Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: बुधनी से मुकाबले में उतरना चाहते हैं दीपक जोशी!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: बुधनी से मुकाबले में उतरना चाहते हैं दीपक जोशी!

भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने का गुबार ठंडा होने लगा है। लेकिन, इसके साथ ही एक नई बात सामने आई कि दीपक जोशी का लक्ष्य हाटपिपलिया से चुनाव लड़ना और जीतना नहीं है। वे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। लगता है कांग्रेस ने भी दीपक जोशी को इस मकसद के लिए हरी झंडी दिखा दी है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: बुधनी से मुकाबले में उतरना चाहते हैं दीपक जोशी!

बताया जाता है कि कॉलेज राजनीति में शिवराज सिंह और दीपक जोशी मित्र थे। दोनों विद्यार्थी परिषद की राजनीति करते थे। लेकिन, अब दोनों के बीच इतनी दूरियां बढ़ गई कि वे प्रतिद्वंद्वी के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। दीपक जोशी को सबसे ज्यादा पीड़ा पिताजी पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का स्मारक नहीं बनने और कोरोना काल में पत्नी को मेडिकल हेल्प न मिलने की रही। उनकी पत्नी की तो मृत्यु भी हो गई।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दीपक 17 और 18 मई को कांग्रेस के नेता सज्जन सिंह वर्मा के साथ बुधनी का दौरा भी करने वाले हैं। वे जानना चाहते हैं कि बुधनी में उनके लिए क्या संभावनाएं हैं। इससे लग रहा है कि अब बुधनी का चुनाव औपचारिक नहीं होगा। क्योंकि, जहां से मुख्यमंत्री जैसा व्यक्ति चुनाव लड़ता है, वहां प्रतिद्वंदी की भूमिका औपचारिक हो जाती है। पर, यदि दीपक जोशी बुधनी से मुकाबले में उतरते हैं तो विधानसभा चुनाव में यह उन हॉट सीट में शामिल हो जाएगी, जिस पर देशभर की नजरें टिकी होंगी।

मंत्रियों की धमकी का कोई असर नहीं

हर मंत्री का अपना एक ओहदा होता है और हर मंत्री को अपने उस ओहदे और सम्मान का ध्यान भी रखना पड़ता है। कई बार वे चाहकर सार्वजनिक रूप से वो बात नहीं कह पाते, जो उनके दिल में होती है। लेकिन, मध्य प्रदेश सरकार में कुछ मंत्री ऐसे हैं जो यह भूल जाते हैं और एक छोटे-मोटे नेता की तरह व्यवहार करने लगते हैं।

हाल ही में ऐसी दो घटनाएं हुई, जब शिवराज मंत्रिमंडल के मंत्रियों ने अपना आपा खो दिया। पहली घटना खंडवा में हुई जब वन मंत्री विजय शाह ने आपा खो दिया था। इसलिए कि उनके बेटे को मुख्यमंत्री के मंच पर नहीं चढ़ने दिया गया। उन्होंने वहां के एसपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। मीडिया के सामने खुली धमकी दी थी, कि ये एसपी यहां नहीं रहेंगे! लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ! एसपी वहीं हैं और विजय शाह भी वहीं!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: बुधनी से मुकाबले में उतरना चाहते हैं दीपक जोशी!

हाल ही में दूसरी घटना कृषि मंत्री कमल पटेल को लेकर हुई। कमल पटेल ने पांच दिन से रोड पर खड़े एक डंपर को लेकर देवास जिले के सतवास थाने में रात में पहुंचकर भारी हंगामा किया। पुलिस वालों को धमकाया कि सस्पेंड कर दूंगा, बर्खास्त कर दूंगा, नौकरी चली जाएगी। मंत्री के गुस्से से भरा हुआ वीडियो भी वायरल हुआ। लेकिन, इसके बाद भी हुआ कुछ नहीं!

देवास के एसपी ने मंत्री की शिकायत का सम्मान करते हुए मामले की जांच कन्नौज के एसडीओपी को सौंप दी। उन्होंने स्पष्ट भी किया कि जांच रिपोर्ट आने पर जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी! लेकिन, इस घटना का वीडियो देखने वाले समझ गए कि मंत्रियों के बोलने का कोई मतलब नहीं होता। थाने का पूरा स्टाफ वहीं पदस्थ है। एक सिपाही तक को सस्पेंड करना तो दूर हटाया तक नही गया! अलबत्ता विजय शाह की तरह कमल पटेल की हैसियत जरूर सामने आ गई!

राहुल गांधी, सरकारी आवास और वास्तु

कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस की जीत को लोग एक और एंगल से जोड़कर देख रहे हैं। ज्योतिष और वास्तु को जानने वाले लोगों का मानना है, कि राहुल गांधी ने 21 अप्रैल को अपना सरकारी आवास 12 तुगलक लेन छोड़ा, उसके बाद से कांग्रेस की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई। उसी का नतीजा है कि कर्नाटक में कांग्रेस को इतनी बड़ी जीत मिली। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि मकान का नंबर 12 तुगलक लेन था और जिस दिन आवास छोड़ा गया वह दिन था 21 अप्रैल। दोनों का जोड़ 3 होता है। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इस बात में दम नजर आ रहा है कि 12 तुगलक लेन से निकलने के बाद कांग्रेस के दिन धीरे धीरे फिरते नजर आ रहे है!

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मानहानि मामले में दो साल की सजा के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हुई। इसके बाद उन्हें सरकारी घर खाली करने का नोटिस मिला था। वे उस घर की खाली कर अब अपनी माँ सोनिया गांधी के साथ रह रहे हैं।

भाजपा को गृह राज्य वाले नेताओं ने डुबोया!

हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। क्योंकि, गृह राज्य होने से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को वहां फ्री हैंड मिल गया था। उन्होंने खुलकर अपना आदमीवाद चलाया और टिकट बांटे। यह भी जानकारी नहीं ली, कि जिन्हें टिकट दिए गए हैं, वे चुनाव जीत भी सकते हैं या नहीं! ये बात छुपी भी नहीं रही, पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का मामला होने से मामला सामने नहीं आ पाया!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: बुधनी से मुकाबले में उतरना चाहते हैं दीपक जोशी!

इसके बाद भाजपा ने दूसरा प्रयोग कर्नाटक में भी वही किया। राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष को कर्नाटक में फ्री हैंड दिया गया। क्योंकि, कर्नाटक संतोष का गृह राज्य है। बीएल संतोष ने यहां भी जेनुइन लोगों को अनदेखा करके टिकट बांटे। इसका नतीजा सामने है।

गृह राज्य के किसी नेता को जब चुनाव में टिकट बांटने की जिम्मेदारी दी जाती है, तो निश्चित रूप से उसमें स्थानीयता का भाव आ ही जाता है। वह पार्टी के बजाए अपने पुराने रिश्ते का ज्यादा ध्यान रखता है, जो जेपी नड्डा ने हिमाचल में किया था। वही बीएल संतोष ने कर्नाटक में किया। ये दो राजनीतिक हादसे पार्टी के लिए एक सीख की तरह हैं। बेहतर हो कि किसी स्थानीय नेता को उस राज्य में टिकट बांटने की जिम्मेदारी नहीं दी जाए। क्योंकि, जब ऐसे नेता को टिकट बांटने की जिम्मेदारी दी जाती है ईमानदारी से अच्छे उम्मीदवारों का चयन नहीं हो पाता, जिसका परिणाम भाजपा ने दो बार भोग लिया।

संयोग: कर्नाटक में BJP सरकार का जाना और सूद का CBI चीफ बनना

देश के सियासी और प्रशासकीय गलियारों में इन दिनों इस बात को लेकर बहुत चर्चा है कि कर्नाटक में बीजेपी की सरकार जाने से वहा के डीजीपी प्रवीण सूद का सीबीआई निदेशक बनने का रास्ता साफ हो गया। इसे कोई संयोग ही कहा जाएगा कि जिस दिन कर्नाटक में बीजेपी की करारी हार हुई उसी दिन सूद का चयन भी सीबीआई चीफ के रूप में हुआ।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार हालांकि, 3 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की पैनल में 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रवीण सूद का नाम भी था लेकिन इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उनका चयन उस दिन हुआ जिस दिन कर्नाटक में बीजेपी की सरकार गई।


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केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें

कर्नाटक में बीजेपी की हार के बाद एक बार फिर दिल्ली में सत्ता के गलियारों में केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही है। बताया जा रहा है कि प्रस्तावित फेरबदल मे लगभग आधा दर्जन नेता शामिल किए जा सकते हैं। खबर तो यह भी कि एक वरिष्ठ और दो राज्य मंत्रियों को हटाया भी जा सकता है। ज

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बलपुर में कांग्रेस की बढ़ती ताकत को देखते हुए माना जा रहा है कि वहां के सांसद राकेश सिंह का नाम भी विस्तार में नंबर लग सकता है।

उपलब्धियां तैयार करने में जुटे हैं मंत्रालय, जानिए वजह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार 26 मई को नौ वर्ष पूरे करने जा रही है। विभिन्न मंत्रालय और विभाग अपनी अपनी उपलब्धियां तैयार करने में व्यस्त हैं। खुशियों का यह मौका किस तरह से मनाया जाएगा, इसकी आधिकारिक घोषणा अभी होनी है।

शहडोल में ‘डबल इंजन’ की सरकार!

इन दिनों डबल इंजन की सरकार का बहुत शोर है। हर राजनीतिक भाषण में डबल इंजन की सरकार का उल्लेख किया जाता है। लेकिन, यहां हम जिस डबल इंजन की सरकार का उल्लेख कर रहे हैं वह कुछ अलग है। यह डबल इंजन की सरकार है शहडोल के दो वरिष्ठ अधिकारी जो हमेशा साथ साथ रहते हैं। डबल इंजन इसलिए कि वहां के कमिश्नर राजीव शर्मा और ADG डीसी सागर दोनों ने अपनी दोस्ती से प्रशासन को डबल इंजन लगा दिए हैं। एक प्रशासन का मुखिया है, दूसरा कानून व्यवस्था का।

कमिश्नर राजीव शर्मा और ADG डीसी सागर

संभाग में दोनों हर जगह साथ-साथ घूमते हैं। चाहे वह गांव का दौरा हो या कोई कार्यक्रम हो, मीटिंग हो, आपको दोनों की जोड़ी हर जगह नजर आएगी। शहडोल के लोग इसलिए इन दोनों को डबल इंजन की सरकार कहते हैं।

 

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।