राजस्थान में आज मतदान:कांग्रेस का दावा सरकार होंगी रिपीट,भाजपा का कहना परम्परा रहेंगी कायम

क्षेत्रीय दल निर्दलीय और बागी उम्मीदवार बिगाड़ रहें है खेल

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राजस्थान में आज मतदान:कांग्रेस का दावा सरकार होंगी रिपीट,भाजपा का कहना परम्परा रहेंगी कायम

गोपेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट

राजस्थान में 16 वीं विधानसभा के लिए शनिवार को प्रातःकाल से सायं छह बजे तक वोट पड़ेंगे।निर्वाचन विभाग के आकड़ों के अनुसार 25 नवम्बर को प्रदेश की 199 विधान सभा सीटों पर 1863 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम मशीनों में कैद होंगा।

प्रदेश के दो प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा के विधान सभा चुनाव में विजय को लेकर अपने अलग-अलग दावें हैं।कांग्रेस का दावा है कि पिछलें पाँच वर्षों में किए गए जन कल्याणकारी कार्यों के बलबूते इस बार उनकी सरकार रिपीट होंगी,जबकि भाजपा का कहना है कि गहलोत सरकार के कुशासन की वजह से प्रदेश के हर पाँच वर्ष में सरकार बदलने की परम्परा इस बार भी कायम रहेंगी और भाजपा बड़े बहुमत से सरकार का गठन करेंगी।

इधर क्षेत्रीय दल, निर्दलीय और बागी उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में ताल ढोक कर खड़े है और कई सीटों पर दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ रहें है।

राजस्थान विधान सभा में 200 सीटें है लेकिन इस चुनाव सहित इस बार भी लगातार तीसरी बार 199 सीटों पर ही चुनाव हो रहें है।15 वीं विधान सभा में कांग्रेस के 107 भाजपा 70 सीपीएम और बीटीपी के 2-2 आरएलडी 1 आरएलपी के 3 और 13 निर्दलीय सदस्य हैं। तत्कालीन प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारियां के असम का राज्यपाल बनने और श्रीकरणपुर के विधायक के निधन से दो स्थान रिक्त है।

प्रदेश में विभिन्न दलों द्वारा किए गए चुनाव प्रचार अभियान में सबसे अधिक 122 विधानसभा सीटों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उसके बाद 50-50 विधान सभा सीटों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सघन चुनाव प्रचार किया। गहलोत ने चुनाव कार्यक्रम के घोषित होने से पहले पूरे प्रदेश का दौरा किया था, वहीं वसुन्धरा राजे ने कुछ स्थानों पर विशाल आम सभाएँ कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था।कांग्रेस की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे,पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और महासचिव प्रियंका गाँधी आदि ने चुनाव अभियान का नेतृत्व किया।इसके अलावा छत्तीस गढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी कुछ इलाक़ों में चुनाव प्रचार किया।

भाजपा की ओर से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा, केन्द्रीय मंत्री परिषद के मंत्रियों, पाँच प्रदेशों के मुख्य मंत्रियों यूपी के योगी आदित्य नाथ असम के हिमंत बिस्वा सरमा एम पी के शिवराज सिंह चौहान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर महाराष्ट्र के एकनाथ शींदे उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फ़र्नांडिस आदि ने चुनाव प्रचार में भाग लिया। इधर अन्य दलों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल एवं पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत मान तथा बीएसपी की ओर से यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती एवं जे पी जनता पार्टी की तरफ़ से हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला आदि भी चुनावी समर में कूदे।

कांग्रेस की ओर से गहलोत सरकार की उपलब्धियों कोरोना काल में शानदार काम करना भीलवाड़ा मोडल पेश करना गहलोत सरकार के महँगाई राहत शिविर दस गारंटी चिरंजीव योजना ओपीएस आदि के साथ ही भाजपा द्वारा प्रदेश में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा घोषित नही करना, पूर्व मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे को साइड लाइन करना, ईआरसीपी और मानगढ को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नही देना, एक भी मुस्लिम को टिकट नही देना,हिन्दुत्व के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काना,कांग्रेस शासित प्रदेशों के साथ भेदभाव ईडी इनकम टैक्स सी बी आई का दुरुपयोग आदि मुद्दों को उजागर किया।

वहीं भाजपा ने लाल डायरी,कन्हैयालाल की तालिबानी ढंग से हत्या,मुस्लिमों का तुष्टिकरण,महिलाओं का शोषण,अपराधों में वृद्धि,गहलोत के वरिष्ठ मंत्री द्वारा महिलाओं से रेप पर राजस्थान मर्दों का प्रदेश है सम्बन्धी बयान,कथित खान घोटाला और अन्य भ्रष्टाचार के मामले,पेपर लीक मामले,पेट्रोल डीज़ल की अधिक क़ीमतों का होना,गुर्जर के बेटे सचिन पायलट को साइड लाइन करना,राजस्थान का पानी पाकिस्तान को छोड़ना आदि चुनावी मुद्दे बनाए गए।

150 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के मध्य सीधा मुकाबला, 40 पर बिगाड़ेंगे बागी खेल

राजस्थान विधानसभा चुनाव में डेढ़ सौ से अधिक सीटों पर सत्तारुढ़ कांग्रेस और भाजपा के मध्य सीधा मुकाबला हो रहा हैं। इस बार के चुनाव में दोनों प्रमुख पार्टियों में बागी उम्मीदवार और अन्य दल के प्रत्याशियों की वजह से चालीस से अधिक सीटों पर त्रिकोणीय के साथ कुछ स्थानों पर चतुष्कोणीय मुकाबला हो रहा हैं। इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के 26 मंत्रियों को टिकट मिला है। इसमें से 22 मंत्रियों की स्थिति संघर्षपूर्ण है और सिर्फ चार मंत्री चुनाव जीतने की स्थिति में बताए जा रहें हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जोधपुर के सरदारपुरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेन्द्र सिंह राठौड़ से सीधा मुकाबला हैं। इसीप्रकार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का झालरापाटन सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राम लाल चौहान से मुक़ाबला है।विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी का नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार उदयपुर राजघराने के सदस्य विश्व राज सिंह मेवाड़, प्रतिपक्ष नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ का चुरु जिले में तारानगर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी विधायक नरेन्द्र बुढ़ानिया, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का टोंक सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजीत सिंह मेहता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का मुक़ाबला जयपुर के आमेर में कांग्रेस के प्रशांत शर्मा से है जो उन्हें कड़ी टक्कर दे रखी है। इन सीटों पर सीधा मुकाबला है।

कोटा उत्तर से यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, बीकानेर पश्चिम से शिक्षा मंत्री डॉ.बी डी कल्ला, लालसोट से चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा, सिविल लाइंस जयपुर से खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास सहित कई मंत्रियों का भाजपा के प्रत्याशियों से सीधा चुनावी मुकाबला है। इसके अलावा भाजपा के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जयपुर के झोंटवाड़ा, राजसमन्द सांसद और जयपुर की पूर्व राजकुमारी दिया कुमारी का जयपुर के विद्याधऱनगर, राज्यसभा के सदस्य और चर्चित आदिवासी मीणा नेता डॉ. किरोडी लाल मीणा का सवाईमाधोपुर में इस बार भाजपा की बागीआशा मीणा और कांग्रेस के युवा विधायक दानिश अबरार के साथ त्रिकोणीय मुकाबला में फंसे हुए है।भाजपा की बागी आशा मीणा ने उन्हें कड़ी टक्कर दे रखी है।यह भी चर्चा है कि यहां पर चौंकाने वाले परिणाम भी आ सकते हैं ।सांसद डॉ. करोड़ लाल मीणा इस बार कड़े संघर्ष में है। अलवर से सांसद महंत बालक नाथ का तिजारा में कांग्रेस प्रत्याशी के साथ सीधा मुकाबला होने के आसार हैं। इसके अलावा कांग्रेस एवं भाजपा के दर्जनों विधायकों एवं पूर्व विधायकों सहित कई नेताओं के बीच सीधा चुनावी मुकाबलाहो रहा है।

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में दर्जनों की संख्या में बागी उम्मीदवार सामने आए हैं। जिनमें दोनों ही दलों ने कई प्रत्याशियों के मनाने में सफल भी रहे वहीं कई बागियों को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित भी कर दिया है । लेकिन उसके बावजूद भी कई बागी चुनाव मैदान में डटे रहने के कारण पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए समस्या बने हुए हैं और प्रदेश की चालीस से अधिक सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा हैं। इनमें सीएम गहलोत के सबसे करीबी तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री राष्ट्रीय लोकदल के डॉ.सुभाष गर्ग भरतपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल के साथ ही अन्य प्रत्याशी गिरीश चौधरी के साथ त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हुए हैं।

त्रिकोणीय मुकाबले में सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी के गृह नगर चित्तौड़गढ़ में है जहां पर भाजपा से बागी हुए विधायक चन्द्र भान सिंह आक्या पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार और स्वर्गीय उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी और कांग्रेस के उम्मीदवार धरोहर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत के मध्य कड़ा मुकाबला हो रहा हैं। भाजपा के बागी आक्या ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के उम्मीदवारों की स्थिति बिगाड़ रखी हुई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद सीपी जोशी का गृह जिला होने के बावजूद आक्या के समर्थन में जनसैलाब उमड़ने से सबकी नजर यहां के परिणाम पर टिकी हुई हैं।

इसी प्रकार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस में सचिन पायलट समर्थक दीपेन्द्र सिंह शेखावत श्रीमाधोपुर में भाजपा प्रत्याशी के अलावा कांग्रेस के ही बागी बलराम यादव के चुनाव मैदान में होने से त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। वे अपने मतदाताओं के बीच यही कहते नजर आ रहे हैं कि यह मेरा अंतिम चुनाव है कह कर वोट माँग रहे है। कड़े संघर्ष में भी उनकी जीत की सम्भावना बताई जा रही है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष वयोवृद्ध कैलाश मेघवाल भाजपा से बगावत करने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ रहे हैं।यहां से 4 माह पहले ही शिक्षक की नौकरी से वीआरएस लेकर राजनीति में आए हैं भाजपा प्रत्याशी लाला राम बैरवा और कांग्रेस उम्मीदवार नरेन्द्र कुमार रेगर के साथ वे त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले फंसे हुए हैं। लेकिन इलाक़े में पकड़ से वे भी चुनाव जीत सकते हैं।

अजमेर से भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी किशनगढ़ सीट पर भाजपा से कांग्रेस में आए विकास चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं उनका निर्दलीय विधायक सुरेश टाक चुनाव मैदान में आने के कारण त्रिकोणीय मुकाबला बन गया हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के सुप्रीमो और सांसद हनुमान बेनीवाल अपनी पुरानी सीट खींवसर से कांग्रेस प्रत्याशी तेजपाल मिर्धा और भाजपा के रेवंतराम डांगा के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में फस गए हैं। खींवसर में बसपा उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है। भोपालगढ़ में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विधायक पुखराज गर्ग भी भाजपा की कमसा मेघवाल, कांग्रेस की गीता बरवड़ के साथ त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले में हैं। चौरासी सीट पर भी भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक राजकुमार रोत कांग्रेस के पूर्व सांसद ताराचन्द भगौरा और पूर्व मंत्री भाजपा के सुशील कटारा और कांग्रेस के बागी महेन्द्र बडजोड़ आदि प्रत्याशियों के सामने त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं।

नागौर जिले में दशकों तक राजनीति में अपना अस्तित्व रखने वाला मिर्धा परिवार भी इस बार नागौर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा हैं जहां चुनाव पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई पूर्व केन्द्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा की पोती पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धी के पुत्र पूर्व मंत्री कांग्रेस उम्मीदवार हरेन्द्र मिर्धा निर्दलीय हबीबुर्रहमान के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं।

नवलगढ़ में पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा कांग्रेस से, लूणकरणसर में पूर्व गृहराज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। इसी तरह डूंगरगढ, श्रीगंगानगर, सादुलशहर, अनूपगढ़, रायसिंहनगर, हनुमानगढ़, सीकर, वल्लभनगर, जैतारण, धौलपुर, बाडी, बयाना एवं अलवर जिले में भी दो तीन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हैं। अजमेर उत्तर, पुष्कर, डूंगरपुर, चौरासी, सागवाड़ा, धरियावद, बस्सी, मनोहरथाना, देवली उनियारा सहित कई विधानसभा क्षेत्रों में त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला हो रहा हैं।

सांचौर विधानसभा सीट पर श्रम राज्य मंत्री मंत्री कांग्रेस प्रत्याशी सुखराम विश्नोई और भाजपा उम्मीदवार जालौर सांसद देवजी पटेल का बागी उम्मीदवार जीवराम चौधरी और शमशेर अली सैयद ने खेल बिगाड़ रखा है और यहां चारों के मध्य कड़ा मुकाबला हैं। लाल डायरी का मुद्दा लाकर प्रदेश की राजनीति में तहलका मचाने वाले पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा उदयपुरवाटी सीट पर शिवसेना प्रत्याशी है और उनके सामने भाजपा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी, कांग्रेस के भगवानाराम सैनी के अलावा बहुजन समाज पार्टी के संदीप सैनी ने चुनाव को चतुष्कोणीय बना दिया हैं। इसी तरह डीडवाना सीट पर कांग्रेस विधायक चेतन सिंह डूडी, भाजपा प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह जोधा, भाजपा के पूर्व मंत्री निर्दलीय यूनुस खान एवं आम आदमी पार्टी से रामनिवास रायल के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला है। इसी तरह बाड़मेर जिले में शिव विधानसभा सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ एवं बुजुर्ग नेता अमीन खान, भाजपा के रामस्वरूप,भाजपा के बागी रविंद्र भाटीऔर फतेह खान चुनाव मैदान में है यहां का चुनाव चारों के बीच फंसा हुआ है।

प्रदेश में मेवाड़-वागड़, हाड़ौती, मारवाड़, शेखावाटी,बिकाणा,अजमेरा, ढूँढाड़, मेवात,ब्रज पूर्वांचल आदि अंचलों में प्रमुख दलों के मध्य ज़ोरदार मुक़ाबला देखने को मिल रहा हैं।

प्रदेश में शुक्रवार को चुनावी शोर के बंद होने के बाद सभी उम्मीदवारों ने घर-घर जन सम्पर्क कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है । साथ ही हर बूथ को अपने पक्ष में साधने के लिए भी लेकर ज़ोरदार व्यूह रचना की है ।

देखना है देश के सबसे बड़े भोगोलिक प्रदेश राजस्थान में शनिवार को ईवीएम मशीन पर किस दल के पक्ष में मतदाता अधिक से अधिक बटन दबायेंगे और तीन दिसम्बर को आने वाले चुनाव परिणाम किस दल के दावों को सही साबित करेगा?