New Delhi: उत्तर प्रदेश में चुनाव की गहमागहमी अब तीसरे से सातवें चरण में तेज हो गई है। इसी के साथ टिकट बंटवारे को लेकर भी खींचतान मची हुई है। एक मामला कांग्रेस के दो पूर्व नेताओं के रिश्तेदारों से जुडा है। रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद से भाजपा सांसद हैं। वे अपने पुत्र को लखनऊ कैंट से भाजपा का टिकट दिलवाना चाहती थी। उन्होंने पुत्र मयंक के लिए अपनी सासदी छोडने की पेशकश भी की। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने उनसे कहा कि उनकी मांग पर 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही विचार किया जा सकता है।
अब बात करते हैं एक अन्य पूर्व कांग्रेस के नेता की। डा राजेंद्र कुमारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और राज्य में मंत्री भी रहीं। उनके पोते हर्ष वाजपेयी 2015 में भाजपा में शामिल हो गए और 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद उत्तर से विधायक भी चुन लिए गए। पार्टी ने हर्ष को इस बार इसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
इलाहाबाद के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों इन दोनों पूर्व कांग्रेस के नेताओं के परिवार के के लेकर कई चर्चाएं भी चल रही। एक चर्चा यह भी है कि रीता बहुगुणा जोशी का लड़का समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकता है। बताया जाता है कि समाजवादी पार्टी की ओर से भी लखनऊ कैंट सीट से कोई ठोस आश्वासन न मिलने के कारण मयंक के सक्रिय राजनीति में प्रवेश पर फिलहाल विराम लग गया है।