Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: ये जाना चाहते हैं और वे आना चाहते हैं, पर राज्य सरकार सहमत नहीं!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: ये जाना चाहते हैं और वे आना चाहते हैं, पर राज्य सरकार सहमत नहीं!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: ये जाना चाहते हैं और वे आना चाहते हैं, पर राज्य सरकार सहमत नहीं!

प्रदेश सरकार में इन दिनों अजीब उलझन में है। जो अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाना चाहते हैं, उन्हें रोक लिया गया है और जो अफसर प्रतिनियुक्ति से वापस अपने होम स्टेट मध्य प्रदेश लौटना चाहते हैं, उन पर सहमति नहीं दी जा रही।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के अधिकारी राज्य मंडी बोर्ड के एमडी विकास नरवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते थे, केंद्र ने कोई तीन माह पहले उनका आदेश भी जारी कर दिया। सब कुछ तय हो चुका था, पर सरकार ने उन्हें मध्य प्रदेश में ही रोक लिया। दरअसल, विकास नरवाल को भारत सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर कोच्चि पोर्ट में वाइस चेयरमैन पदस्थ किया गया।

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नरवाल खुद मरीन इंजीनियर हैं इसलिए भी उनका इस पद में इंट्रेस्ट था। लेकिन, सरकार ने अफसरों की कमी बताकर विकास नरवाल को रोक लिया। यदि उन्हें केंद्र में जाने का मौका मिल जाता तो उनके आगे का रास्ता खुल जाता। क्योंकि, प्रतिनियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार के नए नियमों के मुताबिक 2005 की बैच के बाद के IAS अफसरों को दो साल केंद्र में पदस्थापना अनिवार्य कर दी गई है, तभी उन्हें ज्वाइंट सेक्रेटरी बनाया जाएगा। नरवाल के लिए ये अच्छा मौका था, पर सरकार ने उनका साथ नहीं दिया।

इसी प्रकार कुछ और अधिकारी भी हैं, जो केंद्र सरकार में प्रति नियुक्ति पर जाना चाहते हैं, लेकिन राज्य सरकार सहमत नहीं हो रही है।

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उधर जबकि, भारत सरकार में सेक्रेट्री अजय तिर्की (1987 बैच) और एडिशनल सेक्रेटरी डॉ मनोहर अगनानी (1994 बैच) दोनों केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस अपने होम स्टेट मध्य प्रदेश आना चाहते हैं। बताया गया कि केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्य सरकार को लिखा भी है। ये दोनो अधिकारी विभिन्न कारणों से पिछले कई महीनों से सभी स्तरों से एमपी वापसी के लिए प्रयासरत हैं। पर प्रदेश सरकार हरी झंडी नहीं दिखा रही!

इसे सजा कहा जाए कि प्रमोशन

इन दिनों मुख्यमंत्री रोज सुबह किसी एक जिले के प्रशासन से वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं। तीन दिन पहले उन्होंने शाजापुर जिला प्रशासन से मीटिंग की थी। कलेक्टर से उन्होंने जिले की योजनाओं के संबंध में चर्चा की, पर कानून व्यवस्था को लेकर एसपी पंकज श्रीवास्तव से बात की थी। बताते हैं कि जिले में वाहनों और भैंसों की चोरी को लेकर जमकर फटकारा भी था। जिले के विधायक और मंत्री इंदर सिंह परमार ने मोटरसाइकिल चोरी की घटनाओं के बाद रिकवरी में दलाल गिरोह सक्रिय होने की जानकारी दी थी।

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मुख्यमंत्री ने कहा था ‘एसपी साहब ये बिल्कुल ठीक नहीं है। पुलिस का अपराधियों पर इतना आतंक हो कि वो जिला छोड़ कर भाग जाएँ।’ मुख्यमंत्री ने डीजीपी को भी निर्देश दिए थे कि जो कार्रवाई शाजापुर में चोरी के मामलों में हो रही है, उससे मैं संतुष्ट नहीं हूँ। हमें एक कार्ययोजना बनाना चाहिए इस समस्या को समूल नष्ट करने के लिए। इसके लिए एक्शन प्लान बनाएं और इससे अन्य जिलों को भी जोड़ें।

मुख्यमंत्री की नाराजगी के कुछ घंटे बाद ही शाजापुर एसपी को हटा दिया गया। लेकिन, उन्हें कोई सजा मिली हो, ऐसा नहीं लगा। उन्हें शाजापुर से बड़े जिले गुना में तैनात कर दिया गया। वास्तव में पंकज श्रीवास्तव वर्ष 2019 के जून माह में जिले में पदस्थ हुए थे। जून महीने में उन्हें जिले में तैनाती में तीन साल पूरे हो जाते। ऐसे में शाजापुर से उनको अन्यत्र भेजा जाना तय था। जो लोग शाजापुर से पंकज श्रीवास्तव से तबादले को लेकर खुश हो रहे हैं, शायद उन्हें नहीं पता कि ये उनको मिली सजा नहीं, बल्कि प्रमोशन जैसा है!

भाजपा की नजरों से क्यों उतरे प्रहलाद पटेल!

मध्यप्रदेश की राजनीति से केंद्रीय राज्य मंत्री और ओबीसी नेता प्रहलाद पटेल इन दिनों उपेक्षित हैं। ये स्थिति तभी से आई जब भाजपा ने दमोह में विधायक का उपचुनाव हारा था। एक तरफ भाजपा पिछड़ों की राजनीति में कांग्रेस को पीछे छोड़ने के लिए इस वर्ग के नेताओं को ढूंढ ढूंढकर आगे ला रही है। कविता पाटीदार को राज्यसभा में भेजना उसी राजनीति का हिस्सा है, पर प्रहलाद पटेल को पार्टी ने पूरी तरह साइड लाइन कर रखा है।

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सबसे पहले तो उनका विभाग बदला गया। उनसे स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री वाला खिताब वापस लेकर उन्हें छोटे से विभाग में एक कैबिनेट मंत्री के अंडर में राज्य मंत्री बना दिया। इसके बाद पार्टी ने उनकी तरफ से नजरें फेर ली। हाल ही में घोषित प्रदेश भाजपा संगठन की तीन महत्वपूर्ण समितियों में भी उनका नाम नदारद है। जबकि, अधिकांश मंत्री इसमें शामिल है। वे भले ही पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता हैं, पर फिलहाल तो पार्टी ने उन्हें लाइन में सबसे पीछे खड़ा कर दिया है।

बीजेपी में पूर्व आईएएस उप्पल की पूछ परख फिर बढ़ी

पूर्व आईएएस और भारतीय जनता पार्टी के नेता शमशेर सिंह उप्पल की पूछ परख पार्टी में फिर से बढ़ना शुरू हो गई है। चुनाव का मौसम जो आ गया है।

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हाल ही में राज्य चुनाव समिति में उप्पल को भी शामिल किया गया है। उप्पल के बारे में कहा जाता है की वे चुनाव आयोग से समन्वय करने के कार्यों में माहिर है और भारतीय जनता पार्टी उनका उपयोग इसी कार्य के लिए करती आई है। वे पिछले 10 सालों से, जब भी चुनाव हुए हैं, चुनाव आयोग से समन्वय का काम बेहतर तरीके से करते आए हैं और इसका लाभ पार्टी को भी समय-समय पर मिला है। और अब जब पंचायत और नगर निकाय के चुनाव सामने आए हैं और इसी के साथ राज्यसभा के चुनाव भी होने जा रहे हैं, पार्टी को फिर उप्पल की याद आई और उन्हें राज्य स्तरीय चुनाव समिति में शामिल किया गया है।

नए राष्ट्रपति के लिए गहलोत का नाम भी चर्चा में

दिल्ली के सत्ता के गलियारों में इन दिनों नये राष्ट्रपति को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही है। कई नाम गलियारों में सुनाई दे रहे हैं। सत्ता और विपक्ष दोनों को ही अभी अपने अपने उम्मीदवार घोषित करने है। राष्ट्रपति का चुनाव जुलाई में होना है। राष्ट्रपति चुनाव का कार्यक्रम जून के मध्य तक होने की संभावना है।

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अगले राष्ट्रपति के लिए बीजेपी किसे अपना प्रत्याशी बना सकती है? कयासो के बीच बताया जा रहा है कि दक्षिण के राज्य में पदस्थ कोई राज्यपाल उम्मीदवार हो सकता है। सूत्रों के अनुसार कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलौत और तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सौंदर्यराजन के नाम की चर्चा जोरों पर है। गहलौत मध्य प्रदेश के और श्रीमती सौंदर्यराजन तमिलनाडु की मूल निवासी हैं। अगर देश के सर्वोच्च पद के लिए गहलोत के नाम पर सहमति बनती है तो वे शंकर दयाल शर्मा के बाद मध्य प्रदेश से दूसरे राष्ट्रपति होंगे।


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नया लोकपाल अब नये राष्ट्रपति के चुनाव के बाद

देश को नया लोकपाल अब नये राष्ट्रपति के चुनाव बाद ही मिलने की संभावना है। न्यायमूर्ति पिनाकी घोष का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो गया। सदस्य न्यायमूर्ति पी के मोहंती कार्यवाहक लोकपाल बनाए गए हैं।