Vallabh Bhavan Corridor to Central Vista: इस सप्ताह हो सकता है वरिष्ठ IAS अधिकारियों में फेरबदल

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Vallabh Bhavan Corridor to Central Vista: इस सप्ताह हो सकता है वरिष्ठ IAS अधिकारियों में फेरबदल

Vallabh Bhavan Corridor to Central Vista

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1992 बैच के वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख सचिव के सी गुप्ता के केंद्र से प्रतिनियुक्ति से मध्य प्रदेश लौटने के बाद वे इस सप्ताह कार्यभार ग्रहण करेंगे। इस के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के प्रभार में फेरबदल की चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है।

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पता चला है कि प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने भी केंद्र में जाने के लिए आवेदन दे दिया है। इधर तीन सचिवों के प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नत होने के बाद फिलहाल उन्हें उसी विभाग में पदस्थ कर दिया है। माना जा रहा है कि इन प्रमुख सचिवों को भी महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थ किया जाएगा। इसे देखते हुए सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों में फेरबदल की कवायद चल रही है।

सूत्रों पर अगर भरोसा किया जाए तो इस संबंध में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की प्रारंभिक चर्चा भी हो चुकी है। माना जा रहा है कि इस सप्ताह मंत्रालय में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्तर पर फेरबदल हो सकता है।

‘गौरव दिवस’ की बैठक में खींचतान

इंदौर के गौरव का दिन कौन सा हो, ये मसला उम्मीद से कुछ ज्यादा ही पेचीदा हो गया। वैसे भी डेढ़ सौ लोगों की भीड़ में कोई एकमत फैसला तो होना नहीं था और हुआ भी नहीं! पर, इस बैठक में अंदरूनी विवाद जरूर सामने आ गए। वास्तव में ये बैठक कमिश्नर ने इसलिए बुलाई थी कि कोई एक दिन ऐसा तय कर दिया जाए, जिस दिन हर साल इंदौर गौरव दिवस का आयोजन हो! लेकिन, इस बैठक में मौजूद हर व्यक्ति के पास अपने अलग-अलग ठोस तर्क थे।

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ये मसला तब उलझ गया जब इंदौर का नाम ही बदलने की बात शुरू हो गई! इसे लेकर भी विरोध शुरू हो गया। अहिल्याबाई की जयंती वाले दिन 31 मई को गौरव दिवस मनाने का सुझाव सामने आया तो बैठक की अध्यक्षता कर रही पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ‘ताई’ ने ही उसे टाल दिया। बाद में किसी ने याद दिलाया कि यदि 31 मई तय हो जाती, तो ‘ताई’ का अहिल्या उत्सव’ फीका पड़ जाता!

डीजी रैंक के रिटायर्ड अफसर का क्राइम फ्री इंडिया का फार्मूला

मध्यप्रदेश में 1984 बैच के डीजी रैंक के एक रिटायर्ड अधिकारी ने सेवा में रहते हुए यह दावा किया था कि उनके पास ऐसा फ़ॉर्मूला है जिससे क्राइम फ्री इंडिया बनाया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए बकायदा यू ट्यूब पर अपना उद्बोधन समय समय पर दिया हैं। यह बात अलग है कि इनका फ़ॉर्मूला कहीं पर आज़माकर देखने का मौक़ा नहीं मिला है।

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सेवानिवृत्ति के बाद से वे स्वयं क्राइम फ़्री इंडिया नामक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। इस विषय पर वे यूट्यूब पर अपनी बात प्रस्तुत करते रहते हैं। खर्च मुक्त चुनाव का भी फार्मूला उनके पास है। उनकी आशंका है कि पाँच साल बाद ऐसा न हो कि हर तीन में दो कैंसर पेशंट हो जाएँ और तीसरा उनकी देखभाल में लग जाय। इसकी रोकथाम के लिए भी उन्होंने उपाय सुझाए हैं।

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ये है काम के प्रति सीमा से आगे की सजगता!

किसी अफसर की संवेदनशीलता को मापने का कोई पैमाना नहीं होता है। लेकिन, कभी-कभी कोई एक घटना ऐसी हो जाती है, जो उस अफसर की संवेदनशीलता के साथ काम के प्रति उनकी गंभीरता दर्शाती है।

अपर मुख्य सचिव गृह डॉ राजेश राजौरा की गिनती ऐसे ही अफसरों में की जा सकती है, जो अपने काम को लेकर बेहद गंभीर हैं। शनिवार को वे पूरी रात कटनी के स्लीमनाबाद में बरगी परियोजना की टनल धंसने से हुए हादसे में फंसे 9 मजदूरों को बचाने के काम की मॉनिटरिंग करते रहे। साथ ही वे मुख्यमंत्री को भी अवगत कराते रहें।

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वे पूरी रात भोपाल से लगातार इस हादसे पर नजर बनाए हुए थे, कि कहीं कोई कोताही न हो जाए। शायद इसी का नतीजा था कि 9 में से 7 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया! हादसे वाली जगह पर संबंधित बचाव दल भी पर अपना काम कर रहे थे, पर जब भोपाल से आला अफसर लगातार नजर रख रहे हों तो काम करने वाले ज्यादा मुस्तैदी से काम करते हैं। ये तो डॉ राजेश राजौरा की संवेदनशीलता का एक ताजा उदाहरण है, उनके काम के जुझारूपन के कई किस्से हैं।

मनीष सिंह के साथ कदमताल नहीं कर सके जूनियर IAS, तो चल दिए

इंदौर में एक जूनियर IAS अफसर थे हिमांशु चंद्र! वे जिला पंचायत में CEO थे, अब इसी पद पर सरकार ने उन्हें शहडोल भेज दिया गया। जिले के दूसरे अफसरों के मुकाबले वे यहाँ से जल्दी रवाना हो गए! ये कोई संयोग नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक कारण जरूर था। हिमांशु चंद्र के बारे में चर्चित था, कि वे काम के मामले में बहुत ढीले थे। जब भी टीएल (टाइम लिमिट) बैठक होती, वे कलेक्टर मनीष सिंह के निशाने पर ही होते थे।

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उन्हें कई बार कलेक्टर ने हिदायत दी, पर बताते हैं, कि उनकी आदत नहीं बदली! दरअसल, कलेक्टर मनीष सिंह को जुझारू कलेक्टर माना जाता है! वे खुद तो काम में लगे ही रहते हैं और चाहते हैं कि उनके साथी भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें।

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लेकिन, डायरेक्ट युवा आईएएस हिमांशु चंद्र इस बात को समझ नहीं सके और अपने काम में लगातार पिछड़ते चले गए। बात भोपाल तक पहुंची और जिला पंचायत के CEO को यहाँ से सामान बांधना पड़ा! अब वे शहडोल में पदस्थ हैं, जो आदिवासी इलाका है और वहां काम करने की गुंजाइश भी ज्यादा है! देखना है कि वहां हिमांशु चंद्र वहां काम में जुटते हैं या इंदौर वाली ही आदत वहां भी बनी रहती है।

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और अंत में अंदर की खबर दिल्ली से

साउथ ब्लाक में स्थित रक्षा मंत्रालय के गलियारों में इन दिनों नये सेनाध्यक्ष को लेकर कयास लगाए जा रहे। मुकुंद नरवणे अप्रैल में रिटायर हो रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार मार्च के अंत तक उनके उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकती है। चल रही चर्चा के अनुसार लैफ्टिनेंट जनरल मनोज पाण्डेय इस दौड मे आगे बताए जाते हैं। वे अभी पूर्वी कमान के प्रमुख हैं।