Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: MP Cadre के IAS अधिकारी को केंद्र मे मिला एक और महत्वपूर्ण प्रभार

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Vallabh Bhawan Corridors

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: MP Cadre के IAS अधिकारी को केंद्र मे मिला एक और महत्वपूर्ण प्रभार

MP Cadre के IAS अधिकारी को केंद्र मे मिला एक और महत्वपूर्ण प्रभार

मध्य प्रदेश काडर के 1994 बेच के IAS अधिकारी विवेक अग्रवाल को केंद्रीय इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। वर्तमान में अग्रवाल वित्त मंत्रालय मे एडिशनल सेक्रेटरी हैं और यह ब्यूरो भी वित्त मंत्रालय के अधीन है। हालांकि इस ब्यूरो के निदेशक का पद पिछले कुछ महीनों से खाली पडा है और इसे भरने के लिए सरकार फिलहाल जल्दी में नही लगती है।
Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: MP Cadre के IAS अधिकारी को केंद्र मे मिला एक और महत्वपूर्ण प्रभार
मध्यप्रदेश में विवेक अग्रवाल मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ ही कई महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाल चुके हैं।

केंद्र में पदस्थ इस एडीशनल सेक्रेट्री की अब कभी भी मध्य प्रदेश वापसी

मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में इन दिनों एक चर्चा लगातार चल रही है कि केंद्र में एडिशनल सेक्रेटरी रैंक के IAS अधिकारी मनोहर अगनानी अब कभी भी वापस मध्यप्रदेश लौट सकते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी उनकी डिमांड पिछले 3 महीने पहले ही भेज दी है और यह माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में केंद्र सरकार उनके मध्य प्रदेश वापसी के आदेश कर सकती है।
Manohar Agnani
अगनानी मध्य प्रदेश कैडर के 1993 बैच के अधिकारी हैं और वे अगले साल सितंबर में रिटायर होंगे।
 इस प्रकार उनके रिटायरमेंट में अब केवल डेढ़ साल बचा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वे इसलिए मध्यप्रदेश वापस लौटना चाहते हैं कि उनका केंद्र में सेक्रेटरी स्तर पर इंपैनलमेंट नहीं हो सकेगा क्योंकि जब वह समय आएगा तब तक वह तब तक उनका रिटायरमेंट का टाइम हो चुका होगा।
भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए वे शायद वापस मध्य प्रदेश लौटना चाहते हैं और इस संबंध में अपने स्तर पर भी पूरे प्रयास कर रहे हैं।

एक और रिटायर्ड IAS अधिकारी राजनीति में आने के मूड में 

मध्यप्रदेश में पूर्व राज्यपाल और किसी जमाने में प्रदेश के प्रभावशाली मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय कृष्ण पाल सिंह के बेटे पूर्व IAS अधिकारी विनोद सिंह भी अब राजनीति के आने में मूड में दिखाई दे रहे हैं।
 इस बात के संकेत उस वक्त मिले जब हाल ही में उन्होंने अपनी बेटे की सगाई शहडोल जिले के कोतमा विधानसभा क्षेत्र में अपने गृह ग्राम बिरुहली में बड़ी धूमधाम से की। इसमें क्षेत्र के लोगों सहित सारे समर्थकों और स्वर्गीय पिता जी से जुड़े राजनीतिज्ञों को आमंत्रित किया।
  विनोद सिंह अपने पूरे कैरियर में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सफलता के साथ कार्य करते रहें और राजनीति से सदैव दूर रहे लेकिन अब उनके पिता के समर्थक चाहते हैं कि वे राजनीति में प्रवेश करें और अपने पिताजी की विरासत को संभाले। बेटे के सगाई के भव्य आयोजन का उद्देश्य भी शायद इसी मंतव्य को लेकर था।
 माना जा रहा है कि शहडोल जिले की  कोतमा सीट से विनोद सिंह इस बार टिकट मांग सकते हैं। लेकिन जिस प्रकार कांग्रेस से उन्हें अभी तक उपेक्षा मिली है उसे देखते हुए इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें टिकट मिल ही जाएगा। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने टिकट प्राप्त करने के   प्रयास किए थे लेकिन शुरुआत में ही वह इसमें सफल नहीं हो सके और उस वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक सर्राफ को कांग्रेस का टिकट मिला था। आप क्योंकि दृश्य बदल गया है और ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में ही नहीं है, ऐसे में अब कांग्रेस से विनोद सिंह के टिकट मिलने की संभावना बढ़ गई है। फिर भी विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के समय उन्हें कांग्रेस से टिकट मिलता है या नहीं?  यह देखना दिलचस्प ही रहेगा।
विनोद सिंह मध्यप्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं।

केंद्र सरकार के एक सचिव के व्यवहार को लेकर मंत्रालय में तनाव

केंद्र सरकार में एक मंत्रालय में  सचिव के व्यवहार को लेकर आजकल काफी तनाव चल रहा है। बताया जाता है कि उक्त सचिव पिछले कुछ दिनों से मंत्रालय के निचले अधिकारियों को बात बात में डांटते फटकारते रहते हैं जिसका असर मंत्रालय के कामकाज पर पड़ रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब सचिव के पास जाने से बचने के लिए मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों को तरह तरह के बहाने भी बनाने पड़ रहे हैं।
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 बता दें कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1989 बैच के ये अधिकारी 6-8 महीने पहले ही पदोन्नत होकर सचिव के रूप में पदस्थ हुए हैं। यह मंत्रालय भारत सरकार की धरोहर और उससे जुड़ी गतिविधियों की देखभाल करता है।

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और अंत में खबर दिल्ली से 

दो सरकारी बैंकों के बारे फैसला जल्दी ही हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल बैंक आफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को निजी हाथों में सौपने का मन सरकार बना चुकी है। बताया जाता है कि चालू बजट सत्र में ही इस बारे में प्रस्ताव लाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इन दोनों बैको की कार्यप्रणाली से सरकार खुश नहीं है। फिलहाल इन बैंकों के विस्तार को भी मंजूरी नहीं देने की बात भी कही जा रही है।

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