सेवा, समर्पण व जज्बे की अनूठी कहानी: सेवानिवृत्ति के 7 साल बाद भी लापता लड़की को खोजने में जुटे रहे एएसआई भोंसले

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वरिष्ठ पत्रकार सुदेश गौड़ की ख़ास रिपोर्ट 

मुंबई। सेवा, समर्पण व जज्बे की यह अनूठी कहानी है मुंबई के डी एन नगर पुलिस स्टेशन में रह चुके सहायक उप-निरीक्षक राजेंद्र ढोंडू भोसले की जो 2015 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। यह राजेंद्र ढोंडू भोसले का हौसला था जो गुरुवार, 4 अगस्त 2022 की रात 8.20 बजे, 22 जनवरी, 2013 को लापता हुई लड़की जो सिर्फ सात साल की थी, वह अपने परिवार के साथ फिर से मिल सकी। खास बात यह थी कि 9 साल से लापता यह 16 वर्षीया अंधेरी (पश्चिम) में अपने घर से 500 मीटर की दूरी पर रहती थी।

अपने प्रयासों पर भोसले ने कहा: “आप एक पुलिस वाले के रूप में सेवानिवृत्त हो सकते हैं, लेकिन मानवता सेवानिवृत्ति के साथ समाप्त नहीं होती है। यह तब तक रहती है जब तक आप जीवित हैं। आप यदि मन से प्रयास कर रहे हो तो ईश्वर भी आप की मदद करता है। बेटी को खोने का दर्द आपको समझना होगा। यदि कोई यह नहीं समझ सकता, तो वह मनुष्य नहीं हो सकता।”

सहायक उप-निरीक्षक राजेंद्र ढोंडू भोसले को उन 166 लड़कियों को खोजने का जिम्मा दिया गया था जो 2008 और 2015 के बीच क्षेत्र से लापता हो गईं थी। सेवानिवृत्त होने के पहले तक उन्होंने और उनकी टीम ने उनमें से 165 लड़कियों का पता लगा लिया था। पर 166वीं लड़की को अपने कार्यकाल में न खोज पाने की विफलता उन्हें टीसती रही। इस 166वीं लड़की का पता लगाने में भोसले दो साल तक एक पुलिस वाले के रूप में और सेवानिवृत्ति के बाद सात साल तक खोजने की कोशिश करते रहे और अंततः ईश्वर की मदद से कार्य सिद्ध हो सका।

इस मामले में हैरी जोसेफ डिसूजा (50) को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसकी पत्नी सोनी (37) भी मामले में आरोपी है। दंपति ने इस लड़की का अपहरण कर लिया था क्योंकि उनके कोई बच्चा नहीं था और वे बच्चे के लिए बेताब थे।

9 साल से लापता लड़की को अंधेरी (पश्चिम) में एक सोसायटी में दाई के रूप में काम करती है, जबकि उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। जब वह लड़की परिजनों से मिली तो उसने तुरंत अपनी माँ और चाचा को पहचान लिया। 2013 के उस दिन, लड़की और उसका बड़ा भाई स्कूल जा रहे थे जब उनका पॉकेट मनी को लेकर झगड़ा हुआ था और वह अलग चली गई थी। पुलिस के अनुसार डिसूजा ने उन्हें बताया था कि उसने लड़की को स्कूल के पास घूमते हुए देखा, और उसे लगा कि प्रभु ने उसकी प्रार्थना सुनकर ही उसे मेरे लिए भेजा है। स्कूल के बाद जब लड़की घर नहीं पहुंची तो परिजनों ने डीएन नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। यह मामला तब भोसले को ही दिया गया था।

पुलिस के अनुसार डिसूजा ने उन्हें बताया कि पुलिस के हरकत में आने के बाद संभावित परिणामों से डरकर उसने लड़की को कर्नाटक में अपने मूल स्थान रायचूर में एक छात्रावास में भेज दिया था। 2016 में डिसूजा और सोनी के अपना एक बच्चा हो गया था। तब उन्होंने लड़की को कर्नाटक से वापस बुला लिया। क्योंकि वे दो बच्चों की परवरिश का खर्च नहीं उठा सकते थे इसलिए उसे एक दाई के रूप में काम करने के लिए भेज दिया। बाद में डिसूजा परिवार ने अंधेरी (पश्चिम) के उसी गिल्बर्ट हिल इलाके में रहने चले गए जहां लड़की मूल रूप से रहती थी।

दंपति को विश्वास था कि अब कोई भी उस लड़की को पहचान नहीं पाएगा क्योंकि वह बड़ी हो गई है। इसके अलावा, आरोपी ने यह भी सुनिश्चित किया कि लड़की इलाके में किसी से बात न करे।

लड़की के चाचा के अनुसार, “डिसूजा की पत्नी उसके साथ मारपीट करती थी, जबकि डिसूजा नशे में धुत होकर उससे कहता था कि उसने उसे 2013 में कहीं से उठाया था।

इस बीच एएसआई भोसले इस मामले को अपना व्यक्तिगत मिशन मान कर काम कर रहे थे। उनके प्रयासों का भी मीडिया में कवरेज भी हुआ था। लड़की के चाचा के अनुसार, “पिछले हफ्ते भी भोसले हमसे मिलने आया था, हम सब रोने लगे। हमने उम्मीद छोड़ दी, लेकिन वह हमसे कहता रहा कि वह उसे ढूंढ लेगा।

जिस घर में लड़की पिछले सात महीने से दाई का काम कर रही थी, उस घर की दूसरी बाई उसकी मदद के लिए आगे आई। उसकी कहानी सुनकर साथी सहायिका ने लड़की के नाम को गूगल कर लिया, 2013 में जैसे डिसूजा ने उल्लेख किया था, उससे जुड़ी जानकारियां मिलीं।

चाचा के मुताबिक, तस्वीरों को देखकर लड़की को सब कुछ याद आ गया। उन दोनों को एक लापता पोस्टर भी ऑनलाइन मिला, उस पर पांच संपर्क नंबर थे जबकि चार नंबर काम नहीं करते थे, परिवार के पड़ोसी रफीक का पांचवां नंबर चालू था।

जब रफीक को पहली बार फोन आया, तो उन्हें कथित तौर पर संदेह हुआ क्योंकि उनके नंबर पर वर्षों से इस तरह के कई कॉल आए थे। उन्होंने पुष्टि के रूप में एक तस्वीर मांगी।

गुरुवार की सुबह उन दोनों ने रफीक को वीडियो कॉल किया, रफीक ने स्क्रीनशॉट लिया और लड़की की मां और चाचा को वही दिखाया। चाचा ने कहा, “जैसे ही हमने उसे पहचाना, हम तुरंत फूट-फूट कर रोने लगे।”

परिवार ने जुहू सोसायटी का विवरण लिया जहां उसने काम किया था और डी एन नगर पुलिस स्टेशन को सूचित किया।
जैसे ही परिवार पुलिस टीम के साथ वहां जा रहा था, लड़की उस बच्चे को ले जाने के बहाने नीचे आ गई, जिसकी वह देखभाल कर रही थी। रात 8.20 बजे, लड़की और उसकी मां मिले, नौ साल में पहली बार।

एएसआई भोसले ने कहा, “जब मुझे पहली बार फोन आया, तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने पुष्टि करने के लिए वरिष्ठ निरीक्षक को फोन किया। डीएन नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक वी डी भोइते ने कहा कि भोसले, आपने अपनी पूरी कोशिश की और सभी संभावनाओं में से 99% को कवर किया। शेष 1% भगवान का आशीर्वाद है। ”

पुलिस ने डिसूजा और उनकी पत्नी के खिलाफ अपहरण, मानव तस्करी, गलत तरीके से बंधक बनाने, गैरकानूनी अनिवार्य श्रम समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है। डिसूजा को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक सोनी को गिरफ्तार नहीं किया है क्योंकि उनकी छह साल की बेटी की देखभाल करने वाला कोई और नहीं है।