Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: ईमानदारी की सजा या …..!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: ईमानदारी की सजा या …..!

मध्य प्रदेश के सियासी और प्रशासनिक हलकों में 1988 बैच के IPS अधिकारी कैलाश मकवाना को लोकायुक्त के महानिदेशक पद से हटाए जाने की खबर इन दिनों सुर्ख़ियों में है। वे सिर्फ 6 महीने यहां रहे। ऐसा भी नहीं कि उनके खिलाफ कोई शिकायत थी। याद किया जाए तो लंबे अरसे बाद किसी अफसर के समर्थन में सोशल मीडिया पर आवाज उठी हो! लोगों ने कहा कि मकवाना को ईमानदारी का इनाम मिला। मकवाना के साथ पदस्थ एडिशनल पुलिस महानिदेशक केटी वाईफे को भी हटा दिया गया।

 

अपने तबादले पर मकवाना ने भी ट्वीट किया ‘आज (शुक्रवार) लोकायुक्त संगठन में DG के पद पर छह माह पूरे हुए…. transferred’ उन्होंने इसके साथ तबादला आदेश की प्रति भी लगाई। कैलाश मकवाना के बेटे जो भारत सरकार के महत्वपूर्ण संगठन बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट हैं, ने भी अपने पिता पर गर्व किया और पिता के ट्वीट पर रीट्वीट करते हुए लिखा ‘प्राउड ऑफ़ यू पापा!’ जबकि, पिता के तबादले पर बेटी श्रुति ने ट्वीट किया ‘आप पर गर्व है। उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है, जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है।’ बेटे और बेटी ने जिस तरह पिता के लिए ट्वीट किया वो परिवार में उनके प्रति सम्मान, श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है। कैलाश मकवाना की ईमानदार छवि पर उनके परिवार को भी गर्व है।

जाने-माने पत्रकार एनके सिंह ने भी ट्वीट किया कि ‘मध्य प्रदेश लोकायुक्त के सबसे ईमानदार और निडर डीजी में से एक आईपीएस कैलाश मकवाना का 6 महीने के भीतर तबादला कर दिया जाता है। उन्हें लूप लाइन में भेज दिया जाता है। हम सभी ईमानदारी की बातें तो बहुत करते हैं, लेकिन उसे ठीक से महत्व नहीं दे पाते हैं।’

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कैलाश मकवाना के लोकायुक्त में आने के बाद से मकवाना ने भ्रष्टाचार के मामलों में तेजी से कार्रवाई की, जो किसी को रास नहीं आ रही थी। खास तौर पर एक आईएएस और आईएफएस अधिकारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज होने के बाद मकवाना राजनीति और प्रशासन के कई खिलाड़ियों की आंखों की किरकिरी बनते जा रहे थे।वैसे लोकायुक्त ने कई मामलों में क्लीनचिट दे दी, जिनमें सरकार ने तत्परता से कार्रवाई की। लेकिन मकवाना के छह माह की अल्पावधि में तबादले से ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या वास्तव में सरकार ईमानदार अफसरों का सम्मान करती है!

अनुराग जैन क्यों नही इंटरेस्टेड थे CS बनने में!

करीब एक महीने के कयास के बाद अंततः यह तय हो गया कि मध्य प्रदेश काडर के 1989 बैच के अधिकारी अनुराग जैन अब केंद्र में ही सचिव बने रहेंगे। औद्योगिक प्रोत्साहन और संवर्धन विभाग के सचिव जैन के बारे में अब कहा जा रहा है कि उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव बनने में कोई विशेष रूचि नहीं दिखाई। माना जा रहा है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि एक दो साल बाद वे कैबिनेट सेक्रेटरी की दौड़ में शामिल हो सकते है। ( उनके रिटायरमेंट को अभी करीब 3 साल बाकी है) और, दिल्ली में रहकर उनकी संभावनाएं ज्यादा बनी रहेगी।

ऐसे में वे देश के सर्वोच्च प्रशासनिक पद पर पहुंचे, उसका इंतजार मध्य प्रदेश वासियों को भी करना चाहिए क्योंकि वह मध्यप्रदेश कैडर के IAS अधिकारी जो हैं।

क्या सिर्फ नाम के ही ज्ञानेश्वर!

कई बार लोग अपने नाम की सार्थकता को साबित नहीं कर पाते और हंसी का पात्र बनते हैं। खंडवा के सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को भी उन्हीं लोगों में गिना जा सकता है जिनका नाम तो ज्ञानेश्वर है, पर उनका ज्ञान संदिग्ध है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा ने उन्हीं के संसदीय क्षेत्र बुरहानपुर से मध्यप्रदेश में प्रवेश किया था। भाजपा के सांसद होने के नाते उन्हें कुछ तो बोलना ही था! उन्होंने यात्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गांधी परिवार ने कोई अच्छे काम नहीं किए। भारत से उसके अभिन्न अंग बांग्लादेश और पाकिस्तान को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि ‘भारत जोड़ों यात्रा’ के बहाने कांग्रेस अपनी बची जमीन तलाश रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी परिवार की वजह से ही भारत टूटा है।

भाजपा सांसद के बयान पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने पलटवार किया कि सांसद का बयान हास्यास्पद और उनकी अज्ञानता का प्रतीक है। उन्हीं की पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा का अवतार’ कहा था। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतिहास की जानकारी बगैर इस तरह की बातें की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो आज बांग्ला देश है, वो भी पहले पाकिस्तान ही था। उसे तो भारत ने आजाद कराया है।

चार पत्नी वाले मंत्री मंच पर!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़वानी में पेसा जागरूकता को लेकर हुए कार्यक्रम में ‘एक व्यक्ति, एक शादी’ की बात कही। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन पर कब्ज़ा करने वाले बदमाश आदिवासी युवतियों से शादी करते हैं। जिस समय मुख्यमंत्री मंच से ये बात बोल रहे थे, वहां मंत्री प्रेमसिंह पटेल भी बैठे थे। जानकारी के मुताबिक इस मंत्री ने पांच बार प्रदेश के बड़वानी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने शपथ पत्र में चार पत्नियों का जिक्र किया था। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने पलटवार किया है।

पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस नेता बाला बच्चन ने शिवराज सिंह के बयान पर तंज कसा कि मुख्यमंत्री को अपनी सरकार में भी इस बात का पालन कराया जाना चाहिए। बाला बच्चन ने कहा कि मैं इस बारे में शिवराजजी से बात करूंगा। दरअसल, बाला बच्चन ने सभा के मंच पर मौजूद मंत्री प्रेमसिंह पटेल पर कटाक्ष किया। उन्होंने सवाल उठाया कि मैं जानना चाहता हूं, क्या कॉमन सिविल कोड का पालन मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट में भी कराएंगे!

राहुल से नहीं मिलवाने पर कार्यकर्ता फट पड़े!

राहुल गांधी की यात्रा मध्यप्रदेश के रास्ते से गुजरकर राजस्थान में प्रवेश कर गई। कांग्रेस की अपनी व्यवस्था के नजरिए से देखा जाए तो सब कुछ निर्विघ्न निपट गया। विपक्ष के हमलों से यह यात्रा बेअसर रही और यात्रा भी समय पर निर्धारित जगह पहुंची और आगे बी बढ़ती गई। नेताओं ने भी अपनी झांकी ज़माने में कोई कसर नहीं छोड़ी! किसी ने राहुल से बुलेट चलवाई किसी ने कुछ और करवाया! लेकिन, फिर भी ऐसा रह गया कि कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने आकाओं से नाराज हैं।
राहुल गांधी आए और नेताओं से मिलकर आगे बढ़ गए और यही सब कार्यकर्ताओं को अखर गया। कार्यकर्ताओं की मंशा थी कि कम से कम उन्हें एक बार तो राहुल के नजदीक जाने और उनके साथ फोटो खिंचवाने का मौका मिलता। लेकिन, न तो कोई ऐसा अवसर आया और न कार्यकर्ताओं के आकाओं ने ऐसी कोई कोशिश की। राहुल के प्रदेश से बाहर निकलने तक तो कार्यकर्ताओं ने रास्ता देखा कि शायद कुछ अच्छा हो, पर नहीं हुआ।

इंदौर में राजबाड़ा की सभा के दौरान और उज्जैन के लिए निकलने के बाद तक कार्यकर्ताओं ने रास्ता देखा, फिर फट पड़े! इंदौर के जो भी स्वयंभू नेता कार्यकर्ताओं के आका होने का दम भरते हैं, उन्हें जमकर सुनना पड़ा। कई कार्यकर्ताओं ने सामने खड़े होकर जिस भाषा में नेताओं को सुनाया, वह लिखा नहीं जा सकता! लेकिन, ये सबक तो है कि नेता यदि अपनी झांकी जमाना चाहते हैं तो उन्हें कार्यकर्ताओं का भी ध्यान रखना पड़ेगा!

दिल्ली पुलिस में पदस्थापना पाने वाले पूर्व JK क़ाडर के पहले IPS अधिकारी मोहंती

ललितेंदु मोहंती ने दिल्ली पुलिस ने अपनी आमद दे दी है। वे 1989 बैच के एजीएमयूटी काडर के आई पी एस अधिकारी हैं ।मोहंती पूर्व की जम्मू कश्मीर काडर के पहले आई पी एस अधिकारी हैं जिनकी पदस्थापना दिल्ली पुलिस मे हुई है। जम्मू कश्मीर काडर का विलय तीन साल पहले ही एजीएमयूटी काडर में हो गया था। मोहंती इसके पहले BSF में डेपुटेशन पर विशेष महानिदेशक के पद पर थे।

MP काडर के IAS बने केंद्रीय मंत्री तोमर के PS

मध्य प्रदेश काडर के एक और IAS अधिकारी केंद्र सरकार में पंहुच गये हैं। डाक्टर तेजस्वी नायक कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्राईवेट सैक्रेटरी नियुक्त किए गए हैं। वे 2009 बैच के IAS अधिकारी है।

क्यों बेचैनी से हो रही है हिमाचल और गुजरात चुनावों के परिणाम की प्रतीक्षा सत्ता के गलियारों में हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम की बडी बेचैनी से प्रतीक्षा हो रही है। सूत्रों का कहना है कि इन परिणामों का प्रभाव केंद्र के राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर भी पडेगा। परिणाम आने वाले दिन 7 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। राजनीतिक प्रतिक्रिया पहले दिन से ही पता चलने लगेगी। दिल्ली नगर निगम चुनाव का परिणाम भी उसी समय आना है।

जानिए उन IPS के नाम जिन्हें केंद्र ने IG रैंक में नहीं किया इंपैनल्ड, तेजतर्रार महिला भी है शामिल

केंद्र सरकार ने हाल ही में 1995 से लेकर 2003 बैच तक के 43 अधिकारियों को गत सप्ताह आईजी रैंक में इंपैनल्ड किया है। इनमें मध्य प्रदेश केडर के हरिनारायण चारी मिश्रा और कुमार अनुराग शामिल हैं। लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे कि इन्हीं बच्चों के 22 अधिकारी आईजी रैंक में इंपैनल्ड नहीं हो पाए हैं जिनमें कर्नाटक कैडर की तेजतर्रार आईपीएस महिला डी रूपा भी शामिल है।

डी रूपा

इसके अलावा जो अधिकारी इंपैनल्ड नहीं हो पाए हैं वह हैं इमानुएल के मुइवा, संदीप मधुकर, हर्षिता अटालूरी, किम कैमिंग, नदम घुंगटे, अखिलेश कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह, राजेश कुमार, रतन लाल,अशोक कुमार, एच थंगालियोन गंगते, सोनिया सिंह, जसबीर सिंह,कविता जालान, हिमांशु कुमार लाल, रविदत्त गौड़, हिंगलाजदान, मनोज तिवारी, शाहनवाज कासिम, मोडक राजेश दिनेश राव और निषाद परवेज।

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सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।