Vaibhav and Family : 14 साल की उम्र में 1.10 करोड़ में बिके वैभव सूर्यवंशी, कैसे यहां तक पहुंचे!    

जानिए, उनके पिता के बारे में जिन्होंने वैभव को जमीन बेचकर ट्रेनिंग दिलाई!      

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Vaibhav and Family : 14 साल की उम्र में 1.10 करोड़ में बिके वैभव सूर्यवंशी, कैसे यहां तक पहुंचे! 

 

Samastipur : आईपीएल इतिहास के सबसे छोटे प्लेयर वैभव सूर्यवंशी अपनी उम्र के साथ अब अपने रिकॉर्ड की वजह से पहचाने जाने लगे हैं। राजस्थान रॉयल्स में शामिल वैभव का नाम अब हर क्रिकेट प्रेमी की जुबां पर है। उन्होंने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 35 गेंदों में शतक जड़कर सभी को अपना दीवाना बना दिया। वह वे टूर्नामेंट में सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय बन गए। अब जानिए वैभव की नेटवर्थ और उनके परिवार के बारे में।

वैभव सूर्यवंशी का जन्म 27 मार्च 2011 को भारत के बिहार के समस्तीपुर जिले के मोतीपुर गांव में हुआ। उन्होंने 9 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया और 9 साल की उम्र में क्रिकेट एकेडमी में ज्वाइन हुए। शुरुआत में उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने उन्हें कोचिंग दी। राजस्थान रॉयल्स ने वैभव सूर्यवंशी को ऑक्शन में 1.1 करोड़ रूपये में ख़रीदा था। तब उनकी उम्र सिर्फ 13 साल थी। उन्होंने पिछले महीने ही राजस्थान टीम के साथ अपना 14वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया। इसके बाद उन्हें लखनऊ के खिलाफ आईपीएल में डेब्यू करने का मौका मिला। करोड़ से ऊपर में बिके वैभव का बेस प्राइस 30 लाख रूपये था, राजस्थान के साथ दिल्ली कैपिटल्स ने भी उनपर बोली लगाईं थी।

वैभव सूर्यवंशी के पिता संजीव सूर्यवंशी की भी सोच थी कि उनका बेटा क्रिकेटर बने। वैभव के पिता पेशे से किसान हैं, लेकिन उनकी आंखों में बेटे लिए क्रिकेटर बनने का सपना था। बिहार के समस्तीपुर जिले में पड़ने वाले छोटे से गांव ताजपुर प्रखंड के रहने वाले वैभव के पिता खेती बाड़ी काम करते थे। क्रिकेट जैसे खेल के लिए अच्छी ट्रेनिंग और कोचिंग की व्यवस्था समस्तीपुर जैसे छोटे शहर में उपलब्ध नहीं था।

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ऐसे में पिता ने वैभव को करीब 100 किलोमीटर दूर बिहार की राजधानी पटना में ट्रेनिंग के लिए भेजने का फैसला किया। इसके लिए पैसे भी जरूरत थी। आय का कोई बड़ा जरिया नहीं था, तो वैभव के पिता ने अपनी जमीन बेच दी। वैभव के लिए उनके पिता ने सब कुछ दांव पर लगा दिया। वह खुद अपने बेटे के लिए टिफिन पैक करते थे।

वैभव 10 साल के थे तो वह अपने से बड़ी उम्र के लड़कों के साथ नेट्स प्रैक्टिस कर एक दिन में 600 से ज्यादा गेंदें खेलते थे। वैभव के पिता की ये मेहनत बेकार नहीं गई। बता दें कि वैभव जैसे देश में लाखों करोड़ों युवा हर दिन अपनी आंखों में क्रिकेटर बनने का सपना देखते हैं, लेकिन सफलता बहुत ही कम को मिल पाती है। ऐसे में अगर वैभव क्रिकेटर नहीं बन पाते तो उनके पिता का सब कुछ खत्म हो जाता।

रिपोर्ट के मुताबिक आईपीएल के सबसे छोटे प्लेयर को अब ब्रांड एंडोर्समेंट के ऑफर आने लगे हैं. लेकिन अभी इसको लेकर अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है. जिस तरह से उनका नाम अब हर जगह छाया हुआ है, उससे तय हैं कि ब्रांड एंडोर्समेंट से भी वह अब करोड़ों कमाने वाले हैं। वैभव के पास खुद को निखारने का अभी बहुत समय है। ऐसे में कहा जा सकता है कि वैभव के लिए उनके पिता ने अपनी सबसे बड़ी पूंजी जमीन को बेचने का जो रिस्क लिया था वह सफल हुआ।