Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: एमपी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अब कोई चर्चा नहीं

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: एमपी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अब कोई चर्चा नहीं

अपनी चौथी पारी में शिवराज सिंह चौहान जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से आए दिन उनके नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चा होती रहती है और विकल्पों पर भी आवाज उठती रही है l उज्जैन में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए श्री महालोक लोकार्पण और ग्वालियर में अमित शाह के कार्यक्रमों के बाद अब लगता है कि मध्य प्रदेश के नेतृत्व बदलाव विषय पर विराम लग गया है।
इन दिनों मध्यप्रदेश की भाजपा राजनीति में एक ही आदमी की तूती बोल रही है और वो हैं शिवराजसिंह चौहान। श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद कोई उनका विकल्प बनने की कोशिश करता दिखाई नहीं रहा। जबकि, इससे पहले तकरीबन हर हफ्ते कयास लगाने वाली खबरें कुंचाले भरती रहती थी। हालात यहां तक है कि कई नेता तारीख तक का ऐलान कर दिया करते थे।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: एमपी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अब कोई चर्चा नहीं

सभी का लब्बो लुआब यही था कि विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नहीं लड़ा जाएगा और उन्हें कभी भी सीएम पद से हटाया जा सकता है। सिंधिया समर्थक भी बीच-बीच में महाराज के लिए सपने देखते रहते थे। पर, अब सब कुछ शांत है। कहीं से कोई ऐसी हलचल वाली खबर जन्म नहीं ले रही। लगता है कि ऊपर से ही ऐसे संकेत मिल गए हैं जिससे इन सब बातों पर विराम लग गया है। शिवराज सिंह के तेवर भी बदल गए। उनकी राजनीति का अंदाज भी बदल गया है। यह माना जा रहा है कि दिल्ली दरबार से उन्हें पॉजिटिव इशारा मिल गया है। महाकाल लोक के लोकार्पण समारोह में जिस तरह सीएम शिवराज का डंका बजा उसके बाद विकल्प बनने वालों की बोलती बंद है। क्योंकि, नरेंद्र मोदी के साथ सिर्फ और सिर्फ शिवराज थे और कोई दूर तक नजर नहीं आया। सबकी पहुंच प्रधानमंत्री को इंदौर एयरपोर्ट पर रिसीव और बिदा करने तक ही सीमित थी।

मध्यप्रदेश में प्रशासनिक फेरबदल अब कभी भी

मध्य प्रदेश में वल्लभ भवन के गलियारों में चल रही चर्चाओं से यह आभास होता है कि आगामी 15 नवंबर तक मध्य प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है। इस फेरबदल में 3 संभागों के कमिश्नर और एक दर्जन जिलों के कलेक्टर बदले जा सकते हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2014 बैच के अधिकारियों को अब जिले की कमान मिलने वाली है।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: एमपी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अब कोई चर्चा नहीं

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस संबंध में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की प्रारंभिक चर्चा भी हो चुकी है। माना जा रहा है कि भोपाल, जबलपुर और उज्जैन के कमिश्नर के अलावा कई जिलों के कलेक्टर भी बदले जा सकते हैं।
उधर मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों के दायित्वों में भी फेरबदल की चर्चा है। कुछ विभागाध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं। यह बदलाव किश्तों में हो सकता है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री द्वारा नियमित रूप से की जा रही जिलों के काम काज की समीक्षा के साथ ही समय-समय पर अन्य प्रसंगों पर की जा रही समीक्षा के बाद सीएम शिवराज प्रशासनिक स्तर पर फेरबदल करने का मन बना चुके हैं जिसमें मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही कुछ संभाग के कमिश्नर और जिलों के कलेक्टर प्रभावित हो सकते है।

दिग्विजय सिंह ने आखिर ऐसी चिट्ठी क्यों लिखी!

दिग्विजय सिंह की राजनीति की अपनी अलग ही अदा है। वे शतरंज के मोहरे घोड़े की तरह ढाई घर चलते हैं जो किसी को जल्दी समझ नहीं आता। दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को एक चिट्ठी लिखकर कांग्रेस की राजनीति में अपना कद कुछ और ऊंचा कर लिया। उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश में लगने वाले पोस्टरों में खुद का फोटो न देने का अनुरोध किया। जबकि, वे इस यात्रा के मध्यप्रदेश के हिस्से के प्रभारी हैं।

Big statement of Digvijay Singh

देखा जाए तो राहुल गांधी की यात्रा और पोस्टरबाजी सब कुछ राजनीतिक प्रसंग है। फिर भी दिग्विजय सिंह ने खुद को पोस्टरों से अलग रखकर एक अलग ही तीर चला दिया। अब राजनीति के जानकार इसके मतलब निकालने में लगे हैं कि आखिर दिग्विजय सिंह ने ऐसी चिट्ठी क्यों लिखी! राजनीति में नेता बेमतलब ही खुद के पोस्टर लगवाने का मौका नहीं छोड़ते, ऐसे में दिग्विजय सिंह ने यह मौका कमलनाथ को देकर राजनीति के तालाब के ठहरे हुए पानी मे कंकर फेंककर नया मुद्दा जरूर छेड दिया। यही कारण है कि दिग्विजय सिंह की राजनीति को समझना हर किसी के बस की बात नही l

सुब्रमण्यम ने दो माह में ही क्यों दिया इस्तीफा?

सता के गलियारों में इस रहस्य का पता लगाया जा रहा है कि बी वी वी सुब्रमण्यम ने केवल दो हफ्तों में ही भारतीय व्यापार प्रोत्साहन संगठन (ITPO) के अध्यक्ष का पद क्यों छोड दिया। वे 30 सितंबर को ही वाणिज्य सचिव पद से रिटायर हुए थे और पहली सितंबर से उनके पास अध्यक्ष का अतिरिक्त चार्ज भी था।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: एमपी में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अब कोई चर्चा नहीं

केंद्र सरकार ने उन्हें अपने भरोसे का अधिकारी मानते हुए 1 अक्टूबर से ITPO का नियमित अध्यक्ष बना दिया था। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने दो माह में ही इस पद से इस्तीफा दे दिया। सुब्रमण्यम 1987 बैच के छत्तीसगढ़ काडर के रिटायर्ड IAS अधिकारी है।

15 नवंबर के आसपास OSD बन सकते है अनुराग जैन

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1989 बैच के अधिकारी अनुराग जैन को लेकर लगाई जा रही अटकलों को अब समाप्त मानना चाहिए क्योंकि अब लगभग यह तय माना जा रहा है कि वे ही मध्य प्रदेश के अगले मुख्य सचिव होंगे। वे वर्तमान में केंद्र में औद्योगिक प्रोत्साहन विभाग के सचिव है।

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 15 नवंबर के आसपास उन्हें राज्य के मंत्रालय में OSD बनाकर दिल्ली से भोपाल बुलाया जा सकता है।राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस नवंबर में रिटायर हो रहे है।अगर कोई और बड़ी बात नहीं हुई तो 1 दिसंबर को अनुराग जैन एमपी के मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण करेंगे।

रिटायर्ड IPS अधिकारी की खिंचाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक देश एक यूनीफॉर्म विचार का एक रिटायर्ड IPS अधिकारी ने स्वागत किया है लेकिन इसी के साथ एक अन्य रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की खिंचाई भी कर दी। सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने प्रधानमंत्री के सुझाव को वक्त की जरूरत बताते हुए इस विचार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि देश में 1861 से हर पुलिसवाले के लिए एक ही यूनीफॉर्म थी लेकिन बाद में प्रकाश सिंह जैसे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों ने पुलिस सुधार के नाम अपना कैरियर तो बना लिया लेकिन पुलिस का सत्यानाश कर दिया। राव 1986 बैच के उडीसा काडर के IPS अधिकारी रहे हैं ।

लंबे अंतराल के बाद ED को मिले 3 एडिशनल और एक दर्जन ज्वाइंट डायरेक्टर

एक लंबे अंतराल के बाद जांच एजेंसी ED को तीन अपर निदेशक और एक दर्जन संयुक्त निदेशक मिले हैं। इनमें से एक IPS अधिकारी हैं जबकि शेष IRS,IT और कस्टम सेवा के अधिकारी है।