Unique Marriage : सास-ससुरों ने विधवा बहू और विधुर दामाद को नया घर बसाया!

इस पुनर्विवाह ने ऐसे सामाजिक बदलाव का संकेत दिया जो मिसाल बनेगा!

2075

Unique Marriage : सास-ससुरों ने विधवा बहू और विधुर दामाद को नया घर बसाया!

Khandwa : एक सास-ससुर ने अपनी विधवा बहू की शादी करवाई है। घर से विधवा बहू को बेटी की तरह विदा करके एक ऐसा संदेश दिया जो सामाजिक बदलाव का प्रतीक बनेगा। दूल्हा बने विधुर युवक की शादी भी उसके सास-ससुर ने ही करवाई है। दोनों पक्षों की तरफ से माता-पिता की भूमिका सास-ससुर ने ही निभाई। एक सास-ससुर ने बहू को बेटी मानकर विदा किया तो दूसरी तरफ सास-ससुर ने विधुर दामाद को बेटा मानकर शादी की रस्में पूरी की। इन दोनों ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने जीवन साथियों को खो दिया था।
शनिवार को खंडवा में हुए इस एक पुनर्विवाह ने ऐसे सामाजिक बदलाव का संकेत दिया जो मिसाल बनेगा। खरगोन के रामचंद्र राठौर और गायत्री राठौर के बेटे अभिषेक का 5 साल पहले हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इससे बहू मोनिका और 7 साल की पोती दिव्यांशी दुखी रहने लगी। यह देखकर सास-ससुर ने तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़कर बहू का पुनर्विवाह कराने का मन बनाया। पांच साल बाद उन्होंने अपनी बहू के लिए वर तलाश ही लिया। ये था खंडवा का दिनेश।

IMG 20221128 WA0004

दिनेश का रिश्ता भी सास-ससुर ने ही तय किया। क्योंकि, दिनेश की पत्नी समिता का कोरोना में निधन हो गया था। दिनेश की दो बेटियां हैं। इसलिए इन बेटियों के भविष्य की खातिर दिनेश की सास शकुंतला राठौर और ससुर मोहनलाल राठौर को दामाद के लिए बहू की तलाश थी। शनिवार को खंडवा के गायत्री मंदिर में गायत्री पद्धति से जिला न्यायालय में स्टेनो दिनेश और मोनिका का पुनर्विवाह कराया गया।

IMG 20221128 WA0005

मोनिका के ससुर से पिता बने रामचंद्र राठौर का कहना है कि कन्यादान के समय मेरे समधी ने मुझसे कहा था कि मेरी बेटी की जिम्मेदारी अब आपकी है। शादी के तीन साल बाद मेरे बेटे अभिषेक का निधन हुआ, तो बहू मोनिका की हालत देखकर मैं सहम गया। उस समय मुझे मेरे समधी के कन्यादान के समय शब्द याद आए। उसी दिन मैंने तय कर लिया कि बहू के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकता। उसका पुनर्विवाह करवाकर रहूंगा। पांच साल की मशक्कत के बाद योग्य वर ढूंढने में कामयाब रहा। अब मोनिका इस घर में बहू की तरह नहीं बेटी की तरह आएगी।
इस विवाह में दोनों तरफ से माता-पिता की जगह सास-ससुर की भूमिका महत्वपूर्ण रही। एक ने अपने विधवा बहू के लिए तो दूसरे विधुर दामाद के लिए रिश्ता तलाशा है। बहू को सास-ससुर ने बेटी मानकर और विदुर दामाद को सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई है। दिनेश ने बताया कि कोरोना में पिछले साल पत्नी के निधन के बाद गहरा सदमा लगा था। इसके बाद ससुराल वालों ने पुनर्विवाह को लेकर मुझसे चर्चा की। बच्चों के भविष्य की भी चिंता थी। मेरे सास-ससुर ने कहा कि जीवन लंबा है, दूसरा विवाह कर लो। उन्होंने ही जीवनसाथी की तलाश की।