Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:कमलनाथ को लेकर इतनी किच किच क्यों!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ को लेकर इतनी किच किच क्यों!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ को लेकर इतनी किच किच क्यों!

कांग्रेस में इन दिनों अजीब सी खींचतान चल रही है। कमलनाथ को लेकर बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या कांग्रेस विधानसभा चुनाव कमलनाथ के चेहरे पर लड़ेगी और यदि बहुमत मिला, तो क्या वे मुख्यमंत्री बनेंगे! इस मामले पर कांग्रेस के कुछ नेताओं को विरोध है, जो उन्होंने समय समय पर व्यक्त भी किए।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ को लेकर इतनी किच किच क्यों!

29 मई को दिल्ली में हुई कांग्रेस की बड़ी बैठक के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने मीडिया से बातचीत के समय पूछे गए एक सवाल पर कहा कि अभी कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं है। यानी उन्होंने सीधे-सीधे कमलनाथ को खारिज किया। उन्होंने खुद का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में लेने का मौका नहीं छोड़ा।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista: कमलनाथ को लेकर इतनी किच किच क्यों!

इस बीच कांग्रेस के सीनियर लीडर अजय सिंह ने भी अलग ही राग आलापा और कहा कि कांग्रेस को बहुमत मिला तो जीते हुए विधायक तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन बने! लेकिन, इस बीच दिग्विजय सिंह का बयान सामने आया कि कमलनाथ को लेकर पार्टी में सहमति है और उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा। यदि कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिलता है, तो कमलनाथ ही मुख्यमंत्री होंगे। इन नेताओं के अलग-अलग बयानों से कांग्रेस को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बन गई। जब पार्टी ही एक नहीं है, तो वह एकजुट होकर चुनाव कैसे लड़ेगी।

बयानों पर छीछालेदर होने के बाद गोविंद सिंह अपनी बात का स्पष्टीकरण देने सामने आए। वे बोले कि मीडिया ने मेरे बयान को गलत ढंग से समझा, कमलनाथ ही हमारे नेता हैं। जबकि, वास्तव में उन्होंने जो कहा उसके वीडियो भी सामने आए थे। आज के हालात में इस बात का कोई मतलब नहीं रह गया कि मीडिया ने गलत समझा या मैंने ये नहीं कहा था! क्योंकि, अब हर बयान के वीडियो बनते हैं और इनमें वही होता है, जो कहा जाता है। कुल मिलाकर कांग्रेस अति आत्मविश्वास में चुनाव लड़ने की तैयारी में है। लेकिन, सबसे बड़ा झमेला भविष्य के संभावित मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर है जिसे लेकर खींचतान मची है। कहा जा रहा है कि जब हाईकमान ने सीएम के नाम पर कमलनाथ की मुहर लगा दी तो आखिर किच किच क्यों!

खंडित मूर्तियों से निकला राजनीति का जिन्न! 

बीते रविवार को जब तेज आंधी चली और बारिश हुई तो किसी ने नहीं सोचा था इसके साथ ही एक नई तरह की राजनीति ने भी जन्म ले लिया। इस आंधी से उज्जैन के महाकाल लोक में लगी 6 मूर्तियां गिरकर खंडित हो गई। मूर्तियां प्राकृतिक आंधी की वजह से गिरकर टूटी, लेकिन इसके साथ ही राजनीति ने जन्म ले लिया। पिछले एक सप्ताह से कांग्रेस और भाजपा दोनों खंडित मूर्तियों की राजनीति में लगे हैं।

कांग्रेस का आरोप है फाइबर की मूर्तियां क्यों लगाई गई, जबकि महाकाल लोक एक स्थाई निर्माण है। इसके साथ ही कांग्रेस ने आरोपों के साथ तर्क दिए और सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इसके जवाब में भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई। उन्होंने नगरीय प्रशासन मंत्री गोपाल भार्गव को आगे कर दिया। वे सर्टिफिकेट दे गए कि महाकाल लोक के काम में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ! लेकिन, उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था फाइबर की मूर्तियां क्यों लगाई गई! जबकि, ऐसी मूर्तियों की एक समय सीमा होती है।

खंडित मूर्तियों से निकला राजनीति का जिन्न! 

महाकाल लोक एक स्थाई निर्माण था तो ऐसी मूर्तियां लगाने का क्या औचित्य! कांग्रेस ने इसके बाद अपनी एक विशेष समिति बनाई जो महाकाल लोक जाकर जांच कर आई। शनिवार को कांग्रेस ने पूरे प्रदेश के हर जिले में उज्जैन की इस घटना को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेकिन, सबसे बड़ा मुद्दा यह हुआ कि लोकायुक्त ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले को दर्ज किया और इसकी जांच शुरू कर दी। इस सबका नतीजा  क्या निकलेगा, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता! लेकिन, जो भी हुआ, उससे दोनों पार्टियों को राजनीति को एक नया मुद्दा मिल गया। एक हमलावर की मुद्रा है, दूसरा बचाव में लगा है।

MP के पूर्व राज्यपाल की बेटी क्या कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगी! 

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और मप्र के पूर्व राज्यपाल स्व. रामनरेश यादव की पौत्र वधु रोशनी यादव फिलहाल निवाड़ी जिले से जिला पंचायत की सदस्य हैं। वे भाजपा से जुड़ी है और इस बार निवाड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। लेकिन, भाजपा से उन्हें अभी हरी झंडी नहीं मिली। इसलिए कि वहां पहले से सीटिंग विधायक अनिल जैन मौजूद है। यही कारण है कि उन्हें निवाड़ी से भाजपा का टिकट मिलने की संभावना लगभग नहीं है। यही कारण है कि रोशनी ने अब अपना रुख बदल लिया।

कहा जा रहा है कि वे कांग्रेस के संपर्क में है और इसके प्रमाण के रूप में उनका कमलनाथ के साथ फोटो खूब वायरल हो रहा है। संभावना है कि आने वाले समय में वे कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया के अकाउंट से भाजपा का लोगो भी हटा दिया। सोशल मीडिया पर इसे लेकर के तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे है!

MP के पूर्व राज्यपाल की बेटी क्या कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगी! 

पहले वे पृथ्वीपुर सीट से भी टिकट मांग रही थी। लेकिन, वहां हुसे उपचुनाव में शिशुपाल यादव के चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक जमीन का रुख निवाड़ी की तरफ मोड़ दिया। क्योंकि, यहां यादव मतदाताओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है। पहले यहाँ यादव समाज के नेता विधायक भी बन चुके है। वहीं समाजवादी पार्टी की पूर्व विधायक मीरा यादव जो पूर्व में निवाड़ी की विधायक रह चुकी है,भी कांग्रेस के संपर्क में है! ऐसे में किसकी लॉटरी लगती है, यह देखना दिलचस्प होगा!

क्या हुआ जब राहुल को जीतू पटवारी नही दिखे ?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस के दर्जन भर दिग्गज नेताओं की करीब 2 घंटे तक बैठक हुई। ये जमावड़ा विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर था। बैठक में कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह, विवेक तंखा, अरूण यादव, डॉ गोविंद सिंह, अजय सिंह और कांतिलाल भूरिया समेत कई नेता शामिल थे।
बैठक में असल ड्रामा उस समय शुरू हुआ जब राहुल गांधी को जीतू पटवारी नही दिखे और राहुल ने उनके बारे में कमलनाथ से पूछ लिया। कमलनाथ उन्हें साथ नहीं ले गए थे। दोनों के बीच चलती जंग किसी से छुपी नहीं है। इस बैैठक के बहाने दोनो के बीच तनातनी फिर सामने आ गई। राहुल के पूछने पर जब उन्हें पता चला कि जीतू को नहीं लाया गया तो इसका रास्ता निकाला गया। राहुल के निर्देश पर जीतू पटवारी को जूम एप से जोड़ा गया। वे पूरे दो घंटे जूम के जरिए बैठक से जुड़े रहे।

क्या हुआ जब राहुल को जीतू पटवारी नही दिखे ?

जीतू पटवारी प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी है। फिर भी उन्हें दिल्ली बैठक में शामिल नहीं किया गया। लेकिन, राहुल गांधी के कहने के बाद वे ऑनलाइन बैठक से जुड़े। इसके अलावा विधायक कमलेश्वर पटेल को भी ऑनलाइन जोड़ा गया था। इस बैठक के दौरान पटवारी और पटेल ने प्रदेश की चुनावी रणनीति को लेकर अपने सुझाव दिए।

EC Guidelines: इसी माह होंगे इन IAS-IPS अफसरों के तबादले

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार मध्य प्रदेश में इसी माह में कभी भी आधा दर्जन आईएएस और इतनी ही संख्या के आईपीएस अधिकारियों के तबादला होना तय माना जा रहा है। इसी के साथ सरकार कुछ और अधिकारियों को भी इधर-उधर कर सकती है।

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इलेक्शन कमिशन की गाइडलाइंस के दायरे में जो अधिकारी सीधे-सीधे आ रहे हैं उनमें मुख्य रूप से टीकमगढ़, दतिया और पन्ना के कलेक्टर हैं। हाल ही में हिजाब विवाद में आए कलेक्टर दमोह और लाडली बहना के कार्यक्रम को लेकर निवाड़ी के कलेक्टर भी प्रभावित हो सकते हैं। इंदौर संभाग के कमिश्नर पवन शर्मा और उज्जैन संभाग के कमिश्नर संदीप यादव को 3 साल पूरे हो रहे हैं इसलिए उनका तबादला निश्चित माना जा रहा है।

IAS-IPS

बता दें कि EC की गाइडलाइंस के अनुसार जिन अधिकारियों को जनवरी 24 तक एक ही स्थान पर 3 साल पूरे होने वाले हैं और जो अधिकारी अपने गृह नगर में पदस्थ हैं,उनके तबादले किए जाना है।इसी दायरे में इंदौर, उज्जैन संभाग के कमिश्नर के साथ ही इंदौर ग्रामीण के डीआईजी चंद्रशेखर सोलंकी भी आ रहे हैं। जिन अन्य आईपीएस के तबादले इसी गाइडलाइंस में होंगे उनमें बुरहानपुर के एसपी राहुल लोढ़ा भी शामिल हैं जिन्हें इसी साल जून में 3 साल पूरे हो रहे हैं। वे जून 2020 में बुरहानपुर एसपी पदस्थ किए गए थे। इसी प्रकार पन्ना के एसपी धर्मराज मीणा को भी जनवरी 2024 में 3 साल पूरे हो रहे हैं।

राज्य सरकार राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार कर रही है जिनका तबादला EC की गाइडलाइंस के मुताबिक किया जाना है। माना जा रहा है कि इस तरह के सभी तबादले इसी माह अंत तक कर दिए जाएंगे।

चर्चा में हैं IAS शैलबाला मार्टिन!

भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2009 बैच की अधिकारी शैलबाला मार्टिन इन दिनों चर्चा में हैं। वे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं और समय-समय पर अपनी टिप्पणी करने में संकोच नहीं करती हैं। ओडिसा में हुए ट्रेन एक्सीडेंट के सिलसिले में राष्ट्रीय न्यूज चैनल आज तक द्वारा पुराने संदर्भ को लेकर किए गए एक ट्वीट को लेकर उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा ‘ बेशर्म मीडिया’। इसे लेकर मीडिया में उनके खिलाफ टिप्पणी भी की गई इसका जवाब भी उन्होंने दिया।
रेल मंत्री को लेकर किए गए एक ट्वीट को लेकर शैलबाला ने लिखा है कि माननीय रेल मंत्री जी के सुरक्षाकर्मियों के विरुद्ध तत्काल सख्त कार्यवाही होना चाहिए। वे क्यों माननीय को अपनी जान जोखिम में डालने दे रहे हैं। शैलबाला के इन दोनों ट्वीट पर लोगों ने अलग अलग तरह से खूब प्रतिक्रियाएं दी।

केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट वंदे भारत ट्रेन को लेकर उनके द्वारा की गई टीप इन दिनों प्रशासनिक गलियारों में चर्चा में हैं। रेलवे मंत्रालय द्वारा हाल ही में शुरू की गई वंदे भारत ट्रेन को लेकर किसी व्यक्ति द्वारा किए गए ट्वीट के संदर्भ में शैलबाला लिखती हैं ‘ वंदे भारत ट्रेन की सीट्स बड़ी असुविधाजनक है, लंबी यात्रा में बैठना मुश्किल हो जाता है। भोजन की ट्रे भी छोटी सी है। सामग्री रखना मुहाल होता है।’ बता दे कि यह वही ट्रेन है जिसकी तारीफ PM मोदी, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता समय-समय पर करते रहे हैं।

CM कर रहे है उप राज्यपाल की शिकायत CBI से

दिल्ली की आप सरकार और उप राज्यपाल के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। हाल ही में उप राज्यपाल ने सब – रजिस्ट्रार रेवेन्यू के सभी पद पर महिला अधिकारियों को नियुक्त कर दिया।

CBI

क्योंकि यह मुख्यमंत्री की इच्छा के विपरीत है इसलिए बताया जाता है कि वे इनके कथित भ्रष्टाचार की शिकायत सी बी आई से कर रहे हैं। अब देखना होगा कि जांच एजेंसी उनकी शिकायतों पर कितना ध्यान देती है।

पुलिस में इन दिनों अजीब सी बेचैनी!

दिल्ली पुलिस इन दिनों अजीब सी बेचैनी मे है। कारण वरिष्ठ आई पी एस अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग से है। बताया जाता है कि दिल्ली पुलिस के मुखिया ने एक सूची तैयार करवा ली है। इस बीच कुछ आईपीएस अधिकारी बाहर से तबादला होकर आए और अपनी आमद दर्ज करा दी। इनकी तैनाती गृह मंत्रालय को करनी है। जब तक उनकी पदस्थापना न हो तब तक बात आगे नहीं बढेगी। मुखिया हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

आयकर विभाग में तबादलों की सुगबुगाहट

आयकर विभाग में इन दिनों बडे पैमाने पर तबादले होने की सुगबुगाहट है। जाहिर है जोड तोड़ भी तेजी पर है। बताया जाता है कि इन प्रस्तावित तबादलों मे सबसे ज्यादा मध्य रेंज के प्रभावित होने की संभावना है।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।