दूसरे चरण में खास हैं विष्णु दत्त शर्मा की खजुराहो सीट …
मध्यप्रदेश में पहले चरण की छह लोकसभा सीटों के लिए नामांकन की तारीख खत्म होने के बाद अब दूसरे चरण की सात सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया 28 मार्च से शुरू हो गई है। पहले चरण की लोकसभा सीटों में जहां छिंदवाड़ा सीट पर सबकी नजरें टिकी थीं, तो अब दूसरे चरण की सात लोकसभा सीटों में खजुराहो संसदीय क्षेत्र पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। मध्यप्रदेश में दूसरे चरण में टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद, बैतूल लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान होना है। खजुराहो सीट कई मायने में खास है। पहली वजह यह कि यहां से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और यहीं से सांसद विष्णु दत्त शर्मा चुनाव मैदान में हैं। दूसरी खास वजह यह है कि कांग्रेस ने इंडी गठबंधन के तहत यह लोकसभा सीट सपा को दे दी है। और मुश्किल ही लग रहा है कि सपा को विष्णु दत्त शर्मा के मुकाबले कोई खास चेहरा मैदान में ला सके। यहां तक कि अभषेक बच्चन का नाम यहां से लिया गया। पर सभी आश्वस्त हैं कि खजुराहो से विष्णु दत्त शर्मा को टक्कर देने की क्षमता किसी में नहीं है। तीसरी वजह यह कि विष्णु दत्त शर्मा के चलते इस लोकसभा सीट को देश की हाईप्रोफाइल सीट माना जा रहा है। चौथी वजह यह कि वैसे तो यह सीट भाजपा का गढ़ बन ही गई है, पर विष्णु दत्त शर्मा के यहां से मैदान में होने की वजह से माना जा रहा है कि जीत का नया इतिहास अब यह सीट दर्ज करने जा रही है। उसकी भी खास वजह यह है कि विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट की सभी आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। इसमें भी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का चेहरा खास तौर से चर्चा में रहा है। यह सीट विष्णु दत्त शर्मा के सांसद बनने के बाद इस क्षेत्र और खास तौर पर खजुराहो जैसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के समग्र विकास को लेकर सबकी नजरों में है। और यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर बूथ पर 370 मतों की बढ़ोतरी की अपील पर और सांसद व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की संगठनात्मक क्षमता पर खरा उतरते हुए खजुराहो लोकसभा सीट नया इतिहास रचने को तैयार मानी जा रही है।
खजुराहो मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य का एक लोकसभा क्षेत्र है। वर्तमान में यह पन्ना जिले की सभी तीन विधानसभा, छतरपुर की दो विधानसभा और कटनी जिले की तीन विधानसभा से मिलकर बनी है। खजुराहो लोकसभा सीट में छतरपुर जिले की चंदला और राजनगर, पन्ना जिले की पवई, गुन्नौर और पन्ना एवं कटनी जिले की विजयराघवगढ़, मुड़वारा और बहोरीबंद विधानसभा सीट शामिल हैं। 2008 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद, इस निर्वाचन क्षेत्र का यह नया स्वरूप सामने आया है। इससे पहले तक खजुराहो संसदीय क्षेत्र में टीकमगढ़ और छतरपुर जिला शामिल था। इसमें आठ विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी, जतारा, खरगापुर, टीकमगढ़, बिजावर, छतरपुर, महाराजपुर और चंदला शामिल थे। परिसीमन में टीकमगढ़ (एससी) और खजुराहो अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र बन गए। पुराने खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक चार बार 1984, 1989, 1991 और 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने यहां से प्रतिनिधित्व किया है। परिसीमन के बाद इस सीट पर भाजपा काबिज रही है। 2009 में जितेंद्र सिंह बुंदेला, 2014 में नागेंद्र सिंह और 2019 में विष्णु दत्त शर्मा यहां से विजयी हुए हैं। विष्णु दत्त शर्मा की जीत का अंतर सर्वाधिक रहा है। उन्हें 2019 में 64.49 फीसदी मत मिले थे, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस की कविता सिंह को महज 25.34 फीसदी मत ही मिले थे और जीत का अंतर करीब पांच लाख मतों का था। इससे पहले नागेंद्र सिंह करीब ढाई लाख मतों से जीते थे, तो जितेंद्र सिंह बुंदेला महज 28 हजार मतों से जीत दर्ज कर पाए थे।
तो नामांकन प्रक्रिया के पहले दिन ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने खजुराहो संसदीय क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज कराई। इनके समक्ष छतरपुर जिले के ग्राम बसारी में कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह बुंदेला के पुत्र पूर्व जनपद अध्यक्ष सिद्धार्थ सिंह बुंदेला, सटई नगर परिषद की अध्यक्ष माया राजेश शर्मा, कांग्रेस सेवादल के जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा, पूर्व साडा अध्यक्ष अवध अवस्थी, डॉ. मुराद अली, देवेंद्र प्रताप सिंह दिल्लू राजा, जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लखन दुबे, पूर्व जनपद उपाध्यक्ष इन्द्रदेव सिंह पप्पु राजा, डॉ. महेश सैनी, पंकज गुप्ता, पूर्व जनपद उपाध्यक्ष ओमशरण पटेल सहित 250 से अधिक कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हुए। तो चंदला में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सपा पर सटीक निशाना साधा। कहा कि पांच सौ सालों के इंतजार के बाद भगवान राम का जो भव्य मंदिर अयोध्या में बना है, वह 1947 के बाद ही बन जाना था। लेकिन कांग्रेस ने हिंदू-मुस्लिमों को लड़ाने के लिए इस मुद्दे का लटकाए रखा। तो राम मंदिर आंदोलन के दौरान सपा की सरकार ने निहत्थे रामभक्तों पर गोलियां चलवाई। मामला जब कोर्ट में पहुंचा, तो कांग्रेस के वकीलों ने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए। कांग्रेसियों का पेट इतने से नहीं भरा। कोर्ट के फैसले के बाद जब मंदिर बना और प्राण प्रतिष्ठा के लिए कांग्रेसियों को आमंत्रण दिया गया, तो उन्होंने उस निमंत्रण को ठुकराकर भगवान राम का अपमान किया। ये भगवान राम को ठुकराने वाले, हिंदुओं और हिंदुत्व का अपमान करने वाले, रामभक्तों पर गोलियां चलवाने वाले बुंदेलखंड में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं, हमें इस चुनाव में इन्हें सबक सिखाना है। कमल का बटन दबाकर इनका हिसाब चुकता करना है। तो मतलब साफ है कि राम भक्तों पर गोलियां चलवाने वाले दल का कोई नेता क्या भव्य राम मंदिर बनने के बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के सामने टिक सकता है? मतदाताओं का मन शायद यही जवाब देगा कि नहीं। पर मतदाता के मन की बात 4 जून 2024 को ही सामने आएगी, तब एक बार फिर खजुराहो लोकसभा सीट और विष्णु दत्त शर्मा पर सबकी निगाहें रहेंगी…।