Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:एसपी-आईजी के बाद अब कलेक्टर-कमिश्नर की बारी

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:एसपी-आईजी के बाद अब कलेक्टर-कमिश्नर की बारी

गत शनिवार को प्रदेश के 75 आईपीएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी हुए जिनमें कई जिलों के एसपी प्रभावित हुए। इनमें अधिकांश वे आईपीएस अधिकारी थे जिन्हें एक ही जिले में या तो 3 वर्ष होने वाले थे या 3 वर्ष हो गए थे।

ED summons to IAS

अब ऐसी ही एक सूची आईएएस अधिकारियों की भी आने वाली है जिनमें ऐसे अधिकारियों को हटाया जाएगा जिन्हें नवंबर तक 3 साल पूरे होने वाले हैं। इनमें इंदौर, उज्जैन और जबलपुर संभाग के कमिश्नर प्रभावित होंगे। इसी प्रकार कोई आधा दर्जन जिलों के कलेक्टर भी इसी क्राइटेरिया में आ रहे हैं। माना जा रहा है कि अप्रैल में कभी भी आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची आएगी जिसमें चार कमिश्नर और कोई 10 कलेक्टर बदले जा सकते हैं। सागर कमिश्नर मुकेश शुक्ला के रिटायर होने के बाद यहां पर नए कमिश्नर की पदस्थापना की जाना है।

बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग के प्रावधान के अनुसार विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय एक ही जिले में कोई भी चुनाव से जुड़ा अधिकारी 3 वर्ष से अधिक अवधि तक लगातार नहीं रह सकता। इसी क्राइटेरिया के तहत यह तबादला सूची जारी होगी। माना जा रहा है कि इसी बहाने इस चुनावी साल में सरकार इन संभाग और जिलों में अपने मनपसंद के कमिश्नर- कलेक्टर पदस्थ करेगी।

भाजपा दिग्गजों के दौरे और चुनावी तैयारी!

भाजपा के दिग्गजों के मध्य प्रदेश में लगातार हो दौरे इस समय चर्चा में है। अमित शाह, जेपी नड्डा ,राजनाथ सिंह, प्रधानमंत्री मोदी 1 अप्रैल और 24 अप्रैल को मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। इसी बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत का भी 31 मार्च को भोपाल का दौरा होने वाला है।

सबसे पहले छिंदवाड़ा को फोकस कर कमलनाथ को मात देने के लिए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह 3 दिन छिंदवाड़ा में रहे।
इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने आकर कमलनाथ को घेरा और उन पर कई तरह के आरोप लगाए।छिंदवाड़ा में कमलनाथ को घेरने की पूरी तैयारी की जा रही है ताकि वह प्रदेश के अन्य जगहों पर नहीं जा सके और छिंदवाड़ा पर केंद्रित हो सके।

रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भोपाल आए और पूरा दिन राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त रहे। उन्होंने पार्टी के कार्यालय का भूमि पूजन जरूर किया पर इसके अलावा चुनावी बैठक में भी भाग लिया। भाजपा जिस तरह कमर कसकर चुनाव की तैयारी कर रही है, उससे लगता है कि वो कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती!

पार्टी ने सभी 230 सीटों के लिए विधानसभा वार संयोजक बना दिए। यह चुनाव की विशेष तैयारी है, जो भाजपा में दिखाई दे रही है। इसके मुकाबले में कांग्रेस में कोई विशेष हलचल दिखाई नहीं दे रही। राहुल गांधी की यात्रा के समय जरूर कांग्रेस के नेता उत्साहित दिखे, पर अब माहौल लगभग ठंडा दिखाई दे रहा है।

कमलनाथ का पार्टी में कम होता वजन!

कमलनाथ का महत्व पार्टी और मध्य प्रदेश में घटता दिखाई दे रहा है। उनमें जो जोश दो महीने पहले था, वो धीरे-धीरे ठंडा होने लगा है। अब ऐसा भी लगने लगा कि कांग्रेस के नेता भी उन्हें मात देने की कोशिश करने लगे हैं।

बताया गया है कि जिस तरह है कमलनाथ पार्टी को कारपोरेट ऑफिस की तरह चलाते हैं उससे कई छोटे बड़े नेता नाराज हैं। विधायकों को महत्व नहीं देना, अपनी बात थोपना और खुद काकस से घिरे रहना अब लोगों को रास नहीं आ रहा।

सिर्फ प्रदेश ही नहीं, दिल्ली दरबार में भी अब कमलनाथ के भाव कम हो गए! इसका एक प्रमाण यह भी है कि राहुल गांधी की शनिवार को दिल्ली में हुई पत्रकार वार्ता में जहां भूपेश बघेल और अशोक गहलोत मौजूद थे। लेकिन, कमलनाथ कहीं दूर दूर तक नहीं दिखे l आश्चर्यजनक बात यह है कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी वे दिल्ली में राहुल गांधी से मिलने तक नहीं गए।

ये भी कहा जाने लगा है कि इस साल 31 मई को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके बाद वे पार्टी अध्यक्ष रहते हैं या नहीं! पार्टी में यह भी अब चर्चा है कि वे विधानसभा में भी अब पार्टी विधायकों का साथ नहीं देते और सबको अकेला छोड़ देते हैं। जीतू पटवारी वाले मामले पर भी कमलनाथ का रुख सबके सामने भी आ गया। राजभवन घेराव के मुद्दे पर उन्होंने जीतू पटवारी की बात को तवज्जो नहीं दी। जबकि, जीतू को विधानसभा की कार्रवाई से निलंबित किया गया था। ये सब देखते हुए आशंका की जा रही है कि चुनाव तक कमलनाथ रहेंगे भी या नहीं!

जिलों के एसपी बनवाने में मंत्रियों का योगदान!

लंबे इंतजार के बाद आईपीएस की भारी भरकम लिस्ट शनिवार को सामने आ गई। इनमें कई जिलों के एसपी बदल दिए गए। कई पुलिस अफसरों के लिए ये फेरबदल फ़ायदेमंद रहा तो कई को मायूस कर गया। पर अंदरखाने की जानकारी बताती है कि लिस्ट में देरी होने का बड़ा कारण एसपी को लेकर खींचतान होना थी।

चुनाव की नजदीकी को देखते हुए ज्यादातर मंत्री अपने चुनाव क्षेत्र में अपनी पसंद का एसपी तैनात करवाना चाहते थे। इस बार चुनावी साल को देखते हुए सरकार ने भी तवज्जों दी। पता चला है कि धार के नए एसपी की पदस्थापना उद्योग से जुड़े मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की सिफारिश पर ही की गई। दत्तीगांव अलिराजपुर के प्रभारी मंत्री है।अलिराजपुर में मनोज सिंह एसपी है। वे उनके कार्यों से इतने प्रभावित हुए कि वे मनोज को अलीराजपुर से धार ले आए। बाकी जिलों में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। लेकिन, यह प्रयोग मंत्रियों को चुनावी साल के लिए कितना फायदेमंद होता है, ये देखना होगा!

क्या सरकार सागर कमिश्नर की काबिलियत का उपयोग करेगी

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2003 बैच के अफसर सागर कमिश्नर मुकेश शुक्ला 31 मार्च को रिटायर हो रहे हैं।

मध्य प्रदेश से पहले वे छत्तीसगढ़ में भी रह चुके हैं। दोनों ही प्रदेशों उनकी गिनती सरकार के लिए परिणाम देने वाले अधिकारियों की रही हैं। चर्चा है कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सरकार उनकी काबिलियत का उपयोग कर सकती है?

बजट सत्र का समय से पहले हो सकता है सत्रावसान

अवकाश के बाद शुरू हुए संसद के बजट सत्र की कार्रवाई बाधित चल ही रही थी कि शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता ही समाप्त हो गई। इस तात्कालिक फैसले ने फिलहाल विपक्ष को एकजुट होकर विरोध का मौका दे दिया। अब लगता नहीं कि संसद की कार्यवाही आगे सुचारू रूप से चल सकेगी। जानकारों का कहना है कि ऐसे में संसद के बजट सत्र का समय से पहले सत्रावसान हो सकता है।

राहुल गांधी और कर्नाटक चुनाव

राहुल गांधी की अयोग्यता का मुद्दा राजनीतिक गलियारों के साथ ही सत्ता के गलियारों में भी काफी चर्चित रहा। चर्चा के अनुसार कई लोग इसे राहुल गांधी के लिए राजनीतिक दृष्टि से नया अवसर बता रहे हैं। बहरहाल, इसका पता तो कर्नाटक के परिणाम के बाद पता चलेगा, जहां मई मे विधानसभा चुनाव होने हैं।

एमपी के दो आईएएस अधिकारियों की कैडर में वापसी

मध्य प्रदेश काडर के दो आईएएस अधिकारी केंद्र से वापस अपने काडर जाने वाले हैं। कैबिनेट सचिवालय में निदेशक सीबी चक्रवर्ती के रिपेट्रियेशन का आदेश भी जारी हो चुका है।

 

पैट्रोलियम मंत्रालय मे संयुक्त सचिव नवनीत कोठारी की केंद्रीय डेपुटेशन की अवधि पूरी होने जा रही है और वे भी काडर वापसी के मूड में है।

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सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।