
न्याय की जीत: जुर्म और रसूख पर भारी पड़ा कोर्ट का फैसला, समाज का न्यायपालिका पर बना भरोसा
रुचि बागड़देव की रिपोर्ट
बेंगलुरु। जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना पर आरोप था कि उन्होंने अपने फार्महाउस पर घरेलू सहायिका के साथ दो बार रेप किया, वीडियो बनाया और धमकाया। यह केस जितना हाई-प्रोफाइल था, उतनी ही बड़ी उम्मीद समाज को थी कि क्या सही मायने में कानून सबके लिए बराबर है। अब बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने त्वरित सुनवाई के बाद प्रज्वल को उम्रकैद और 11 लाख रुपये मुआवजे की सजा सुनाकर साबित कर दिया कि न्याय कभी किसी नाम या रसूख के आगे छोटा नहीं पड़ता।
जनता दल सेक्युलर के पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को बेंगलुरु की विशेष अदालत ने 48 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ रेप व यौन उत्पीड़न के मामले में उम्रकैद और 11 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
पीड़िता ने साहस दिखाकर अदालत तक अपनी आवाज पहुंचाई और SIT की गहरी जांच, फोरेंसिक सबूत (साड़ी, स्पर्म, वीडियो क्लिप) और 123 दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ 23 गवाहों की गवाही ने सच को उजागर किया। केवल 14 महीने में हुए निष्पक्ष ट्रायल और फैसले ने इसे मिसाल बना दिया।
रेवन्ना के सारे तर्क और रसूख अदालत के सामने टिक नहीं सके। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्याय सबके लिए है, और किसी के पद, पैसे या नाम से सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती।
यह फैसला हर उस पीड़ित के लिए उम्मीद है, जो सालों से इंसाफ का इंतजार करता रहा है, साथ ही यह भी सिद्ध होता है कि जब न्यायपालिका ईमानदारी से काम करती है, तो समाज का भरोसा पहले से भी मजबूत हो जाता है।
एक नजर में-
1- भारतीय अदालत ने रसूखदार आरोपी को त्वरित सुनवाई के बाद उम्रकैद की सजा दी।
2- साहसी पीड़िता और मजबूत जांच ने केस को मजबूती दी; कोर्ट ने सख्ती से फैसला दिया।
3- फैसले ने पूरे देश को यह भरोसा दिलाया कि कानून सबके लिए बराबर है।
4- न्यायपालिका की निष्पक्षता और फैसले की रफ्तार हर पीड़ित के लिए उम्मीद की नई किरण बनी।
5- इस केस ने समाज के भरोसे और कानून की गरिमा को और ऊंचा किया।





