Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: UP की तर्ज पर ही लड़ा जाएगा MP का विधानसभा चुनाव

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: 

UP की तर्ज पर ही लड़ा जाएगा MP का विधानसभा चुनाव

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत ने मध्यप्रदेश को भी चुनावी सफलता का एक नया रास्ता दिखा दिया। गरीबों और SC-ST कल्याण की योजनाओं के अलावा सरकार को और भी कुछ ऐसा करना है, जो उसकी जीत की राह आसान कर दे। भूमाफिया के खिलाफ सख्ती और मंदिरों के जीर्णोद्धार और धार्मिक आयोजनों को नए सिरे से आयोजित करना भी सफल चुनाव फार्मूला माना जा रहा है। इस सिलसिले में MP में कुछ नए प्रयोग आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं।

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UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े शहरों में भूमाफियाओं पर कार्रवाई कर ‘बुलडोजर’ CM होने का तमगा हासिल किया था। साथ ही अयोध्या में राम मंदिर, वाराणसी के मंदिरों के जीर्णोद्धार और मथुरा के मुद्दे को हवा देकर वहां भाजपा की जीत का रास्ता आसान किया। सूत्रों की माने तो अब MP में भी वही सब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आजमाने जा रहे हैं। भूमाफिया सहित सभी माफियाओं पर जोरदार कार्रवाई पहले से जारी है। अब इसे और बेहतर तरीके से अंजाम दिए जाने की योजना है।

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शिवरात्रि पर उज्जैन के महाकाल मंदिर में 21 लाख दीपक लगाने के सफल प्रयोग, जिसमे आम जनता ने आगे आकर भागीदारी की, इस तरह के आयोजनों को अन्य धार्मिक स्थलों पर भी योजनाबद्ध तरीके से आयोजित किया जाएगा। इसी तारतम्य में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार भी जारी है। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा लगाना भी इसी कवायद का हिस्सा माना जा सकता है।

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ख़बरें बताती है कि अब राम नवमी पर चित्रकूट और ओरछा में भी स्थानीय लोगों को जोड़कर कुछ नया करने की तैयारी चल रही है। MP में विधानसभा चुनाव को करीब डेढ़ साल बचा है। भाजपा को जो कुछ करना है, उसके लिए ये समय बहुत ज्यादा नहीं कहा जा सकता। यही कारण है कि शिवराज ने माफिया राज को समाप्त करने के साथ ही मंदिरों के जीर्णोद्धार सहित कुछ ऐसे धार्मिक आयोजन करना शुरू कर दिए है जो लोगों को लगातार जोड़े रखेंगे!

आखिर IAS जागृति को क्यों नहीं मिला होमस्टेट

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भोपाल की IAS जागृति अवस्थी 2021 की यूपीएससी एग्जाम्स में महिलाओं में टॉपर और ऑल इंडिया रैंक में नंबर दो पर थी लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा में उन्हें अपना होमस्टेट कैडर आवंटित नहीं हो सका। इससे जागृति के साथ-साथ समूचे मध्यप्रदेश के लोगों को निराशा हुई।

आइए जानते हैं आखिर टॉपर होने और पहली प्राथमिकता अपना होम स्टेट मध्य प्रदेश के बावजूद भी क्यों नहीं मिला जागृति को होम स्टेट:नियम यह है कि होम स्टेट में वैकेंसी होने पर ही कैंडिडेट को होम स्टेट अलॉट किया जाता है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में IAS में जनरल कैटेगरी का कोई पद खाली नहीं होना ही उनका दुर्भाग्य बना।

सिर्फ यही एक कारण है कि टॉपर होने के बावजूद भी जागृति को होमस्टेट नहीं मिल पाया। इसकी तुलना में अगर देखा जाए तो 489 रैंक आने के बावजूद SC कैटेगरी में पद रिक्त होने पर प्रतीक राव को, 417 रैंक आने के बावजूद SC कैटेगरी में ही पद रिक्त होने पर शिवम प्रजापति को और ओबीसी केटेगरी में पद खाली होने पर 123 नंबर आने पर भी अशोक शाह को MP होमस्टेट मिल गया।

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जागृति को होमस्टेट नहीं मिलने से निराशा जरूर हुई है लेकिन हमारे तीन चयनित कैंडिडेट मध्यप्रदेश में सेवाएं देंगे यह हमारे लिए खुशी की बात है।

ऐसा नहीं है कि यह जागृति के साथ ही हुआ हो ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। 2011 में पंजाब की ऑल इंडिया रैंक नंबर दो रुकमणी को अपना होम स्टेट पंजाब नहीं मिल पाया था और उन्हें राजस्थान केडर पर संतोष करना पड़ा।

बहरहाल यह ऑल इंडिया सर्विस है और हम उम्मीद करते हैं और जैसा कि देखा भी गया है IAS किसी भी स्टेट का हो, वह जिस स्टेट में भी पदस्थ होता है वही का हो जाता है और अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता है।

कौन बन सकता है केसरी की जगह NVDA का उपाध्यक्ष

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नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आईसीपी केसरी आगामी 31 मार्च को रिटायर हो रहे हैं। फिलहाल वे पिछले कुछ दिनों से अवकाश पर हैं और उनका चार्ज अपर मुख्य सचिव जल संसाधन एसएन मिश्रा के पास है।

प्रशासनिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार यह माना जा रहा है कि यह चार्ज आगे भी एसएन मिश्रा के पास लगातार बना रह सकता है। वैसे प्रशासनिक गलियारों में राज्य शासन के इस महत्वपूर्ण पद के लिए अपर मुख्य सचिव स्तर के दो तीन अधिकारियों के नाम चर्चा में हैं। इनमें प्रमुख रूप से पशुपालन विभाग के ACS जेएन कंसोटिया और PHE के ACS मलय श्रीवास्तव का नाम सामने आ रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार केसरी अवकाश के बाद 24 मार्च को वापस भोपाल लौटेंगे और उन्होंने 25 मार्च को बिदाई भोज रखा है जिसमें उन्होंने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के अलावा अपने मित्रों और उनके साथ काम कर चुके पुराने साथियों को याद किया है।

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प्रशासनिक मुखिया का चयन आप सरकार के लिए आसान नहीं

विधानसभा चुनावों के समाप्त होने के बाद सबसे पहले पंजाब में मुख्यमंत्री के शपथ लेने के साथ ही नयी सरकार बन गयी। भगवंत मान सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती नये प्रशासनिक मुखिया, मुख्य सचिव के चयन की है।

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लंबे समय तक कांग्रेस और अकाली सरकारों के साथ काम करने वाली अफसरशाही के लिए भी आप के नेताओं के साथ काम करना भी एक चुनौती है। उनके सामने दिल्ली का उदाहरण है जहां आप सरकार बनने के बाद कितना खटपट हुई थी। अब देखना है कि पंजाब की नयी सरकार अपनी पसंद का नमा प्रशासनिक मुखिया कब तक ढूंढ पाती है?

देश को अफसर नहीं कर्मयोगी मिलेंगे

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मसूरी स्थिति लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी से अफसरों का जो 96 वां बैच निकलेगा वह कर्मयोगी की तरह ही काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते इस बैच के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि आप लोगों पर ही देश की कार्य संस्कृति को बदलने की जिम्मेदारी है। आपको कर्मयोगी की तरह काम करना है।

केंद्र के सत्ता के गलियारों में बडे स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल की सुगबुगाहट

केंद्र सरकार में सत्ता के गलियारों में बडे स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि संसद सत्र की समाप्ति के बाद ही बडा फेरबदल देखने को मिल सकता है। फिलहाल केंद्र में करीब आधा दर्जन सचिवों के पद खाली है।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।