मैसूर में नगरीय विकास की ‘क्लास’: नगर अध्यक्षों ने सीखा स्मार्ट गवर्नेंस का फॉर्मूला

2115

मैसूर में नगरीय विकास की ‘क्लास’: नगर अध्यक्षों ने सीखा स्मार्ट गवर्नेंस का फॉर्मूला

 

चंद्रकांत अग्रवाल की खास रिपोर्ट

इटारसी। नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय ने नगर निकायों के अध्यक्षों के लिए एक ऐसा प्रशिक्षण आयोजित किया, जिसने उनकी सोच और दृष्टिकोण दोनों को नया आयाम दिया। प्रदेश के भोपाल, नर्मदापुरम और सागर संभाग के 35 नगरपालिका अध्यक्ष हाल ही में कर्नाटक के सुंदर और सुव्यवस्थित शहर मैसूर पहुंचे, जहां उन्हें नगरीय विकास, राजस्व प्रबंधन और नागरिक सेवाओं की नई तकनीकों से रूबरू कराया गया।

इस प्रशिक्षण का आयोजन सुंदरलाल पटवा राष्ट्रीय नगर प्रबंध संस्थान के सहयोग से किया गया। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण में जन-प्रतिनिधियों ने न केवल थ्योरी में ज्ञान अर्जित किया, बल्कि मैसूर नगर निगम की कार्यप्रणाली का प्रत्यक्ष अवलोकन भी किया।

इटारसी नगरपालिका के अध्यक्ष पंकज चौरे ने मीडियावाला को बताया कि प्रशिक्षण के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा मैसूर नगर निगम की ‘पेपरलेस’ व्यवस्था की रही। वर्ष 2013 से ही पूरी तरह डिजिटल हो चुका यह निकाय, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर टैक्स भुगतान तक की सारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराता है। श्री चौरे ने बताया कि वहां के नागरिक अपने मोबाइल पर ही देख सकते हैं कि उनका कितना टैक्स बाकी है और कितना जमा हो चुका है।

IMG 20250726 WA0105 scaled

टैक्स वसूली में ‘स्पर्धा’ का तरीका

मैसूर मॉडल में टैक्स वसूली को बेहतर बनाने के लिए नवाचार किया गया है। यहां टैक्स वसूली कर्मचारियों के बीच प्रतियोगिता के रूप में कराई जाती है, जिसमें सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कार भी मिलता है। इससे टैक्स संग्रहण में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा दोनों बनी रहती है।

*15वें वित्त की रकम तभी मिलेगी, जब ऑनलाइन विवरण होगा*

श्री चौरे ने बताया कि प्रशिक्षण में यह भी सिखाया गया कि 15वें वित्त आयोग की राशि तभी जारी की जाएगी, जब निकाय ऑनलाइन पोर्टल पर यह बताएंगे कि पैसे का उपयोग कहां और कैसे किया गया है। साथ ही, 16वें वित्त की आगामी गाइडलाइन्स से भी अवगत कराया गया।

*प्रशिक्षण का फोकस: जीवन स्तर, टैक्ससेन और रोजगार*

नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे ने मीडियावाला को बताया कि इस प्रशिक्षण में तीन मुख्य विषयों पर विशेष फोकस किया गया – नगरीय नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार, टैक्ससेन यानी टैक्स प्रबंधन, और नगरीय स्तर पर रोजगार सृजन। श्री चौरे ने आगे कहा कि, “मैसूर में जो सीखा गया है, उसे अपने शहर में ज़रूर लागू किया जाएगा। डिजिटल गवर्नेंस और नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में यह अनुभव अत्यंत उपयोगी रहेगा।”