया गया है। खास बात यह है कि वर्मा के साथ तबादला सूची में 24 अधिकारियों का नाम था। वर्मा के अलावा शेष सभी अधिकारियों की ज्वाईनिंग हो चुकी है।

 

*वर्मा के स्थान पर राजपूत कर चुके हैं ज्वाईन*

 

वर्मा तबादले के पहले गृह विभाग में सचिव के तौर पर पदस्थ थे। उनका तबादला ग्वालियर करने के साथ ही उनके स्थान पर 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी गौरव राजपूत को सरकार ने गृह विभाग में सचिव बनाया था। तबादला होने के तत्काल बाद वर्मा रिलीव हो गए थे। साथ ही उनके स्थान पर राजपूत ने ज्वाईन भी कर लिया है। ऐसे में वर्मा के पास फिलहाल कोई चार्ज नहीं है। इस वजह से वे न मंत्रालय आ रहे हैं और न पुलिस मुख्यालय जा रहे हैं।

*चयन की यह थी वजह*

दरअसल ग्वालियर में राजनीतिक हस्तक्षेप सबसे ज्यादा है। दो केन्द्रीय मंत्रियों के साथ ही राज्य के करीब एक दर्जन मंत्री ग्वालियर संभाग से सीधे संबंध रखते हैं। पुराने आईजी की कार्यशैली की वजह से नए आईजी या एडीजी को इस इलाके में काम करने में जमकर मशक्कत करनी पड़ेगी। ऐसे में सरकार के पास वर्मा के तौर पर एक बेहतर विकल्प था। वर्मा अपनी कार्यशैली की वजह से पुलिस मुख्यालय से लेकर सरकार तक की पसंद माने जाते हैं। अपने अच्छे व्यवहार के साथ ही वे राजनीति से दूर होकर काम करने के लिए जाने जाते रहे हैं। राजनितिक से प्रशासनिक विवादों से भी वे हमेशा दूर रहे हैं। इसी वजह से सरकार ने उन्हें ग्वालियर जोन की कमान सौंपी थी। उनकी छवि भी ईमानदार और शांत अधिकारियों वाली मानी जाती है।