

ट्रंप की टैरिफ़ की छाया में वेंस की भारत यात्रा
एन के त्रिपाठी
अमरीका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर हैं। उनकी आवभगत में सामान्य सौजन्य और शिष्टाचार से बढ़ कर उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया। वे भारत में पर्यटन और सौजन्य के साथ टैरिफ़ पर ट्रंप की नवीनतम सोच मोदी को बताने आए हैं। पूर्व में ट्रंप की टैरिफ़ पर घोषित नीति की आहट लगते ही भारत अमेरिका के प्रति अत्यधिक विनम्र और समझौतावादी बन गया। फ़रवरी में सबसे पहले पहुँचने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों में मोदी ने शीघ्र एक व्यापक समझौते की बात कही। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय अधिकारी अंतरिम तथा अंतिम समझौते के लिए वार्ता में लगे है। अमेरिका को भारत से व्यापार में होने वाले वार्षिक $41.18 बिलियन के घाटे को भारत को पूरा करना है। इसके लिए भारत रक्षा उपकरण और न्यूक्लियर रिएक्टर प्लांट आयात करने के लिए लगभग तैयार है। न्यूक्लियर लायबिलिटी क़ानून को भी ढीला किया जाएगा।
ट्रंप की टैरिफ़ से विश्व व्यापार में झंझावात आ गया है। पूर्व में मैक्सिको, कनाडा और चीन पर लगाए गए टैरिफ़ के अतिरिक्त 2 अप्रैल को तथाकथित लिबरेशन डे पर अमेरिका ने सभी विश्व के व्यापारिक संबंध के देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगा दी। चीन पर अभूतपूर्व 145% टैरिफ़ लगायी गई तथा चीन के उलट वार करने पर इसे 245% कर दिया गया। एल्यूमीनियम, स्टील और ऑटोमोबाइल इत्यादि पर अलग से सभी पर टैरिफ़ लगायी गई है। अमेरिका सहित विश्व के शेयर मार्केट गिरने पर ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी देशों को तीन माह की छूट दे दी है। यह सही है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका ने अपने प्रभुत्व तथा पूरे विश्व के प्रति उदारवादी दृष्टि रखते हुए बहुत कम टैरिफ रखी थी, जिससे चीन सहित पूरे विश्व को अभूतपूर्व लाभ हुआ। परन्तु अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ता गया। पिछले वर्ष विश्व के साथ व्यापार में उसका $918.4 बिलियन का घाटा था। ट्रंप से पहले अमेरिका की औसत टैरिफ 2.5% थी, जो अप्रैल के बाद औसत 27% हो गई है। ट्रंप अमेरिका में 1980 से टैरिफ़ बढ़ाने की बात कर रहे हैं। अपने प्रथम कार्यकाल में उन्होंने टैरिफ़ की दरें बढ़ाने का कुछ कार्य किया था। अपने इस कार्यकाल में उन्होंने शत्रु और मित्र के साथ समभाव से दंडात्मक टैरिफ लगाई है ।
स्वयं ट्रंप अपने टैरिफ लगाने के उद्देश्य में बहुत स्पष्ट और आश्वस्त हैं। उनका सर्वोपरि उद्देश्य संरक्षणवाद है। इसमें उनकी कुछ समय पश्चात अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाकर स्थानीय बाज़ारों में भाव घटाने की योजना है। टैरिफ की धमकी देकर कर अमेरिका दूसरे देशों से अच्छी ट्रेड डील भी करना चाहता है।ट्रंप टैरिफ बढ़ा कर अमेरिका की अतिरिक्त आय बढ़ाना चाहते है, जिससे आंतरिक टैक्स घटाये जा सके। अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है। वह चीन की प्रगति को अवरुद्ध करने के लिए टैरिफ़ का प्रयोग कर रहा है। उसने इसके लिए विश्व के अन्य देशों को भी चीन का साथ न देने की चेतावनी दे दी है। ट्रम्प ने अमेरिका की जनता को तात्कालिक कठिनाइयों में धैर्य रखने के लिए कहा है।
अमेरिका अपनी भू-राजनैतिक भूमिका को समेटना चाहता है। यूरोप के नैटो और इंडो-पैसिफिक के क्वाड में उसकी रुचि घट रही है। यह भारत के लिए चिंताजनक है। ट्रंप चीन के विरुद्ध प्रतिद्वंद्विता में अब भारत की कोई विशेष भूमिका नहीं देख रहे हैं।
वेंस की यात्रा की मधुरता का आपसी कूटनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत को अपने सामर्थ्य पर ही विश्वास करना होगा। भारत की तेज गति से हो रही प्रगति में कुछ बाधा भी आ सकती है।भारत को अब राजनैतिक साहस करके लंबित भूमि और श्रमिक सुधार शीघ्र करने होंगे। उद्योग, व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय निवेश में छोटी बड़ी नौकरशाही का हस्तक्षेप समाप्त करना होगा। भारत के लिए यह अवसर की भी घड़ी है। पूर्व में भारत अनेक अवसर गंवा चुका है, परन्तु अब अवसर गंवाना नहीं चाहिए।