

Vikramotsav 2025 : भारतीय शास्त्र संसार की न्याय व्यवस्था के लिये प्रकाशपुंज : कैलाश व्यास
Ratlam/Ujjain : भारतीय शास्त्रों में न्याय व्यवस्था के बारे प्रतिपादित सिद्धांतों ने दुनिया की न्याय व्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं, अपने 100 वर्षीय कार्यकाल में न्याय के जो सिद्धान्त विक्रमादित्य कालीन साहित्य, लोक-परंपराओं में उल्लेखित है, आज भी वे विभिन्न रूपों में दुनिया की न्याय व्यवस्था के आधार स्तम्भ बने हुए हैं।
यह बात विक्रमोत्सव 2025 के तहत आयोजित वैचारिक संगोष्ठी में रतलाम के पूर्व उपसंचालक अभियोजन, वरिष्ठ साहित्यकार, शिक्षाविद तथा मंच संचालक कैलाश व्यास ने अपने उद्बोधन में कहीं।
उन्होंने कहा कि दंड का सुधारात्मक सिद्धांत, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं समानता का अधिकार, महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष संरक्षण की व्यवस्था आदि अनेक सिद्धांत उल्लेखनीय हैं। विक्रमादित्य एक प्रतापी, दयालु और सर्वथा न्यायप्रिय सम्राट के रूप में भारतीय जनमानस के हृदय पटल पर सदियों से शोभायमान हैं। उसी उज्जवल और पावन परंपरा में देवी अहिल्याबाई का नाम भी अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। व्यास ने सन्दर्भों का उल्लेख करते हुए बताया कि उस काल में रचित विचारों की प्रतिध्वनि रवींद्रनाथ टैगोर, फैज अहमद फैज, शिवमंगल सिंह सुमन , अजहर हाशमी आदि अनेक रचनाकारों में सुनाई देती हैं!