
‘वंदे मातरम’ और पश्चिम बंगाल…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
पश्चिम बंगाल में 294 सीट के लिए मार्च-अप्रैल 2026 में विधानसभा चुनाव होना है। यह चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है। इस चुनाव को राज्य की सत्ता पर फिर से कब्जा जमाने की कोशिश कर रही सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी दलों के लिए एक निर्णायक युद्ध के रूप में देखा जा रहा है। मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी जहां लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, वहीं भाजपा, वाम दल और कांग्रेस भी नए गठबंधनों और रणनीतियों के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। और इसी बीच संसद में 150 साल पूरा होने पर वंदेमातरम पर बहस ने बंगाल चुनाव का मानो शंखनाद कर दिया है। मोदी ने वंदेमातरम के जरिए नेहरू, जिन्ना और कांग्रेस पर निशाना साधा है। तो कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इसे मोदी की पश्चिम बंगाल चुनाव के संदर्भ में मुख्य मुद्दों से भटकाने की रणनीति बताई है। हालांकि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस
कोई करिश्मा करने की स्थिति में नहीं है लेकिन नेहरू-जिन्ना के नाम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहीं न कहीं सीधे ममता बनर्जी को भी कटघरे में खड़ा कर बंगाल में अपने राजनीतिक हितों को साधने की तैयारी में हैं। वंदेमातरम संग सुभाष चंद्र बोस और बाबरी मस्जिद की एंट्री ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को असहज करने की पूरी कोशिश की है। हुमायूं कबीर ने यूटर्न लेकर यह तय कर लिया है कि वह विधायक पद से इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में ममता बनर्जी मानसिक रूप से चक्रव्यूह में घिरती जा रही हैं। हालांकि ममता के दिमाग को चुनौती दे पाना इतना सहज भी नहीं लगता है। तो मोदी के मन की बात समझ पाना भी बहुत कठिन है।
‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने के मौके पर 8 दिसंबर 2025 को लोकसभा में इस पर चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से हुई। मोदी ने इस चर्चा के दौरान महात्मा गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना का जिक्र किया। मोदी ने सवाल किया कि जब बापू को ‘वंदे मातरम नेशनल एंथम के रूप में दिखता था तो इसके साथ अन्याय क्यों हुआ?’
साथ ही उन्होंने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम के ख़िलाफ़ सवाला उठाया था और जवाहरलाल नेहरू ने ‘वंदे मातरम की जांच शुरू की थी।’
वहीं विपक्ष ने स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे पर चर्चा को लेकर कहा कि ‘देश का ध्यान जरूरी मुद्दों से भटकाने के लिए सदन में बहस की जा रही है।’
“जिन्ना के विरोध के पांच दिन के बाद ही 20 अक्तूबर को नेहरू जी ने नेताजी सुभाष बाबू को चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में जिन्ना की भावना से नेहरू जी अपनी सहमति जताते हुए कहते हैं कि वंदे मातरम की आनंद मठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को उत्तेजित कर सकती है। मोदी ने बताया कि मैं नेहरू जी का वक्तव्य पढ़ता हूं। नेहरू जी कहते हैं- ‘मैंने वंदेमातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है।’ नेहरू जी फिर लिखते हैं- ‘मुझे लगता है कि यह जो बैकग्राउंड है उससे मुस्लिम भड़केंगे’।” मोदी ने कांग्रेस पर ‘वंदे मातरम’ के टुकड़े करने का आरोप लगाया है। मोदी ने आगे बताया कि इतिहास इस बात का गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए और मुस्लिम लीग के दबाव में यह किया। कहा कि कांग्रेस का तुष्टिकरण की राजनीति को थामने का यह तरीक़ा था। तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदेमातरम के बंटवारे के लिए झुकी इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। इस मुद्दे पर बीजेपी और विपक्ष आमने-सामने आ गए।
तो प्रियंका गांधी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने देश की सेवा करते-करते दम तोड़ा था। पीएम मोदी के भाषण पर विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर जवाब दिया है। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने अपनी बात रखी। गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया था। वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने दावा किया कि “देश का ध्यान जरूरी मुद्दों से भटकाने के लिए सदन में ‘वंदे मातरम’ पर बहस की जा रही है।” उन्होंने कहा, “ये सरकार वर्तमान की असलियत छिपाना चाहती है। आज देश बेहद मुश्किल में है। ऐसे में बेरोज़गारी, महंगाई, पेपर लीक जैसे मुद्दों पर सदन में चर्चा क्यों नहीं हो रही? आरक्षण के साथ खिलवाड़ और महिलाओं की स्थिति पर सदन में चर्चा क्यों नहीं हो रही है?” इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने कहा कि “नरेंद्र मोदी जी जितने साल से देश के प्रधानमंत्री हैं, जवाहरलाल नेहरू जी उतने साल देश के लिए जेल में रहे हैं।”
अब वंदेमातरम पर बहस के जरिए इतना ही समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी मुद्दे को बेवजह नहीं उठाते। यह संयोग ही है कि वंदेमातरम के 150 साल पर बहस ठीक बंगाल चुनाव के पहले हो रही है। प्रियंका गांधी की बात की प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता। पर बात फिर वही है पश्चिम बंगाल के मतदाता
किसकी बात को कितनी गंभीरता से लेते हैं…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





