इशारों-इशारों में मोदी को जगा रहे हैं वाजिद और योगी …

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इशारों-इशारों में मोदी को जगा रहे हैं वाजिद और योगी …

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का मामला अब चर्चा में है। अयोध्या के मिल्कीपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है तो सबके मुंह सिले हुए हैं कोई नहीं बोल रहा है लेकिन हिंदुओं की रक्षा करना हमारा दायित्व है। एक मानव के नाते उसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। उन्होंने सभी विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये लोग हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर इसलिए नहीं बोल रहे हैं कि उन्हें पता है कि इससे उन्हें वोट नहीं मिलेगा। तो बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के बेटे सजीब वाजिद ने अपनी मां की सरकार के पतन के लिए देश के एक छोटे समूह और आईएसआई की साज़िश को ज़िम्मेदार ठहराया है। वहीं उन्होंने अपनी मां की जान बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। साथ ही इस बात का भी खंडन किया है कि पश्चिमी देशों ने शेख़ हसीना का वीज़ा रद्द कर दिया है या फिर उन्होंने किसी देश में राजनीतिक शरण की मांग की है। तो उन्होंने शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों यानि हिंदुओं सहित अन्य के लिए सबसे सुरक्षित समय माना है। वाजिद ने कहा कि ”आप देख रहे हैं कि अल्पसंख्यक देश से भागने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे उनकी चिंता हो रही है। मैं अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रखने और बांग्लादेश में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कर सकता हूं वह करना चाहता हूं। मैं लोकतंत्र को वापस लाने के लिए हर कोशिश करना चाहता हूं। यही हमारा लक्ष्य है।’’
अब बात करें इन दोनों बयानों के मिले-जुले निहितार्थ की। तो सबसे बड़ा सवाल है कि विपक्ष के मुंह खुले भी हैं, तब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी सलाह की सीखचों में कैद नहीं हैं। मुंह बंद हैं, तब भी मोदी की सोच को उन्होंने बंधक नहीं बना रखा है। शेख हसीना की जान बचाने में देवस्वरूप में सामने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही सबकी निगाहें केंद्रित हैं। ऐसे में लग रहा है कि योगी भी विपक्ष के कंधों पर पैर रखकर मोदी को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि विदेशों में आपातकालीन स्थितियों में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी में मोदी की धाक के सभी कायल रहे हैं। और सजीब वाजिद ने भी यही कहा है कि ”मैं भारत सरकार की तुरंत कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय से आभारी हूं। इतनी तेज़ी से फ़ैसला लेने की वजह से ही मेरी मां की जान बच सकी।” सजीब वाजिद ने अपनी मां शेख़ हसीना की जान बचाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘दिल से आभार’ व्यक्त किया है। तो इससे भी बड़ी बात वाजिद ने यह कही है कि ”भारत को विश्व में अब नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए। वो पड़ोस में किसी विदेशी ताकत को हावी न होने दे। बांग्लादेश भारत का पूर्वी पड़ोसी देश है। इसलिए भारत को सतर्क रहना होगा।” और जिस नेतृत्वकारी भूमिका की बात वाजिद कर रहे हैं, उसमें इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ ही है।
तो योगी यदि यह कह रहे हैं कि ‘हमारा दायित्व’ है, तो इशारा सत्ता के शीर्ष पर विराजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ ही है। मां शेख हसीना की जान बचाने के बाद बेटा सजीब वाजिद का दिल अगर किसी की जय-जयकार कर रहा है तो वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर रहा है। वाजिद तो मोदी को उनकी नेतृत्वकारी शक्तियों का अहसास कराने में ऐसी भूमिका का निर्वाह भी कर रहा है, जैसा कि जाम्बवंत ने हनुमान जी को उनकी अपार शक्तियों का अहसास कराया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस प्रसंग को चौपाई में लिखा है कि “कवन सो काज कठिन जग माहीं, जो नहिं होइ तात तुम पाहीं’। तो शायद जाम्बवंत की तरह ही अयोध्या से योगी और ढाका से वाजिद, मोदी को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। और योगी जहां हिंदुओं की रक्षा की बात तक सीमित हैं, तो वाजिद तो पूरे बांग्लादेश की रक्षा की गुहार लगा रहे हैं। पूर्वी पड़ोसी देश बांग्लादेश को विदेशी ताकतों से बचाने में नेतृत्वकारी भूमिका के बतौर मोदी को खुला आमंत्रण दे रहे हैं। तो यही अपेक्षा कर सकते हैं कि ‘जागो मोदी जागो’, ताकि बांग्लादेश भी बुरी नजरों से बच सके और हिंदू व अल्पसंख्यक भी बांग्लादेश में अमानवीय हमलों से सुरक्षित हो सकें…।