VIPs & Followers of Ambedkar : अतिविशिष्ट की भीड़ में पीछे छूटे अंबेडकर के अनुयायी!
महू से दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट
Mhow : अंबेडकर जयंती पर महू आने वाले अनुयायियों को राजनीतिक हस्तियों के कारण कई तरह की तकलीफों से गुजरना पड़ रहा है। पिछले दो साल से आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। इस बार तो राजनीतिक वीआईपी की संख्या इतनी ज्यादा रही कि व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए जन्मस्थली पर बैठे अनुयायियों को मजबूरी वश बाहर निकलना पड़ा।
हैरानी की बात ये है कि जिस संकरे स्थान पर विशालकाय स्मारक बना है, वहां बची जगह पर हजारों अनुयायियों को नेताओं और उनके समर्थकों के रहते दर्शन कैसे हो पाते होंगे! इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। लेकिन, ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई कि बाहर से आने वाले अनुयायियों को भी आसानी से दर्शन हो पाते!
इस बार तो राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अखिलेश यादव के अलावा भीम सेना के कमांडर समेत कई विशिष्ट लोगों का आगमन हुआ। इन वीआईपी के साथ उनके समर्थकों का भी बड़ा हुजूम होता हैं जिन्हें रोका नहीं जा सकता! प्रोटोकॉल के मुताबिक उनकी व्यवस्था को लेकर दर्शन के अभिलाषी अनुयायी पुलिस के हाथों बार-बार बाहर निकाले गए। जबकि, उनका भी दर्शन का उतना ही अधिकार है, जितना अति विशिष्ट अतिथियों का।
बेहतर होता कि सड़क पर विशाल डोम बना दिया जाता, तो लोग जन्मस्थली स्मारक तक का सफर तय कर लेते। लेकिन, डोम तभी बनाया जाता है, जब मुख्यमंत्री की सभा होती है। आखिर शासन-प्रशासन के अधिकारी जयंती समारोह के पहले दौरे करके ऐसा निर्णय लेते कि भीड़ के बीच विशिष्ट जन और अनुयाई एक साथ कैसे आ जा सकेंगे, तो ठीक होता! महाराष्ट्र से आए कई अनुयायियों को तो अंदर तक आने का मौका ही नहीं मिला।
आज की घटना से सबक लेकर शासन को वीआईपी आगमन का समय निर्धारित करना चाहिए ताकि अंबेडकर के वास्तविक अनुयायियों को अंबेडकर जयंती के दिन निराश होकर न लौटना पड़े, जैसा कि आज हुआ है। जो अंदर तक आ गए थे, उन्हें भी पुलिस ने जिस तरह अपमानित किया, वो चिंता की बात है!