Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:कमलनाथ की ताली बजाऊ घोषणाएं!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ की ताली बजाऊ घोषणाएं!

विधानसभा चुनाव को अब ज्यादा दिन नहीं बचे। यही कारण है कि इन दिनों कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही बड़े नेता घोषणाएं करने में एक दूसरे को मात देने की कोशिश में लगे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों कई घोषणाएं की, उनमें सबसे बड़ी घोषणा थी ‘लाडली बहना योजना’। इस योजना का राजनीतिक असर क्या होगा अभी इसे कसौटी पर नहीं कसा गया है। लेकिन, कांग्रेस को इसका खतरा नजर आने लगा। यही कारण है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने उस योजना का तोड़ करते हुए कहा कि हम सत्ता में आए तो बहनों को 1500 रुपए महीना देंगे। यह आंकड़ा इसलिए उछाला गया कि शिवराज सरकार ने ‘लाडली बहना योजना’ के तहत 1000 रुपए देने की बात कही है। कमलनाथ ने उसमें 500 रुपए और जोड़ दिए।

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इसके अलावा कमलनाथ ने एक घोषणा यह भी की कि यदि सत्ता में आए तो रसोई गैस का सिलिंडर 500 रुपए में उपलब्ध कराएंगे। वास्तव में तो यह उनकी ताली बजाओ घोषणा से ज्यादा कुछ नहीं है। क्योंकि, रसोई गैस के सिलेंडर की कीमतों पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता और न उसे लेकर कोई घोषणा की जा सकती है। लेकिन, कमलनाथ भी घोषणा करने में पीछे नहीं रहे और उन्होंने तो रसोई गैस सिलेंडर की कीमत भी बता दी।
इस घोषणा ने थोड़ी देर के लिए लोगों से ताली बजवा दी और जो सोशल मीडिया की सुर्खियां जरूर बन गई।

महू मामले पर उषा ठाकुर की खामोशी का मतलब!

महू में चार दिन पहले आदिवासियों के साथ जो घटना हुई, उसे लेकर जमकर राजनीति हो रही है। एक आदिवासी लड़की की संदिग्ध मौत के बाद हुए बवाल में एक आदिवासी लड़का पुलिस की गोली से मारा गया। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने इसे लेकर अपने-अपने स्तर पर राजनीति की। भाजपा ने जहां इस मामले को राजनीति से दूर रखकर पूरी तरह प्रशासनिक मामला बनाया, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीतिक रंग देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कमलनाथ समेत कई नेताओं ने प्रभावित गांव के दौरे किए। कांग्रेस ने तो आदिवासी विधायकों का एक जांच दल भी बनाया, जिसने स्थल का दौरा कर पूरे मामले की रिपोर्ट कमलनाथ को सौंपी।

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इसमें सबसे आश्चर्य की बात यह है कि स्थानीय विधायक और मंत्री उषा ठाकुर कहीं नजर नहीं आई। वे पीड़ितों के यहां मातमपुर्सी करने तो गईं, पर उनका कोई बयान सामने नहीं आया। इसी तरह घटनास्थल के आसपास के गांव की निवासी – राज्यसभा सदस्य और प्रदेश बीजेपी संगठन की एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी कविता पाटीदार भी पूरे मामले पर खामोश रही।

यह आश्चर्य की बात है कि हर मामले में बयानबाजी करने वाली उषा ठाकुर इस मामले में इतनी खामोश क्यों रही? कहा जाता है कि भाजपा ने ही उन्हें चुप रहने को कहा था! क्योंकि, पार्टी को डर था कि उनकी बयानबाजी से मामला उलझ न जाए?

इंदौर को रास क्यों नहीं आ रहा महापौर के कामकाज का तरीका!

इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के कामकाज का तरीका कई महीने बीत जाने के बाद भी लोगों को समझ नहीं आ रहा। लोगों को इस बात की भी शिकायत है, कि वे इंदौर के महापौर हैं या फिर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 के! क्योंकि, उनकी सारी गतिविधियां उसी एरिया में दिखाई देती है, जहां वे रहते हैं। कुछ लोग तो उन्हें फूटी कोठी से महू नाका तक का महापौर कहते हैं। कहा जाता है कि भविष्य की रणनीति के तहत वे अपने एरिया में ही ज्यादा सक्रिय हैं। लेकिन, ये रणनीति क्या है इसका खुलासा तो अभी नहीं हुआ, पर समझा जा सकता है कि वे महापौर से आगे का कुछ सोच रहे हैं।

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खबरें तो यहां तक है इतने महीनों बाद भी महापौर और नगर निगम के अफसरों के बीच अपनी पकड़ नहीं बना पाए। नगर निगम में कोई अफसर उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेता है। अब इसके पीछे क्या कारण है यह समझा जा सकता है। उसके पीछे कोई भी कारण ढूंढने जाएं, लेकिन सबसे बड़ा कारण राजनीतिक गुटबाजी ही कही जाएगी। ऐसे में महापौर अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि राजनीति की पूरी समझ न होने के कारण उन्हें पता नहीं चल रहा कि भविष्य में इसका असर कैसा और क्या होगा?

सरकार की प्रतिबद्धता और महिला IAS की परेशानी!

भारतीय प्रशासनिक सेवा की 1994 बैच की अधिकारी पल्लवी जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाना चाहती है पर सरकार उनको फिलहाल दिल्ली भेजने में इंटरेस्टेड नहीं है। दरअसल जिस विभाग का काम वे पिछले दो-तीन वर्षों से संभाल रही है वह विभाग वर्तमान में और खास तौर पर इस चुनावी साल में सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पल्लवी आदिम जाति कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव हैं। सरकार की मंशा के अनुरूप पल्लवी ने आदिवासी विकास की योजनाओं को जिस प्रकार लागू किया है उससे सरकार बहुत खुश है।

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पर उनका यही अच्छा काम उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। उनके पति मनोज गोविल 1991 बैच के IAS है। वे मध्य प्रदेश सरकार में अपर मुख्य सचिव वित्त थे और पिछले साल अक्टूबर में ही केंद्र में कॉरपोरेट अफेयर्स विभाग में सचिव बनाए गए हैं। पल्लवी का केंद्र में एडिशनल सेक्रेटरी के रूप में एंपैनलमेंट भी हो चुका है और वे जल्द से जल्द दिल्ली जाना चाहती है लेकिन, वे सिर्फ इसलिए भोपाल से दिल्ली नहीं जा पा रहीं कि सरकार फिलहाल उनको छोड़ने के मूड में नहीं है। कहा जा सकता है कि काम के प्रति इस महिला IAS की प्रतिबद्धता और बेहतरीन आउटपुट उनके दिल्ली जाने में आड़े आ रहा है।

इंदौर और भोपाल के CP को लेकर मीडियावाला का सही अनुमान!

लंबे इंतजार के बाद पिछले दिनों पुलिस के दर्जनभर बड़े अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट बाहर आ गई। दो पुलिस कमिश्नर समेत 12 बड़े पुलिस अफसरों को इधर-उधर कर दिया गया। इनमें सबसे उल्लेखनीय घटना थी इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नरों को आपस में बदल दिया जाना। अब इंदौर के कमिश्नर को भोपाल और भोपाल के कमिश्नर को इंदौर का चार्ज दिया गया है। तब कहा गया था कि विधानसभ सत्र में सामान्यतः वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर आदेश नहीं निकलते, पर हमने इसी कॉलम में कहा था कि विधानसभा सत्र के दौरान आईपीएस अधिकारियों के तबादला आदेश निकलेंगे।

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‘मीडियावाला’ के इसी कॉलम में दो सप्ताह पहले इस बात के संकेत भी दिए थे कि इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नरों की अदला बदली हो सकती है। वही हुआ भी सही और अब इंतजार है एक और बड़ी लिस्ट का जिसमें कोई दो दर्जन जिलों के पुलिस अधीक्षक बदले जाएंगे। अब इंतजार है उसी लिस्ट का।

निरस्त की जा सकती है राहुल गांधी की सदस्यता!

राजधानी दिल्ली में बीता सप्ताह राजनीतिक गतिविधियों से भरा रहा। गतिरोध के कारण संसद दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार बाधित रही। मुद्दा था कांग्रेस नेता राहुल गांधी का लंदन में भारत के प्रजातंत्र के बारे में दिया गया बयान। जानकारों का कहना है कि अगर मामला न सुलझा तो आने वाले दिनों में भी संसद की कार्यवाही चलती नहीं दिखती।

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राहुल गांधी के बयान और अडानी मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। भाजपा इसे देश की प्रतिष्ठा से जुडा मामला मानतीं। इस मुद्दे पर राहुल गांधी की सदस्यता निरस्त की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में ऐसा कदम उठाया जा चुका है।


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केंद्र में सचिव बनने की प्रतीक्षा में बैठे कई IAS !

अब बात केंद्र में ब्यूरोक्रेसी की। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1989 और 1990 बैच के एंपैनल्ड कई IAS अधिकारी केंद्र में सचिव बनने की प्रतीक्षा में बैठे हैं।। प्राप्त जानकारी के अनुसार उनका इंतजार फिलहाल जल्दी खत्म होता नहीं लगता। संसद सत्र के समाप्त होने के बाद ही इन प्रतीक्षारत अधिकारियों की किस्मत का पिटारा खुल सकता है।

IPS थाऊसेन फिलहाल BSF के महानिदेशक भी बने रहेंगे

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भारतीय पुलिस सेवा के 1988 बैच के मध्य प्रदेश काडर के IPS अधिकारी एस एन थाऊसेन फिलहाल BSF के महानिदेशक बने रहेंगे। वे CRPF के भी महानिदेशक है लेकिन इस वर्ष जनवरी से उनके पास BSF के DG का भी अतिरिक्त चार्ज भी है। हालांकि गलियारों में इस बात की चर्चा जरुर है कि IPS अधिकारियों की उपलब्धता के बावजूद DG का पद इतने दिनों से खाली क्यों है और इस महत्वपूर्ण पद का अतिरिक्त प्रभार क्यों दे रखा है?