Vikrant Bhuria’s Press Conference : गुजरात के सीमावर्ती 3 जिलों में शराब का ठेका ₹400 करोड़ के क्यों, आदिवासी क्षेत्रों में महुआ छोड़कर सभी शराब बंद हो!

सरकार धार्मिक स्थलों पर शराबंदी की बात करती हैं, पर आदिवासी क्षेत्रों को शराब का अड्डा बना दिया! देखिए, प्रेस कांफ्रेंस का वीडियो

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Vikrant Bhuria’s Press Conference : गुजरात के सीमावर्ती 3 जिलों में शराब का ठेका ₹400 करोड़ के क्यों, आदिवासी क्षेत्रों में महुआ छोड़कर सभी शराब बंद हो!

Bhopal : प्रदेश में एक बार फिर शराब पर सियासत शुरू हो गई। कांग्रेस ने प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में महुआ छोडकर हर तरह की शराब को बंद करने की मांग की। आरोप है कि सरकार ने आदिवासी इलाकों को शराब का गढ़ बना दिया। जिससे प्रदेश में आने वाली पीढियां खराब हो रही है।

आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक डॉ विक्रांत भूरिया ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में डी-3 मुहिम चल रही है, जिसका मतलब है दहेज, दारू और डीजे के खिलाफ अभियान। इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि धार कलेक्टर का लेटर है कि नकली होलोग्राम से शराब का कारोबार हो रहा है। जब शराब पकड़ी जाती है, तो कार्रवाई ड्राइवर पर होती है। ठेकेदारों, मालिक पर एक्शन नहीं होता।

उन्होंने कहा कि यह धार्मिक स्थलों पर शराबंदी की बात करते हैं, पर आदिवासी क्षेत्रों को शराब का अड्डा बना दिया गया। उन्होंने मध्यप्रदेश में शराबबंदी की मांग की है। विक्रांत ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में महुआ की शराब को छोड़कर हर तरह की शराब बंद हो। क्योंकि, महुआ शराब पूजा पाठ में उपयोग होती है। उन्होंने आगे कहा कि झाबुआ-अलीराजपुर में शराब का ठेका 400 करोड़ का है। गरीब जिले में इतना मंहगा ठेका कैसे हो रहा है? अगर इतना महंगा ठेका हो रहा है तो हर आदमी क्या एक लाख की शराब पी रहा है! मध्यप्रदेश में हालत लगातार बिगड़ रहे हैं, गरीब पिस रहा है। शराब की खेप गुजरात तक जा रही है, जो ड्राय स्टेट है। प्रदेश सरकार जनता, आदिवासियों का शोषण करने वालों के साथ है। जोबट में एक करोड़ की शराब पकड़ी गई है।

विक्रांत भूरिया ने कहा कि धार कलेक्टर का लेटर है, जिसमें उन्होंने खुद ये बात लिखी कि नकली होलोग्राम से शराब का कारोबार हो रहा है। जब अवैध शराब पकड़ी जाती है तो परिवहन करने वाले वाहन के ड्राइवर पर कार्रवाई होती है। लेकिन, ठेकेदारों और उस शराब के असली मालिक पर एक्शन नहीं होता। शराब की खेप गुजरात तक जा रही है जो ड्राय स्टेट है। यानी गुजरात में शराब बंदी लागू है, लेकिन शराब की अवैध सप्लाई मप्र से जा रही है। सरकार आदिवासियों का शोषण करने वालों का साथ दे रही है। जोबट में एक करोड़ की शराब पकड़ी गई थी, लेकिन उसके असली मालिकों तक पुलिस और आबकारी विभाग नहीं पहुंच पाया।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा शराब का सिंडिकेट हमारे पश्चिम मध्यप्रदेश में काम कर रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हमारे झाबुआ, अलीराजपुर में शराब का ठेका 400 करोड़ रुपए का है। जो जिले गरीबी रेखा की सूची में सबसे नीचे देखा जाता है। जो इतना गरीब जिला है वहां इतनी शराब की बिक्री दिखा रहे हैं। उतने में तो हर व्यक्ति एक-एक लाख की शराब पी जाए। इस बड़े सिंडिकेट का हिस्सा खुद सरकार है।