कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट
प्रदेश में जब चार उपचुनावों के लिए प्रचार-प्रसार का शोर चरम पर होगा, उस समय मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम पूर्व वर्षों की तरह इस साल भी साइकिल यात्रा के जरिए अपनेे क्षेत्र की जनता के पास उनके गांव-गांव पहुंचेंगे। अपने मन की बात उनसे कहेंगे और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देंगे, उनके मन की बात उनसे ही सुनेंगे और समस्या है तो समाधान भी करेंगे।
यात्रा 24 अक्टूबर को तब शुरु होगी, जब उपचुनावों की हलचल तेज होगी और यात्रा का समापन 31 अक्टूबर को तब होगा, जब उपचुनाव का मतदान संपन्न हो चुका होगा। 72 गांवों में मतदाताओं से सीधे रूबरू होने के लिए यात्रा को हरी झंडी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा पुरवा में दिखाएंगे तो साइकिल यात्रा का समापन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में देवतालाब स्टेडियम में होगा।
निश्चित तौर से यह गौतम की सहजता, सरलता और जनता के लिए हर समय उपलब्धता का उनका स्वभाव ही है, जो संवैधानिक पद पर रहते हुए भी वह जनता के बीच उसी तरह पहुंचेंगे, जैसे वह पहले भी पहुंचते रहे हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष में भी उनकी साइकिल यात्रा चर्चा में रही थी। जब उन्होंने महात्मा का संदेश अपनी विधानसभा में जन-जन तक पहुंचाया था।
गिरीश गौतम ने अपनी सियासी पारी 1977 में छात्र राजनीति से शुरू की थी। वह 2003 से 2018 तक लगातार चौथी बार दो अलग-अलग सीटों से चुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य रहे हैं। उन्होंने 1993 व 1998 का विधानसभा चुनाव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से लड़ा था। तब गिरीश गौतम को कांग्रेस पार्टी के दिग्गज व विंध्य के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी से शिकस्त मिली थी।
वर्ष 2003 में भाजपा के टिकट पर मनगवां विधानसभा से गिरीश गौतम चुनाव लड़े और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को शिकस्त दी। साल 2008 में मनगवां विधानसभा सीट आरक्षित होने पर भाजपा ने गौतम को पड़ोसी सीट देवतलाब भेजा, जहां से वह 2008, 2013 व 2018 में लगातार जीत दर्ज विधानसभा के लिए चुने गए।
अपने जीवन के पहले दो चुनाव सीपीआई से लड़ने वाले गिरीश गौतम विंध्य क्षेत्र में कम्युनिस्ट विचारधारा के आखिरी नेता माने जाते हैं। यह भी संयोग है कि दादा श्रीनिवास तिवारी को हराकर अपनी सियासी पारी शुरु करने वाले दादाभाई गिरीश गौतम विंध्य क्षेत्र से 17 साल बाद विधानसभा अध्यक्ष की उसी कुर्सी पर विराजमान हुए, जिस पर दादा करीब दस साल 2003 तक विराजमान रहे थे।
साइकिल यात्रा के माध्यम से गौतम जनसमस्याओं का निराकरण करेंगे। यात्रा में वे हर गांव में केंद्र एवं राज्य शासन की योजनाओं का फीडबैक लेंगे और लोगों की समस्यायों का त्वरित निराकरण करने का प्रयास करेंगे। लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी ताकि वे अधिक से अधिक लाभ ले सकें।
यात्रा के दौरान बतौर अध्यक्ष मिलने वाला कोई प्रोटोकॉल नहीं होगा।यात्रा के समापन पर देवतालाब स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शामिल होंगे। समापन कार्यक्रम में विधानसभा क्षेत्र के हज़ारों लोग सम्मिलित होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान पूर्व की साइकिल यात्राओं में भी सम्मिलित हुए थे।
विधानसभा अध्यक्ष की इस यात्रा से अगर विधानसभा के सभी सदस्य प्रेरणा लेते हैं और सात-सात दिन ही सही बिना तामझाम के साइकिल यात्रा के जरिए मतदाताओं तक पहुंचते हैं तो मध्यप्रदेश पूरे देश में जनप्रतिनिधियों की सहजता, सरलता और संवेदनशीलता का एक महत्वपूर्ण संदेश देने का काम कर सकता है।