SIT Constituted in Vijay Shah Case : DGP ने मंत्री विजय शाह केस में 3 IPS अफसरों की SIT गठित की, जांच के प्रमुख बिंदू तय!

जानिए किन IPS अफसरों को इसमें शामिल किया गया!

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SIT Constituted in Vijay Shah Case : DGP ने मंत्री विजय शाह केस में 3 IPS अफसरों की SIT गठित की, जांच के प्रमुख बिंदू तय!

Bhopal : 12 मई को महू के रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताने वाले मंत्री विजय शाह के मामले की जांच के लिए मप्र सरकार ने SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी SIT में तीन सदस्य रखे गए हैं, जो IPS हैं।

इस SIT में सागर के आईजी प्रमोद वर्मा, डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती और डिंडौरी एसपी वाहिनी सिंह होंगे। यह SIT इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने SIT बनाने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी के साथ यह शर्त जोड़ी थी कि इसमें वे IPS अधिकारी रखे जाएं, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी नहीं हों, यानी किसी अन्य राज्य के हों।

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मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाने के आदेश दिए। इसमें तीन IPS अधिकारी हैं, जिनमें एक IG और बाकी दो SP लेवल के अफसर होंगे। इनमें एक अधिकारी महिला होना अनिवार्य था। कहा गया था कि सभी अफसर मध्य प्रदेश कैडर के हो सकते हैं। लेकिन, राज्य के मूल निवासी नहीं होने चाहिए। SIT 28 मई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी। इस आदेश के तहत स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम में मप्र कैडर के ऐसे तीन अफसर को लिया गया है, जिनमें दो राजस्थान के और एक आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14 मई को शाह के बयान पर नोटिस लेते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ इंदौर के महू थाने में FIR दर्ज की गई थी। इसके खिलाफ शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

*SIT जांच के प्रमुख बिंदु*
गठित एसआईटी विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी के पीछे के इरादे और उसके प्रभाव की जांच करेगी। गठित एसआईटी यह निर्धारित करने की भी कोशिश करेगी कि क्या विजय शाह की टिप्पणी आपराधिक मामला बनती है और क्या इसके लिए उन्हें दंडित किया जा सकता है! इसके अलावा एसआईटी मामले से जुड़े तथ्यों की जांच करेगी और यह निर्धारित करने की भी कोशिश करेगी कि क्या विजय शाह की टिप्पणी सेना के अधिकारियों के प्रति अपमानजनक थी और क्या इससे सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।