शाही किरकिरी करा रहे विजय शाह…

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शाही किरकिरी करा रहे विजय शाह…

कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट

भारत का गौरव कर्नल सोफिया कुरैशी पर भद्दा बयान देने के बाद इस्तीफा न देने पर अड़े मंत्री विजय शाह मध्यप्रदेश की शाही किरकिरी कराने में तनिक भी शर्मिंदा नहीं हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान देने वाले मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के खिलाफ महू के मानपुर थाने में 14 मई 2025 को देर रात एफआईआर दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद कमजोर एफआईआर करने पर मध्यप्रदेश पुलिस को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। तो इस मामले को लेकर मंत्री सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए, जहां से उन्हें भी फटकार मिली है। 15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह को फटकार लगाते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को तब और जिम्मेदार होना चाहिए जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें पता होना चाहिए कि वह क्या कह रहे हैं। और यह सब ज्ञान तो विजय शाह को भी है कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती कर दी है। पर पद का मोह शायद धृतराष्ट्र बनने को मजबूर कर देता है। और यही हाल विजय शाह का हो गया है जो जीवन भर सत्ता का भोग करने के बाद भी अपने दल भाजपा और मध्यप्रदेश सरकार को बैकफुट पर धकेलने पर आमादा हैं। जबकि यह बात विजय शाह को बखूबी मालूम है कि वह भद्दी बयानबाजी के मामले में आदतन अपराधी की श्रेणी में आते हैं। और सजा के बतौर उन्हें पहले भी मंत्री पद से बाहर किया जा चुका था। पर विजय शाह मान मनौव्वल और माफी के बाद फिर शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल होकर ही माने थे। ऐसी ही वापसी के खेल में शाह का हौसला इतना बढ़ा कि अब मोदी और सोफिया कुरैशी जैसी अफसर को भी नहीं बख्शा और पूरे देश-दुनिया में मध्यप्रदेश और भाजपा के नाम पर कालिख ही पोत दी। यहां तक कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ट्वीट कर शाह के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का फरमान जारी करना पड़ा। जब मुखिया भी नाराज है, तब भी विजय शाह तनिक भी परवाह करने को राजी नहीं हैं। हो सकता है कि शाह को यह लग रहा हो कि उनकी मर्जी…वह जो चाहें, वह करने को आजाद हैं।

भाजपा ने विजय शाह को क्या-क्या दिया, इस पर एक नजर डाली जा सकती है।कुंवर विजय शाह वर्तमान में मध्य प्रदेश शासन में जनजातीय कार्य विभाग,लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग,भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में मंत्री हैं। बी-2, श्यामला हिल्स उन111का सरकारी आवास है। 01 नवम्बर, 1962 को मकड़ाई, जिला हरदा में जन्मे विजय शाह फिलहाल 62 साल 6 माह 15 दिन की उम्र पूरी कर चुके हैं। परिवार में पत्नी भावना शाह और एक पुत्र है। इतिहास में एम.ए. और पीएचडी विजय शाह की यह खूबी मानी जा सकती है कि अतीत की गलतियों से सीख लेने की उन्होंने कभी कोई तकलीफ नहीं उठाई। कृषि एवं गैस एजेंसी, वेयरहाउस जैसे व्यवसाय उन्हें आर्थिक मदद करते है। जनसेवा, पर्यटन, तैराकी उनके शौक हैं। सार्वजनिक एवं राजनीतिक जीवन पर गौर करें तो इंदौर क्रिश्चिन कालेज के छात्र संघ में उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संबद्ध रहे। और इंदौर में महाविद्यालयीन चुनाव के संचालक भी रहे। वर्ष 1990 में 9, 1993 में 10वीं एवं 1998 में 11वीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। प्रत्यायुक्त विधान समिति, पुस्तकालय समिति, प्राक्कलन समिति, नियम समिति एवं पर्यटन और पुनर्वास विभाग की परामर्शदात्री समितियों के सदस्य रहे। कुँवर विजय शाह वर्ष 2003 में 12वीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे सभापति विशेषाधिकार समिति में रहे। मंत्री, संस्कृति एवं पर्यटन, आदिम जाति व अनुसूचित जाति कल्याण (अनुसूचित जाति कल्याण छोड़कर), ग्रामोद्योग, वन, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण (केवल आदिम जाति कल्याण) तकनीकी शिक्षा, सामान्य प्रशासन, उच्च शिक्षा तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग रहे। वे वर्ष 2008 में 13वीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए एवं मंत्री, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण रहे, वर्ष 2013 में 14वीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित एवं मंत्री खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण तथा स्कूल शिक्षा विभाग रहे। कुँवर विजय शाह वर्ष 2018 में 7वीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए और दिनांक 2 जुलाई, 2020 को वन मंत्री बने। वे वर्ष 2023 में 8वीं बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं।

तो 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने विजय शाह पिछले 34 साल से संवैधानिक व्यवस्था में विधायक हैं तो बीस साल से अधिक समय से मंत्री पद पर रहकर सत्ता में सीधी भागीदारी कर रहे हैं। विवादित बोलों का उनका साथ शुरू से रहा है। और अब उनकी यही आदत उनके गले की फांस बन गई है। पर विजय शाह हैं कि इस्तीफा देने को राजी नहीं हो रहे हैं। और लगता यही है कि अब मोहन सरकार को विजय शाह को धक्का देकर मंत्री पद से हटाना पड़ेगा। पर हटने से पहले शायद भाजपा के सहारे सत्ता के साधक बने विजय शाह भाजपा, मोहन सरकार और मध्यप्रदेश की शाही किरकिरी कर चुके हैं…इसकी उम्मीद न भाजपा को रही होगी, न मोहन सरकार को और न ही 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए विजय शाह से ठीक छह साल बड़े मध्यप्रदेश को ही…।