Vallabh Bhawan to Vista Corridor: सिंधिया को समझना यानी नए समीकरण में उलझना!

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*सिंधिया को समझना यानी नए समीकरण में उलझना!* 

बहुत कम समय में भाजपा नेता बने ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों मध्यप्रदेश की राजनीति में कुछ ज्यादा ही सक्रिय दिखाई देने लगे हैं। वैसे उनकी सक्रियता तो कई दिनों से नजर आ रही थी, पर माना जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह की अपने ग्वालियर महल में मेजबानी के बाद उनकी सियासी ताकत में इजाफा हुआ है। अमित शाह की मेजबानी के वक़्त प्रदेश के भाजपा नेताओं की भाव भंगिमाएं क्या थी, ये किसी से छुपा नहीं रहा। इसके बाद पिछले दिनों उन्होंने भोपाल में संगठन से जुड़े दो नेताओं के साथ लंबी बैठक की, जिसका कोई लब्बो लुआब बाहर नहीं आया। लेकिन, निश्चित रूप से इसके पीछे कोई न कोई ऐसी बात तो है, जिसकी रिसन नहीं हुई।

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दो महीने पहले जब सिंधिया अपने बेटे आर्यमन के साथ भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से मिलने इंदौर आए थे, तब भी जबरदस्त हलचल हुई थी। उस वक़्त भी कयास लगाए गए थे, पर इस मुलाकात का मंतव्य भी किसी को पता नहीं चला। भाजपा में आने के बाद सिंधिया की अब तक कि राजनीति को कोई समझ नहीं सका है, अब जबकि वे मध्यप्रदेश की राजनीति में नए पांसे चल रहे हैं, उनको समझना फिलहाल तो मुश्किल ही है।

 *सब कुछ वही तो माहौल बदला क्यों नजर आ रहा!*

सरकार वही, सरकार का मुखिया वही, मुखिया के मंत्री वही और नौकरशाह भी वही! लेकिन, माहौल बदला हुआ। ये बात प्रदेश में सभी लोग भी महसूस कर रहे हैं। जिस तरह नौकरशाहों पर लगाम कसी जा रही है और जनता को दिखाया जा रहा है कि सरकार मुस्तैद है, वह इस बात का अहसास करवा रहा है कि चुनाव की नजदीकी से सरकार परेशान है। कलेक्टर, एसपी, खाद्य विभाग के अधिकारियों पर जिस तरह मंच से कार्रवाई हो रही, वो इस बात का संकेत है कि लोगों को लुभाने के लिए सरकार कोई कोशिश नहीं छोड़ रही। ये काम सिर्फ मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं है, मंत्री भी यह सब करने में पीछे नहीं रह रहे। टीकमगढ में जब एक भाजपा विधायक ने मंच पर मौजूद दो मंत्रियों को अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि अफसर हमारी नहीं सुनते, कहते हैं कि जो करना हो कर लो! इसके बाद मंत्री मोहन यादव ने कलेक्टर को उस अफसर पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। ये इस बात का इशारा और चेतावनी दोनों है कि अभी अफसरों को सजग रहना जरूरी है। क्योंकि, चुनाव को सालभर है और अभी ये माहौल ऐसा ही रहेगा।

 *उमा भारती का गुस्सा और सरकार की चुप्पी!* 

भाजपा नेता उमा भारती फिर गुस्से में है। उन्होंने फिर भोपाल में एक शराब दुकान पर अपना गुस्सा निकाला। इस बार बहाना ये रहा कि शराब दुकान का अहाता मंदिर के सामने क्यों है! उमा भारती ने ठेकेदार के साथ भी बदतमीजी की। जबकि, 2 अक्टूबर को जब मुख्यमंत्री ने उन्हें नशा विरोधी अभियान में शामिल किया था, तो लगा था कि अब उनका गुस्सा शांत हो गया है और उनका गुस्सा दुकानों पर नहीं निकलेगा! लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और वे फिर उग्र होकर मैदान में उतर आई।

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भाजपा की इस नेता ने जिस तरह शराब दुकानों को लेकर अपना आंदोलन चला रखा है, वो सरकार की शराब नीति को एक तरह से चुनौती भी है। शराब ठेकेदार जिस तरह दुकानें ऑफ अहाते चला रहे हैं, वो सब सरकार के दिशा निर्देशों के तहत ही किया जा रहा है। फिर क्या कारण है कि उमा भारती अपनी जिद को लेकर दुकानों को लेकर हमलावर हो रही हैं। पहले भी उन्होंने दुकानों पर पत्थर चलाए हैं। उमा भारती की इस तरह की हरकतों पर सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई न होने से उनकी हिम्मत बढ़ रही है। वे जो कर रही हैं वो कानून व्यवस्था हाथ में लेने जैसा कदम है। यदि यही हरकत कोई और करता तो उसके खिलाफ अब तक कार्रवाई हो जाती, फिर उमा भारती को क्यों बक्शा जा रहा है। क्या उमा भारती कानून से ऊपर है या सरकार उनके गुस्से से भयभीत है!

चर्चित IAS अधिकारी अशोक खेमका एक बार फिर चर्चा में

चर्चित IAS अधिकारी अशोक खेमका एक बार फिर चर्चा में है। अपने एक ट्वीट के माध्यम से उन्होंने अपने बैच के उन साथियों को बधाई दी है जो केंद्र में सचिव नियुक्त हुए हैं। ट्वीट में उन्होंने कहा है कि सीधे खड़े पेड़ों को ही पहले काटा जाता है। मुझे अब कोई मलाल नहीं है। मैं अपना काम करता रहूंगा।

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खेमका 1991 बैच के हरियाणा काडर के IAS अधिकारी है। उनके बैच के चार IAS अधिकारी सचिव नियुक्त हुए हैं ।इनमें मध्य प्रदेश काडर के मनोज गोविल भी शामिल है जिन्हें कार्पोरेट मामलों का सचिव बनाया गया है।

*केंद्र में MP के एक सचिव रिटायर तो दो नए सचिव बने*

मध्य प्रदेश काडर के एक IAS अधिकारी केंद्र में इस महीने सचिव पद से रिटायर हो रहे हैं। लेकिन सुखद बात यह है कि दो अन्य को केंद्र में सचिव नियुक्त किया गया है। रेकॉर्ड तीन साल तक कोयला सचिव रहने के बाद अनिल जैन 31 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। अलका उपाध्याय को सड़क परिवहन मंत्रालय का सचिव और मनोज गोविल, कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव होंगे। उपाध्याय 1990 और गोविल 1991 बैच के IAS अधिकारी है।

*एक साथ 15 IAS बने सचिव*

एक महीने के अंदर केंद्र सरकार में हुए बड़े प्रशासनिक फेरबदल में 15 IAS अधिकारियों को सचिव बनाया गया है। इनमे से चार ऐसे IAS अधिकारी है जो अपने काडर में थे। तीन अपर सचिव को पदोन्नति के बाद सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। शेष केंद्र में ही अन्य पदों पर थे।

सरकार अब इस वरिष्ठ महिला IPS अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नही करेगी

भारतीय पुलिस सेवा में 1988 बैच के वरिष्ठ अधिकारी रश्मि शुक्ला के लिए यह अच्छी खबर है कि महाराष्ट्र सरकार ने उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का फैसला लिया है। उनके खिलाफ 2020 मे कुछ नेताओं के कथित फोन टेपिंग का मामला मुम्बई के कोलाबा थाने और पुणे पुलिस ने दर्ज किया था। पुणे पुलिस ने उनके खिलाफ मामला पहले ही बंद कर दिया था।

कोलाबा मामले में सरकार ने जांच की अनुमति देने से मना कर दिया। शुक्ला उन दिनों राज्य इंटेलीजेंस की प्रमुख थीं। वे मार्च 2016 से जुलाई 2018 तक पुलिस आयुक्त, पुणे थी। शुक्ला वर्तमान में केंद्रीय पुलिस बल मे तैनात है।

Harassment At Workplace: महिला IPS अधिकारी का तबादला

कर्नाटक सरकार में बेंगलुरु की डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस निशा जेम्स का तबादला कर दिया है। वे 2013 बैच की भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी हैं। बताया गया है कि उनके खिलाफ उनके अधीनस्थ स्टाफ ने उनका वर्कप्लेस पर हैरेसमेंट का आरोप लगाया है।

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यह भी पता चला है कि उनके खिलाफ इन्हीं मामलों को लेकर डिपार्टमेंटल इंक्वायरी भी की जाएगी। भारतीय पुलिस सेवा की 2014 बैच के अधिकारी डीएम लक्ष्मी प्रसाद को उनके स्थान पर बेंगलुरु का नया डिप्टी कमिश्नर पुलिस बनाया गया है। जेम्स को इंटरनल सिक्योरिटी डिपार्टमेंट का एसपी बनाया गया है।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।