इदौर। पर्यटन और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर (Usha Thakur) अपने विवादित बयानों के चलते हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। उन्होंने फिर एक अजीबो-गरीब बयान दिया। उन्होंने कहा कि टंट्या मामा का कार्यक्रम निर्विघ्न होगा, कोई दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि, टंट्या मामा का ताबीज बांधने से सारी समस्या हल हो जाती है और इसे बांधने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
उषा ठाकुर ने स्वास्थ्य के लिए टंट्या मामा के ताबीज को कारगर बताया है और कहा है कि ये ताबीज से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। हालांकि, ये पहला मौका नहीं है जब उषा ठाकुर ने इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर उन्होंने एक बयान में कहा था कि मास्क लगाने के बदले योग करने से और हवन करने से कोरोना वायरस की तीसरी लहर नहीं आएगी।
हमेशा बिना मास्क में दिखने वाली मंत्री उषा ठाकुर ने इंदौर के देवी अहिल्याबाई एयरपोर्ट पर कोरोना महामारी को लेकर एक विशेष पूजा भी की थी। मंत्री ने मां अहिल्या की प्रतिमा के सामने ये पूजा करते हुए खूब तालियां बजाई थीं। उन्होंने दावा किया था कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गाय के गोबर के कंडे पर हवन के दौरान गो-घी की महज दो आहुतियां डालने से घर 12 घंटे तक संक्रमण मुक्त रहता है। उनका कहना था कि यज्ञ पर्यावरण को शुद्ध करने की एक चिकित्सा है, ये कर्मकांड नहीं है। हम सब यज्ञ में दो-दो आहुतियां डालकर अपने इलाके का पर्यावरण शुद्ध करें। तीसरी लहर भारत को छू तक नहीं पाएगी।
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने 4 दिसंबर को इंदौर के पातालपानी में क्रांतिकारी टंट्या भील के बलिदान दिवस पर विशेष आयोजन किया है। टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करने वाले हैं। गौरव कलश यात्रा आदिवासी बहुल जिलों से होकर इंदौर पहुंचने वाली हैं। इन यात्राओं के स्वागत के इंतजाम भी किए गए हैं।
उषा ठाकुर कोरोना को लेकर पहले भी विवादों में रही हैं। पिछले विधानसभा सत्र में उन्होंने एक बार भी मास्क नहीं पहना था। कोरोना की पहली ही नहीं, दूसरी लहर में भी उन्होंने कभी मास्क नहीं लगाया। जब वे मीडिया के सामने आई तो भी उनके चेहरे पर मास्क नहीं था। जबकि, मुख्यमंत्री लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सभी लोग मास्क लगाएं और वैक्सीन के दोनों डोज अवश्य लगवाएं।
मध्य प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं। 17 नवंबर को कोरोना से जुड़े प्रतिबंध हटाए गए थे। 13 दिन बाद इन्हें फिर लागू किया गया है। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50% पर सीमित रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन के लिए भी प्रयास तेज कर दिए गए हैं। ऐसे में बलिदान दिवस पर कार्यक्रम के आयोजन पर भी सवाल उठ रहे हैं।