Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : PM नरेंद्र मोदी की 11 दिन में 3 यात्राओं से राजनीतिक सरगर्मी!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस माह में 11 दिनों में तीन बार मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। उनकी यह यात्रा विधानसभा चुनाव के नजरिए से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार मध्यप्रदेश आना, इस बात का संकेत है कि वे विधानसभा चुनाव में भाजपा की वापसी का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते।
14 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी बीना में 520 करोड़ की एक बड़ी परियोजना का शुभारंभ करने आ रहे हैं। जबकि, 18 सितंबर को वे खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की 108 फ़ीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। वे आद्यगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के साथ यहां बनने वाले अद्वैत लोक का भी शिलापूजन करेंगे।
25 सितंबर को प्रधानमंत्री भोपाल में भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा का समापन करेंगे। पार्टी 25 सितंबर को भोपाल में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। इस सम्मेलन में भाजपा ने 10 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को लाने का लक्ष्य रखा है। इन कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे।
सबसे ज्यादा सक्रिय राजेंद्र शुक्ला!
शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल किए गए तीन मंत्रियों में सबसे ज्यादा सक्रियता विंध्य के ताकतवर नेता राजेंद्र शुक्ल की दिखाई दे रही है। वह पहले भी मंत्री रह चुके हैं और विंध्य इलाके में अपना खासा दबदबा रखते हैं। यही कारण है कि वे अपने कार्यकाल के चंद दिनों में अपना प्रभाव छोड़ने का कोई मौका छोड़ता नहीं चाहते। खास बात यह भी है कि उन्हें पार्टी में भी खासी तवज्जो मिल रही है। वे पिछले दिनों पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली गए थे। वहां भी उन्हें काफी समय मिला और यह माना जा रहा है कि वे अपने चयन के मुताबिक विंध्य में पार्टी के लिए बड़ा उलटफेर करने में समर्थ हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी विंध्य क्षेत्र पर विशेष फोकस हैं। इसका कारण यह बताया जा रहा कि यह वह क्षेत्र है जहां पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 80% सीट मिली थी। विंध्य क्षेत्र की 30 में से 24 सीट भाजपा की झोली में गिरी थी। हालांकि, तब 2018 में भाजपा की सरकार नहीं बन पाई! लेकिन, विंध्य ने भाजपा का साथ दिया, लेकिन इस बार उनके पास ऐसी खबरें आ रही थी कि विंध्य में पार्टी लगातार कमजोर हो रही है।
यही देखते हुए मुख्यमंत्री ने जहां एक और अपने विश्वसनीय साथी राजेंद्र शुक्ला को मंत्री पद से नवाजा, वहीं मऊगंज और मैहर को जिला बना दिया। इससे नारायण त्रिपाठी विधायक की यह मांग भी कमजोर पड़ गई जिसमें वह अलग से विंध्य प्रदेश बनाने की बात कर रहे थे। साथ ही उन्होंने ब्राह्मण को मंत्री बनाकर ब्राह्मणों को साधने की भी कोशिश की, जो किसी वजह से विंध्य क्षेत्र में पार्टी से नाराज से दिखाई दे रहे थे।
एक योजना, जो भाजपा की नैया पार लगाएगी!
अभी विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा नहीं हुई। लेकिन, प्रदेश में माहौल पूरी तरह गरमा गया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां चुनावी घोषणाओं से एक-दूसरे को मात देने की का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ‘लाड़ली बहना योजना’ प्रतिद्वंदी पार्टियों पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है।
इस योजना के भारी पड़ने का एक बड़ा कारण यह है कि इसने समाज के सबसे कमजोर वर्ग को फ़ायदा पहुंचाया गया है। शुरू में इस योजना के इतने जबरदस्त रिस्पॉन्स की उम्मीद उसके बनाने वालों ने भी शायद नहीं की थी। पर, बाद में इसे लेकर जो माहौल बना, उससे भाजपा का उत्साह चरम पर है। बाद में इस योजना के नियमों में बदलाव करके ज्यादा महिलाओं को इससे जोड़ा गया।
इस एक योजना से भाजपा की चुनावी नैया पार होती दिखाई दे रही है। क्योंकि, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद कांग्रेस ने उसके जवाब में सत्ता में आने पर 1500 रुपए देने का ऐलान किया और फॉर्म भी भरवा दिए। जवाब में भाजपा सरकार ने इस राशि को ₹3000 तक करने की घोषणा के साथ ही एक हजार की राशि को बढ़ाकर 1250 कर इस माह उसका भुगतान भी कर दिया। और कोई आश्चर्य नहीं कि चुनाव की आचार संहिता लगने तक कांग्रेस की घोषणा के बराबर 1500 रुपए कर दिया जाए। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में क्या यह एक योजना ही भाजपा के नैया पार लगा देगी?
महाकाल ने सुन ली शिवराज की, चौतरफा बारिश हुई!
मध्य प्रदेश में अगस्त माह में लगातार पानी नहीं गिरने से और सितंबर के पहले सप्ताह तक बारिश के आसार नहीं होने से मुख्यमंत्री के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई थी। आखिर विधानसभा के चुनाव जो सिर पर हैं। इन्हीं चिताओं के बीच वे महाकाल के दरबार पहुंचे और संतोष की बात है कि महाकाल ने उनकी सुन ली।
अब हालात यह है कि मध्य प्रदेश में पानी ही पानी है। इससे दो फायदे होंगे, एक तो आगामी रबी का मौसम, जो चुनाव का खास समय होगा, फसलों के लिए पानी की कमी नहीं होगी। पानी की इफरात है, तो निश्चित है कि बिजली की भी कमी नहीं रहेगी। इसका सीधा फायदा सत्तारूढ़ पार्टी को मिलेगा। यह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आखिर मुख्यमंत्री की महाकाल ने सुन ली।
प्रशासन की सजगता से भोजशाला मामला बवाल नहीं बना!
प्रदेश के जो शहर कानून-व्यवस्था की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं, उनमें एक धार भी है। यहां हर चुनाव से पहले भोजशाला के मुद्दे को हवा देकर राजनीतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश की जाती है। इस बार भी वही हुआ, लेकिन प्रशासन विशेष कर पुलिस की सजगता और सक्रियता से कोई बड़ी घटना होने से बच गई और शहर में भी तनाव की स्थिति टल गई। शनिवार देर रात भोजशाला के गर्भगृह में कोई घुसकर वाग्देवी की प्रतिमा रख गया। ये कैसे हुआ ये वास्तव में आश्चर्य की बात इसलिए है कि भोजशाला को सघन सुरक्षा होती है। तार फेंसिंग के अलावा यहाँ सुरक्षा जवान भी हमेशा तैनात रहते हैं, फिर भी यहां चोरी-छुपे किसी विघ्नसंतोषी ने घुसकर प्रतिमा रख दी।
ये कैसे किया गया, ये तो पुलिस की जांच का मामला है। पर, पुलिस प्रशासन ने मामले को जिस तत्परता से सुलझाया उसकी तारीफ की जाना चाहिए। पुलिस ने प्रतिमा को वहां से हटाकर अज्ञात स्थान पर भिजवा दिया। सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर उन लोगों की तलाश की जा रही है जिन्होंने सुरक्षा में सेंध लगाकर शहर को आग में झोंकने की हिमाकत की।
G 20 के सफल आयोजन से भारत की साख बढ़ी
पिछले हफ्ते राजधानी दिल्ली G 20 की तैयारियों और मेहमान नवाजी मे ही व्यस्त रही। पूरी दिल्ली को सलीके से सजाया गया। नयी दिल्ली जिला, जहा यह समारोह आयोजित किया गया था, पूरी तरह प्रतिबंधित रहा।
इस सफल आयोजन ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न सिर्फ साख बढ़ायी बल्कि भारत के प्रति अन्य देशों का भरोसा भी बढा है।
संसद के विशेष सत्र में हंगामा कम होने की संभावना
अगले हफ्ते से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र में इस बार हंगामा होने की संभावना कम है। कांग्रेस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी किसी भी मुद्दे पर किसी भी नियम के तहत चर्चा के लिए तैयार है। इस सत्र में सत्ता पक्ष की ओर से भी कुछ मुद्दों की घोषणा हो सकती है। विशेषज्ञ इन संभावित घोषणाओं को चुनावी मुद्दा मान रहै है।
लोकसभा चुनाव और कांग्रेस का फॉर्मूला
सत्ता के गलियारों में विपक्ष, खासकर कांग्रेस के मोदी सरकार के प्रति आक्रामक होने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। हालांकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित कांग्रेस वही का फार्मूला लोकसभा चुनाव में भी अपना रही है। इस खेल में उसे कितनी सफलता मिलेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।