Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: यदि गुजरात फार्मूला लागू हुआ तो MP में क्या होगा!
गुजरात में भाजपा की बंपर जीत ने पार्टी के इस फार्मूले पर मुहर लगा दी कि कमजोर विधायकों के टिकट काटकर भी चुनाव जीता जा सकता है। वहां 40 से ज्यादा विधायकों के टिकट काटने के बावजूद न तो कोई विद्रोह हुआ न कोई सेबोटेज कर पाया। नतीजा ये रहा कि पार्टी ने अब तक की सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। इसी के साथ अब यह बात भी उठने लगी है कि अगले साल होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में भी भाजपा को यही फार्मूला आजमाना चाहिए! यदि ऐसा होता है, तो भाजपा के करीब सवा सौ विधायकों में से 50 से ज्यादा को टिकट से वंचित किया जा सकता है।
ये सब पार्टी के दिल्ली दरबार की इजाजत से ही होगा। दो राज्यों के चुनाव से फ्री होकर अब भाजपा का राष्ट्रीय संगठन अब इस दिशा में कोई बड़ा फैसला सकता है। लेकिन, गुजरात में पार्टी की स्थिति और मध्यप्रदेश में अंतर है। वहां नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे दो बड़े नेताओं के सामने कोई विरोध की हिम्मत नहीं कर पाता, पर मध्यप्रदेश के हालात अलग है। यहां 40-50 टिकट कटने के बाद कोई प्रतिक्रिया न हो, इसके आसार कम है।
वैसे पार्टी के पास चुनाव लड़ने की निर्धारित उम्र पार कर चुके विधायकों के टिकट काटने और नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट न देने का सटीक आधार मौजूद है, पर इस पार्टी की इस आचार-संहिता में करीब 12 से 15 नेता ही आएंगे। बाकी के विधायकों को उस सर्वें के आधार पर किनारे किया जाएगा जो पार्टी ने करवाया है। इसके बावजूद अभी भी कई किंतु-परंतु हैं, जो फ़ाइनल लिस्ट के आड़े आएंगे! क्योंकि, गुजरात में रातों-रात मुख्यमंत्री समेत पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया जाता है और किसी के मुंह से आवाज नहीं निकलती, पर मध्यप्रदेश में इतनी ख़ामोशी की उम्मीद नहीं की जा सकती!
चुनाव जीतने की नई जुगत!
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इन दिनों पूरी तरह चुनावी मूड में हैं। लगता उन्हें ये समझ आ गया कि यदि चुनाव जीतना है, तो जनता का दिल जीतने के अलावा और कोई फार्मूला नहीं है। जनता को लगातार इस बात का अहसास कराया जाए कि वे जनता के मुख्यमंत्री हैं। यही कारण है कि आजकल वे जहां भी जाते हैं कि कुछ न कुछ जनता से जुड़ने का नया फार्मूला निकाल ही लेते हैं।
याद किया जाए तो पिछले दिनों मुख्यमंत्री कुक्षी गए तो वहां एक चाय वाले के अनुरोध पर चाय पीने लगे। मंदसौर गए तो वहां एक भजिए वाले के यहाँ खड़े होकर अपनी टीम के साथ भजिए खाने खड़े हो गए। ये वो राजनीतिक हथियार हैं, जो जनता को नेता से सीधे जोड़ते हैं और मुख्यमंत्री भी यही कर रहे हैं।
अमूमन मुख्यमंत्री किसी भी दौरे पर जाते हैं, तो उनका मिनिट-टू-मिनिट प्रोग्राम तय रहता है। उनमें स्थानीय जरुरत और वहां के नेताओं अनुरोध पर थोड़ा बहुत हेरफेर होता है, पर ज्यादा नहीं! लेकिन, इन दिनों मुख्यमंत्री अपनी तरफ से ही कार्यक्रम में बदलाव कर देते हैं। कभी वे किसी स्कूल के निरीक्षण पर निकल जाते हैं, कभी रास्ते में लोगों से बातचीत करने लगते हैं।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री पूरी तरह से चुनावी मूड में हैं और नई-नई जुगत में लगे रहते हैं।
इसलिए परेशान हैं PS गुलशन बामरा!
पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा इन दिनों परेशान हैं। क्योंकि, वे उस मुसीबत का सामना कर रहे हैं, जो उन्होंने पैदा ही नहीं की और न ऐसा करने की इच्छा थी! बताया जाता है कि उनके विभाग के अनारक्षित अधिकारियों और कर्मचारियों को अदालत के आदेश पर क्रमोन्नति/पदोन्नति का लाभ देना था, पर नहीं दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश की गलत व्याख्या करके पशुपालन विभाग ने गत 6 साल से प्रदेश में सभी पदोन्नति बाधित कर दी।
पशुपालन विभाग के 11 सामान्य, ओबीसी वर्ग के पशु चिकित्सकों ने अवैधानिक रूप से पदोन्नति रोकने के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए समय सीमा निर्धारित कर पदोन्नति देने का निर्णय दिया। इस प्रकरण में सरकार की रिव्यू पिटीशन दायर की जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।
जबकि, अदालत के फैसले में कहीं भी अनारक्षित (सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक) वर्ग की पदोन्नति पर कोई प्रतिबंध नहीं था। लेकिन, विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने ध्यान नहीं दिया तो मामला इतना उलझ गया कि कोर्ट ने इसे अवमानना माना और अब प्रमुख सचिव को कोर्ट की लताड़ सुनना पड़ रही है। जबकि, वे इसके लिए कहीं जिम्मेदार नहीं हैं। लेकिन, अदालत के सामने सरकार का चेहरा वो अफसर होता है, जो पदस्थ है और गुलशन बामरा उसी की सजा भुगत रहे हैं।
8 दिसंबर को हुई सुनवाई ने कोर्ट ने फिर कहा है कि विभाग 13 दिसंबर तक इस मामले में कार्यवाही कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसी बीच पता चला है कि राज्य शासन ने इस मामले में फिर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है और इसकी मेंशनिंग के संबंध में आजकल में निर्णय होने की संभावना है।
जब कैलाश विजयवर्गीय ने जयंत मलैया से मांगी माफी
दमोह में जयंत मलैया का रविवार को ‘अमृत महोत्सव’ हुआ। इस महोत्सव में मुख्यमंत्री शिवराज सहित भाजपा के वरिष्ठ वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में कैलाश विजयवर्गीय ने सबसे अलग ही बात कही और इस बात को लेकर मलैया से भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री होने के नाते माफी मांगी।
‘अमृत महोत्सव’ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जयंत मलैया के बिना दमोह अधूरा है। वे 75 साल के हो गए, लेकिन लगते नहीं। कोई ये न समझे कि ये मलैया जी का रिटायरमेंट कार्यक्रम है। अभी तो उन्हें और काम करना है। शिवराज सिंह ने कहा कि हार जीत तो चलती रहती है, वे भी चुनाव हार गए थे। लेकिन, जयंत मलैया हर दिल पर राज करते हैं।
कार्यक्रम में मौजूद भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जो कहा वो बात बिल्कुल अलग थी। उन्होंने कहा कि जयंतजी आप विश्वास न करें, आपने मुझे बोला भी नहीं। जब भाजपा ने आपको नोटिस दिया तो अंदर से मेरा दिल बहुत दुखा था। मैंने प्रदेश के सभी नेताओं से कहा कि आपने बहुत गलत किया। जयंत मलैया जैसे नेता को तैयार होने में दशकों लगते हैं। तपस्या करनी पड़ती है, तब जयंत मलैया तैयार होता है। ऐसे ही कोई नेता नहीं बनता है। इसीलिए उन्हें नोटिस नहीं दिया जाना चाहिए। मैं उनसे बिल्कुल नाखुश था। मैंने अपनी शिकायत यहां से लेकर दिल्ली तक की। पर, मैंने ये बात किसी को नहीं बताई, लेकिन आज आपको बता रहा हूं। व्यक्ति भूल कर सकता है, वैसे ही पार्टी से भी भूल हो सकती है। इसलिए मैं राष्ट्रीय महामंत्री होने के नाते आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
कृषि मंत्री तोमर के 8 सालों में तीसरे PS
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पिछले आठ सालों में तीसरे PS मिले है। इनमे से दो PS मध्य प्रदेश काडर के IAS अधिकारी रहे हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2009 बैच के अधिकारी डाक्टर तेजस्वी नायक ने हाल ही में तीसरे PS के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है।
तोमर के पहले PS भी मध्यप्रदेश केडर के 1998 बैच के IAS अधिकारी निकुंज कुमार श्रीवास्तव रहे है। हाल ही में पदस्थ नायक के पहले छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के अधिकारी मुकेश बंसल तोमर के PS रहे हैं। निकुंज श्रीवास्तव PS रैंक मिलने के पहले वापस अपने कैडर मध्यप्रदेश में आ गए वहीं दूसरी और छत्तीसगढ़ केडर के मुकेश बंसल जॉइंट सेक्रेटरी बनने से अब केंद्र में फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे महत्वपूर्ण विभाग के प्रभार में है।मुकेश बंसल इसके पहले छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।
केंद्र में IAS के अलावा अन्य सेवाओं को भी महत्व
केंद्र सरकार मे पिछले हफ्ते लगभग एक दर्जन संयुक्त सचिव और करीब इतने ही अपर सचिव नियुक्त हुए हैं । महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से लगभग आधे अधिकारी विभिन्न केंद्रीय सेवाओं के है।
संसद का सत्र इस वजह से चल रहा है शांतिपूर्ण
एक लंबे अंतराल के बाद संसद का सत्र इस बार अपेक्षाकृत शांति से चल रहा है। बताया जाता है कि राजनीतिक कारणों की वजह से सभी दल शीतकालीन सत्र में हंगामा करने के मूड में नहीं है। भाजपा गुजरात, कांग्रेस हिमाचल प्रदेश और आप दिल्ली नगर निगम चुनावों में मिली जीत से उत्साहित हैं। इसलिए संसद की कार्यवाही मे बाधा नहीं डालने के मूड में दिखते हैं।
केंद्रीय बजट की तैयारियां
केंद्र सरकार का वित्त मंत्रालय इन दिनों नया बजट बनाने में तैयारियों मे लगा हुआ है। वित्त मंत्री ने विभिन्न संगठनों तथा अन्य वर्गों से बातचीत के दौर शुरू कर दिए हैं। बजट पहली फरवरी 2023 को संसद में प्रस्तुत किया जाना है।
1987 बैच के IPS को केंद्र में अहम जिम्मेदारी
भारतीय पुलिस सेवा के छत्तीसगढ़ कैडर के 1987 बैच के IPS अधिकारी स्वागत दास को केंद्र में अहम जिम्मेदारी दी गई है। दास केबिनेट सेक्रेटेरिएट में सेक्रेटरी सिक्योरिटी बनाए गए हैं।
वे पहले स्पेशल सेक्रेट्री सिक्योरिटी थे। एक तरह से यह उनका प्रमोशन ही माना जा रहा है क्योंकि अब वे केबिनेट सेक्रेटेरिएट में सुरक्षा की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वाहन करेंगे।
MP की पहली प्रमोटी IAS अफसर, जिन्हें केंद्र में मिला महत्वपूर्ण प्रभार
मध्य प्रदेश केडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2013 बैच की IAS अधिकारी रूही खान को केंद्र में महत्वपूर्ण प्रभार सौंपा गया है।
रूही खान मूलतः मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रही हैं।
केन्द्र सरकार ने रुही खान की सेवाएं नेशनल हेल्थ अथॉरिटी नई दिल्ली में उप सचिव के पद पर ली है। वे मुख्य रूप से आयुष्मान भारत योजना का कार्य देखेंगी। बताया जाता है कि रूही खान एमपी की संभवत पहली प्रमोटी IAS अधिकारी हैं, जिनकी सेवाएं भारत सरकार में ली गई है । सुश्री रूही खान को हाल में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगेंद्रनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मतगणना प्रेक्षक नियुक्त किया गया था।