

Unique Display In Public Hearing: सरकारी ज़मीन बचाने के लिए ‘केले के पत्ते’ लपेटे पहुंचा पन्नालाल सेन जनसुनवाई में
जनसुनवाई में अनोखा प्रदर्शन बना चर्चा का केंद्र
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर। जिला कलेक्टर कार्यालय में मंगलवार की जनसुनवाई में मंगलवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब दलोदा तहसील के लाला खेड़ा गांव निवासी पन्नालाल सेन पूरे शरीर पर केले के पत्ते लपेटकर ओर गले में दिये गये आवेदनों की माला पहने अपनी शिकायत लेकर पहुंचा।
मंगलवार की जनसुनवाई में कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग, अतिरिक्त कलेक्टर श्रीमती एकता जायसवाल और सीईओ जिला पंचायत श्री अनुकूल जैन ने यश नगर स्थित कलेक्टर कार्यालय सुशासन भवन सभागृह में 89 मामलों की सुनवाई की ओर संबंधित विभागों को तत्सम्बन्धी आवश्यक निर्देश दिये जिसमें विभिन्न स्थानों के अलग अलग प्रकार के मामले शामिल हैं।
अपने आवेदन के बारे में ग्रामवासी पन्नालाल सेन का कहना है कि उन्होंने गांव की शासकीय भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे के खिलाफ वर्षभर पहले शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन आज तक न तो कोई कार्रवाई हुई, न ही प्रशासन ने गंभीरता दिखाई। पीड़ित पन्नालाल सेन बताते हैं कि जिस ज़मीन पर निजी धर्मशाला का निर्माण हो चुका है, वह सार्वजनिक संपत्ति है और उसका उपयोग गांव हित के लिए होना चाहिए था।
उनका कहना है कि गांव की उक्त भूमि का राजस्व विभाग द्वारा निर्णय हो चुका है कि यह शासकीय भूमि है इसके बाद भी दलौदा तहसीलदार द्वारा भूमि रिक्त नहीं कराई जा रही, में इस संबंध में लगातार आवेदन प्रस्तुत मय रिकॉर्ड के देता आया हूं पर कोई सुनवाई नहीं।
गौर करने वाली बात यह है कि पन्नालाल कोई जनप्रतिनिधि नहीं हैं, न ही कोई बड़ा अधिकारी, बल्कि एक सामान्य नागरिक हैं, जो अपने स्तर पर सरकारी ज़मीन को अतिक्रमण से बचाने में जुटे हैं। वे अपनी जेब से खर्च कर, प्रशासन से लगातार संपर्क कर रहे हैं, ताकि सरकारी जमीन सरकार को वापस मिल सके।
पन्नालाल सेन का यह कहना, “जब कोई नहीं सुनता तो मजबूरी में ऐसा रास्ता अपनाना पड़ता है,”
जब वे केले के पत्ते शरीर पर लपेटे ओर गले मे आवेदनों की माला पहने पहुंचे ताकि ध्यान आकर्षित हो सके ओर प्रशासन कार्यवाही करे।
पन्नालाल सेन ने मीडिया को बताया कि मंगलवार जनसुनवाई में एकबार फिर शासकीय भूमि को मुक्त कराने का आवेदन जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग को दिया है और कलेक्टर ने शीघ्र निराकरण कराने का कहा है।
एक वर्ष से उनकी व्यथा और संघर्ष को साफ दर्शाता है। उनके विरोध प्रदर्शन ने न केवल अधिकारियों का ध्यान खींचा, बल्कि वहां मौजूद हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दिया कि जनसुनवाई हकीकत में शोषित पीड़ित वर्गों के लिये समाधानकारी है अथवा शासकीय भूमि की तरह ही केवल खानापूर्ति?
अब देखना यह है कि इस कोशिश का प्रशासन जनसुनवाई के माध्यम से किस तरह से संज्ञान लेता है?
एक सूत्र के अनुसार आवेदक पन्नालाल सेन चिन्हित भूमि पर निर्मित धर्मशाला को मुक्त कर शासन के कब्जे में दिलाना चाहता है इसमें भी कोई पेंच हो सकता है?
अब यह मामला स्वयं कलेक्टर के संज्ञान में आया है तो निश्चित उचित निराकरण होने की आशा की जारही है। बहरहाल मंगलवार की जनसुनवाई में पन्नालाल सेन का ध्यानाकर्षण चर्चित होगया है।