Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

मध्यप्रदेश के भाजपा संगठन में किसी बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट है। विधानसभा चुनाव से पहले यह संभव लग रहा है। भाजपा के शीर्ष से रिसी खबरें बताती है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को बदला जा सकता है। बताया गया है कि मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के बड़े नेता वीडी शर्मा के कामकाज के तरीकों से खुश नजर नहीं आ रहे हैं। इस बार भाजपा ऐसी स्थिति में भी नहीं है कि आसानी से चुनाव फतह कर ले।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

ऐसी स्थिति में भाजपा को फिर नरेंद्र तोमर में संभावना नजर आ रही है। उन्हें फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाकर चुनाव की बागडोर सौंपी जा सकती है। दो बार के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र तोमर ही अध्यक्ष थे और भाजपा ने चुनाव जीता था। इस बार भाजपा कोई रिस्क भी लेना नहीं चाहती, इसलिए उसे तोमर ही सबसे सही संभावना नजर आ रही है। वे पार्टी के गंभीर नेता हैं और प्रदेश के कोने-कोने की राजनीति को समझते भी हैं। उन्हें कभी बेवजह बयानबाजी करते भी नहीं देखा गया। उनका अंतर्मुखी स्वभाव और गंभीरता उनकी राजनीतिक कार्यशैली में भी नजर आता है। इन सारे कारणों और नए समीकरणों को देखते हुए लग रहा है कि भाजपा की बागडोर उन्हें ही सौंपी जा सकती है।

उमा भारती की हरकतें और सरकार, संगठन की खामोशी!

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों पूरे फॉर्म में हैं। लेकिन, वे जो कर रही हैं उसे सही नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, उनकी कई कार्यवाही गैर कानूनी है। कभी वे शराब की दुकान पर पत्थर फैंकने लगती हैं, कभी रायसेन के किले के शंकर मंदिर में जबरन घुसने की कोशिश करती है। अब अपनी इसी हरकतों के तहत उन्होंने ओंकारेश्वर के ममलेश्वर महादेव की रेलिंग उखाड़ दी। उनका तर्क था कि शिवलिंग और नंदी के बीच में रेलिंग क्यों लगाई। उन्होंने पुरातत्व विभाग को भी ढेर सारा ज्ञान दिया कि उनके काम और उनकी जिम्मेदारी क्या है और उन्हें क्या करना चाहिए। उमा भारती का कहना था कि मंदिर की व्यवस्था वहां के पंडित के जिम्मे है न कि ये पुरातत्व विभाग का काम है।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

आश्चर्य की बात यह है कि सरकार और भाजपा संगठन इस मामले में चुप्पी क्यों साधे है। शराबबंदी की मांग पर शराब दुकानों पर कहीं भी पत्थर चला देना, केंद्रीय सरकार द्वारा लगाई गई रेलिंग को तोड़कर अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से धौंस देना कि जाइए मेरे खिलाफ FIR कराइए, कानूनी नजरिये से गलत है। फिर, क्या कारण है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती! सरकार और संगठन के चुप रहने से उनकी हिम्मत बढ़ती जा रही है और वे अब मंदिरों में भी दखलंदाजी करने लगी। क्या सरकार और संगठन की खामोशी का कारण उमा भारती के लोधी वोटर हैं जिनकी वे नेता है! कारण जो भी हो, ये गैरकानूनी हरकत पर अंकुश तो लगना चाहिए!

भतीजे की शादी और कैलाश का बढ़ता कद!

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के भतीजे की शादी का समारोह पिछले दिनों दिल्ली में हुआ। इस समारोह का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस समारोह में आना। उनके आने की घटना ने राजनीति के कई नए समीकरण बना दिए। इस समारोह में कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा सांसद और गौतम अडानी जैसे उद्योगपति भी शामिल हुए। कांग्रेस के कमलनाथ, विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल भी आशीर्वाद देने पहुंचे।

पिछले कुछ दिनों से भाजपा की राजनीति में विजयवर्गीय के कद को लेकर असमंजस जैसे हालात बन रहे थे। लेकिन, प्रधानमंत्री ने विजयवर्गीय के भतीजे की शादी में पहुंचकर उनका कद बढ़ाया, वहीं प्रदेश की राजनीति में एक नई चर्चा को भी जन्म दिया। इस चर्चा का कारण सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को भी समझा जा रहा है। जो लोग उन्हें प्रदेश की राजनीति की मुख्यधारा से हाशिए पर आना समझ रहे थे, उन्हें समझ आ गया कि कैलाश विजयवर्गीय अभी रेस में शामिल हैं।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

प्रधानमंत्री वहां करीब आधे घंटे रूके। उनके साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नढ्ढा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीयूष गोयल, प्रहलाद पटेल, अनुराग ठाकुर, नितिन गडक़री, गजेन्द्रसिंह शेखावत, फग्गनसिंह कुलस्ते, अश्विन चौबे, उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी, पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी इस समारोह में पहुंचकर विजयवर्गीय की हाइट को बढ़ाया।

इस आयोजन का एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि यह वैवाहिक समारोह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के शासकीय निवास 3 कृष्ण मैनन मार्ग पर हुआ इससे सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों से चल पड़ी है कि क्या अब मध्यप्रदेश में नए राजनीतिक नए समीकरण बनते जा रहे हैं।

कमिश्नर तो क्या कलेक्टर भी नहीं बनी यह महिला IAS अफसर!

भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2007 बैच के अधिकारी बेला देवर्षि सिंगार रिटायरमेंट की कगार पर है यानी इसी माह रिटायर हो रही है।

बेला अपने पूरे सेवाकाल में कमिश्नर तो क्या कलेक्टर तक नहीं बन सकीं। जबकि, उनके बैच के साथी सुपर टाइम स्केल न मिलने के बावजूद सम्भागीय कमिश्नर पद को सुशोभित कर रहे हैं । आईएएस के 15 साल के सेवाकाल में भी कोई कलेक्टर न बन सके तो ये आश्चर्य की बात तो है।

IAS

बेला सिंगार महिला आईएएस हैं और आदिवासी हैं। इसलिए उनका कलेक्टर बनने का अपने समकालीन अधिकारियों से कहीं ज्यादा प्रबल दावा था। लेकिन, उन्हें बेवजह साइड लाइन किया गया। उनके बैच के दीपक सिंह ग्वालियर कमिश्नर हैं, ओपी श्रीवास्तव एक्साइज कमिश्नर हैं और अभय वर्मा स्कूल शिक्षा कमिश्नर हैं। इस महिला आईएएस की खुद्दारी माना जाना चाहिए कि उन्होंने कांग्रेस और भाजपा किसी के भी कार्यकाल में खुद को कलेक्टर बनाए जाने की बात नहीं उठाई।

बेला सिंगार की एक पहचान यह भी है कि कांग्रेस की फायरब्रांड नेता रही जमुना देवी की भतीजी हैं। उनके पिता स्व नारायण सिंह सिंगार आईजी थे। आश्चर्य की बात ये कि स्ट्रांग बैकग्राउंड होते हुए सरकार ने उनको तवज्जो नहीं दी। वो भी ऐसी स्थिति में जब सरकार महिला सशक्तिकरण और आदिवासी उद्धार का दावा करती है, पर उसी सरकार के राज में 15 साल पुरानी एक आदिवासी महिला आईएएस बिना कलेक्टर बने रिटायर हो जाती है। बेला एनवीडीए इंदौर में OSD पद से रिटायर हो रही है जहां वे पिछले सवा 2 साल से पदस्थ हैं।
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IPS अधिकारी संजय झा के लिए ‘मंजिलें अभी और भी हैं!’

संजय कुमार झा IPS अधिकारी हैं और हाल ही में उन्हें पुलिस महानिदेशक (डीजी) स्केल में पदोन्नत किया गया है। वास्तव में यह एक बड़ा ओहदा है, पर संजय कुमार झा का लक्ष्य इससे भी आगे जाने का है। ये बात उनकी फेसबुक पोस्ट से नजर भी आती है। उन्होंने जो लिखा उससे लगता है कि उनका सपना प्रदेश के पुलिस महानिदेशक बनने का है। सामान्यतः कोई बड़ा अधिकारी अपने मन की बात को सार्वजनिक नहीं करता, पर लोकायुक्त से कैलाश मकवाना (आईपीएस) को जिस तरह हटाया गया, कई अधिकारी अपने मन की बातों को उजागर करने लगे हैं। संजय कुमार झा की ये पोस्ट उसी तरह की एक स्वीकारोक्ति है।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

अब जरा इंग्लिश में लिखी उनकी फेसबुक पोस्ट का हिंदी तर्जुमा भी पढ़ लीजिए :
Reaching Peak but मंज़िले और भी हैं!
जब कल देर शाम मुझे महानिदेशक (डीजी) के पद पर पदोन्नति का आदेश मिला, तो मुझे लगा कि एडमंड हिलैरी की एवरेस्ट शिखर की तलाश समाप्त हो गई हो।
मैं कभी भी बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी नहीं रहा और न कभी कोई ऊंचा लक्ष्य ही निर्धारित किया। क्योंकि, मेरे लिए दूर के लक्ष्यों की यात्रा अधिक सुखद और सार्थक की अपेक्षा बेचैन करने वाली कोशिश ही है। अगर मैं चार दशक पीछे जाता हूं, तो पाता हूं कि किसी अनजान गांव का एक युवा लड़का कभी इस पद तक पहुंचने की ख्वाहिश भी नहीं रख सकता था। यहां तक कि जब मैं आईपीएस हुआ, तो मेरी आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं की ऊंचाई एसपी बनने से ज्यादा नहीं थी।
लेकिन, मुझे विश्वास है, कि मेरे बाबूजी के निस्वार्थ संत व्यक्तित्व ने मेरे उत्साह और मेरी माँ के कभी न कहने वाले रवैये ने मुझे उस मुकाम पर पहुंचा दिया, जिसके बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। आज बाबूजी की बहुत याद आई। वे मुझे देखकर वास्तव में गौरवान्वित और खुश होते।   भगवान हमेशा मुझ पर बहुत दयालु रहे हैं, और उन्होंने मुझे अपनी उदारता से बहुत कुछ दिया।
पर, आगे क्या? एक प्रसिद्ध कहावत है ‘आप शिखर तक पहुँचने के लिए चढ़ते हैं, लेकिन एक बार वहाँ पहुँचने पर पता चलता है कि सभी सड़कें नीचे की तरफ जाती हैं।’ मैंने हमेशा नीचे से चढ़ने का आनंद लिया, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण आपको पृथ्वी पर ही लाता है।
लेकिन, तब हिलेरी ने खुद कहा था
‘एवरेस्ट की चोटी पर रहते हुए, मैंने घाटी के उस पार देखा। इसने मुझे दिखाया कि भले ही मैं दुनिया के शीर्ष पर खड़ा था, यह अंत नहीं था। मैं अभी भी अन्य दिलचस्प चुनौतियों से परे देख रहा था।’
रास्ते अभी और भी हैं,
मंजिले अभी और भी हैं।
वक्त यही थमा नहीं,
सफलताऐं अभी और भी हैं!

आखिरी पायदान से पहले रिटायर हो रहे IAS शैलेन्द्र सिंह!

एडिशनल चीफ सेक्रेटरी शैलेन्द्र सिंह इस माह रिटायर हो रहे हैं। अब उनकी गिनती भी उन अफसरों में हो गई जो चीफ सेक्रेटरी नहीं बन सके। भारतीय प्रशासनिक सेवा में1988 बैच के शैलेन्द्र सिंह का प्रशासनिक कार्यकाल उल्लेखनीय कहा जाएगा। उन्होंने दिल्ली और भोपाल दोनों स्थानों पर अपने कार्यकाल में कई नवाचार किए जो मील का पत्थर बने। लेकिन, इसके बावजूद वे चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी तक नहीं पहुंचे और एक पायदान नीचे रह गए। जब वे इंदौर में एडिशनल कलेक्टर थे तक एमवाय अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए ‘कायाकल्प’ अभियान चलाया था जो इस अस्पताल के सुधार की प्रक्रिया की शुरुआत थी।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista :क्या इस दिग्गज नेता को फिर मिलेगी प्रदेश भाजपा की कमान

हालांकि यह अभियान तत्कालीन कलेक्टर मोहंती के खाते में गया लेकिन इसके असल शिल्पकार तो शैलेंद्र सिंह ही थे जिन्होंने फील्ड में दिन-रात काम कर इस अभियान को देश में रोशन किया था। इसके बाद भी शैलेन्द्र सिंह जहां रहे, वे कुछ न कुछ नया करते रहे। लोगों का यह मानना रहा है कि अगर कांग्रेस की सरकार सतत बनी रहती तो वह गोपाल रेड्डी के बाद अगले मुख्य सचिव बनते लेकिन शायद उनकी किस्मत में मुख्य सचिव बनना नहीं लिखा था। अब कोई ये सवाल न करे कि कांग्रेस होती तो क्या होता! और कुछ न होता पर शैलेन्द्र सिंह चीफ सेक्रेटरी जरूर हो गए होते!

लंबी जद्दोजहद के बाद ED को मिले दर्जन भर अधिकारी

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लंबी जद्दोजहद के बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) को दर्जन भर अधिकारी मिल गये।। एजेंसी को चार विशेष निदेशक, आधा दर्जन संयुक्त निदेशक और लगभग एक दर्जन उप निदेशक मिले हैं। इन सभी नव नियुक्त अधिकारियों को काम भी बांट दिया गया है।

सरकार के इस फैसले से अभिभावक परेशान

उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों ने इस बड़े दिन के अवकाश में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने और शरद अवकाश जनवरी 2 से 15 तक स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है। अब उन अभिभावकों के सामने बडा संकट खड़ा हो गया है। जब बच्चों की छुट्टी होगी तब उन्हें आफिस जाना होगा। इन सरकारों ने अचानक ऐसा फैसला क्यों लिया? इसके पीछे का कारण अभी अज्ञात है।

केंद्र में सचिव स्तर पर फेरबदल की चर्चा

दिल्ली के सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार केंद्र में संसद सत्र के बाद सचिव स्तर पर फेरबदल किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो करीब आधा दर्जन मंत्रालय और विभाग प्रभावित हो सकते हैं। रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन सचिव का पद पिछले साल नवंबर से खाली पडा है ।

और अंत में केंद्रीय बजट

केंद्र सरकार इन दिनों अगले वित्त वर्ष का बजट बनाने में जुटी हैं। वित्त मंत्रालय में सभी संबंधित पक्षों से बजट पूर्व चर्चा की कसरत पूरी कर ली है। बजट पहली फरवरी को संसद में प्रस्तुत किया जाता है।