
Vidhansabha Session: MP में 4 दिन के विधानसभा सत्र के लिए 194 ध्यानाकर्षण, डेढ़ हजार सवाल
बिगड़ती कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भावांतर में नुकसान को लेकर उठेंगे सवाल
भोपाल. इस बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र बेहद छोटा मात्र चार दिनों का है लेकिन इस छोटे सत्र के लिए भी विधायक काफी सक्रिय है। पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने सत्र के लिए 194 ध्यानाकर्षण सूचनाएं भेजी है। वहीं एक हजार 497 सवाल भी इस सत्र के लिए आ गए है।
सत्र के दौरान दस हजार करोड़ से अधिक का अनुपूरक बजट भी पेश होगा जो मंगलवार को सदन में पेश किया जाएगा। इस बार भी विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को बिगड़ती कानून व्यवस्था, बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, फसल नुकसान, भावांतर में किसानोें को हो रहे नुकसान को लेकर घेरने की तैयारी की है।
विधानसभा का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरु हो रहा है और पांच दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। इसमें भी तीन दिसंबर को अवकाश रहेगा याने पांच दिवसीय सत्र में केवल चार दिन ही सदन की बैठकें होंगी। पहले दिन निधन के उल्लेख के बाद विधानसभा की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित होगी इसके बाद पहले दिन भी प्रश्नोत्तर और शासकीय कार्य किए जाएंगे। मंगलवार और गुरुवार को भी सवाल-जवाब और शासकीय कार्य होंगे। सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को प्रश्नोत्तर, शासकीय कार्य और अशासकीय कार्य किये जाएंगे।
इस बार विधानसभा सत्र के लिए 751 तारांकित और 746 अतारांकित सवाल आए है। ऑनलाइन सवाल पूछने वाले विधायकोंं की संख्या बढ़ी है इस बार विधायकों ने 907 सवाल ऑनलाइन और 590 सवाल ऑफलाइन पूछे है।
आमतौर पर हर दिन केवल दो ध्यानाकर्षण सूचनाएं चर्चा के लिए ली जाती है और अध्यक्ष की अनुमति से चार ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा की जा सकती है। सत्र के अंतिम कार्य दिवस में सारे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लिए जाते है। इनमें से चार पर चर्चा होती है और बाकी प्रस्तुत हुए मान लिए जाते है। इनके लिखित जवाब संबंधित मंत्री लिखित में देते है। लेकिन इस बार चार दिन की बैठकों के लिए कुल 194 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आए है। शून्यकाल की 52 सूचनाएं भी इस बार है।
अशासकीय संकल्प 14 आए है। नियम 139 के तहत दो विषयों पर चर्चा होगी। विनियोग विधेयक सहित दो विधेयकों की सूचना अब तक सचिवालय के पास आई है। अध्यादेश अब तक एक आया है। पंद्रह याचिकाए भी विधायकों ने लगाई है। विधेयकों के संबंध में और प्रस्ताव आते है तो आधा दर्जन विधेयक भी इस बार सदन में चर्चा के लिए पेश किए जाएंगे।
समय कम, काम ज्यादा
विधानसभा का सत्र आमतौर पर सुबह 11 बजे प्रारंभ होता है और शाम पांच बजे तक सदन की कार्यवाही चलती है। बीच में एक घंटे का भोजनावकाश भी होता है। इस हिसाब से चार दिन के सत्र में बीस घंटे का समय चर्चा के लिए है। यदि पक्ष-विपक्ष सहमत हो और काम अधिक होंने पर अध्यक्ष की अनुमति से रात 11 बजे तक भी सदन की कार्यवाही संचालित की जा सकती है। सामान्य तौर पर प्रश्नकाल एक घंटे का ही होता है।
इसमें भी पहले दिन निधन के उल्लेख, चर्चा और उसके बाद दस मिनट कार्यवाही स्थगित करने के कारण आधा घंटा उसमें निकल जाएगा। याने सवालों पर चर्चा के लिए साढ़े तीन घंटे का ही समय है। चर्चा में हर दिन पच्चीस सवाल लिए जाते है। चर्चा लंबी न खिचे तो भी बीस से अधिक सवालों पर चर्चा नहीं हो पाती।
इसी तरह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रोजाना दो लिए जाते है। अध्यक्ष की अनुमति से एक दिन मे चार और कई बार छह ध्यानाकर्षण पर चर्चा हो जाती है। अंतिम दिन सारे ध्यानाकर्षण पेश किए हुए माने जाते है। लिखित जवाब पेश कर दिए जाते है। ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा में न्यूनतम दस मिनट लगते है। अधिकतम चर्चा कई बार काफी लंबी भी हो जाती है। इसलिए सवाल, ध्यानाकर्षण पर चर्चा के लिए भी यह समय कम है।





