खंडवा से वरिष्ठ पत्रकार जय नागड़ा की रिपोर्ट
Khandwa : नगर निगम चुनाव में मतदान समाप्ति के 5 बजे तक औसत मतदान 55.5% हुआ। जबकि, इसी समयावधि में मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव का औसत 68.88% है। यानी खंडवा में प्रदेश के औसत से 13.38% कम मतदान हुआ है। यहाँ महिलाओं में भी मतदान में उत्साह की कमी दिखी। जबकि, यहाँ महापौर का पद महिला (OBC) के लिए ही आरक्षित है। खंडवा में 5 बजे तक जहाँ पुरुषो का मतदान 58.9% रहा तो महिलाओं का 52.1%। मतदान का यह औसत गत लोकसभा (उपचुनाव) और विधानसभा चुनाव से भी कम है, जो सभी के लिए हैरान करने वाला है। कम मतदान से चुनाव के परिणामो पर क्या असर पड़ेगा इसका विश्लेषण अब कठिन हो गया।
आमतौर पर मतदान की स्थिति देखे तो यह लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में बढ़ता है और नगर निगम चुनाव में सर्वाधिक होता है। चुनाव जितना छोटा होता है उसमे मतदान का प्रतिशत बढ़ता है। हर वार्ड में महापौर प्रत्याशी के साथ ही पार्षद पद के प्रत्याशी भी अपने पक्ष में अधिकाधिक मतदान के लिए प्रयासरत रहते है। खंडवा में आज सुबह से ही मतदान में ठंडापन नज़र आया। जबकि, यहाँ कल हुई बारिश के बाद आज मौसम अनुकूल हो गया था। उम्मीद की जा रही थी कि दिन के चढ़ने के साथ ही मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा लेकिन ऐसा कहीं भी नहीं हो पाया। किसी भी मतदान केंद्र पर मतदाताओं की लम्बी कतारे देखने को नहीं मिली। शाम पांच बजे मतदान समाप्ति के कुछ समय बाद ही मतदान दलों ने रवानगी की तैयारी शुरू कर दी।
भाजपा महापौर प्रत्याशी अमृता यादव ने रोटरी धर्मशाला के मतदान केन्द्र में अपना मत डाला। इसके बाद उन्होंने प्रेस से बातचीत में अपनी जीत के प्रति विश्वास दिखाया। उन्होंने अपनी प्राथमिकता दोहराते हुए कहा कि पेयजल की उपलब्धता वे जल्द से जल्द सुनिश्चित करायेंगी। उन्होंने कहा पार्षद पद के चुनाव में बागियों के बावजूद उनके अधिकतम पार्षद चुनकर आयेंगे। पिछली परिषद की तुलना में उनकी कार्यशैली भिन्न होगी। वे लोगो की उम्मीदों पर खरा उतरेंगी।
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मतदान केन्द्रो पर मतदाता सूची में अपना नाम ढूंढने के लिए परेशान होते रहे। बहुत से मतदाता तो अंततः निराश होकर बिना मतदान किए ही लौट गए। दरअसल इस बार मतदाता चुनावी पर्ची बंटवाने का कार्य प्रशासन ने अपने जिम्मे ले लिया और बहुत सी जगहों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से पर्चियां बंटवाई गई या आधी -अधूरी बंटी। इस प्रक्रिया से राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता भी निष्क्रिय हो गए जो पहले घर -घर जाकर पर्चियां बांटते थे। इससे कई घरो में प्रत्याशी या उनके समर्थक अपनी उपस्थिति ही दर्ज़ नहीं करा सके, इससे मतदाता भी उदासीन हो गया कि उसके यहाँ कोई वोट मांगने ही नहीं आया तो वोट डालने क्यों जाएँ!
कांग्रेस की प्रत्याशी आशा मिश्रा ने बताया कि निर्वाचन की प्रक्रिया में नए लोगो को लगाने से दिक्कत आ रही है। वे सूची में मतदाताओं के नाम ही नही ढूंढ़ पा रही है जिससे कुछ मतदाताओं को बिना वोट डाले भी वापस लौटना पड़ रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि खंडवा का मतदाता बदलाव के मूड में है वह स्थानीय निकाय में पिछले 20 वर्षों से काबिज़ भाजपा को हटाने का मन बना चुका है।
बहरहाल मतदान के कुछ समय बाद तक कुछ मतदान केन्द्रो से आंकड़े आने के बाद मतदान के प्रतिशत में थोड़ा इज़ाफ़ा होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। लेकिन, यह आकंड़ा गत लोकसभा या विधानसभा के मतदान के आंकड़े को भी छू पाएगा इसमें संदेह है। ज़ाहिर है इस चुनाव में जो भी उम्मीदवार थे वे अपने शहर के मतदाताओं में उम्मीद नहीं जगा सके कि वे शहर की सूरत कुछ बदल पायेंगे। लोग डबल -इंजन, ट्रिपल इंजन के बजाय अब अपनी नगर निगम में सेल्फ स्टार्ट इंजन की आवश्यकता महसूस कर रहे है।