

War Preparation, Comparison of India & Pakistan: हथियार,हिम्मत,रणनीति में भारत बेहद विशाल,पाकिस्तान बौना
रमण रावल
कहते हैं कि वैसे तो युद्ध कभी निर्णायक नहीं होते, लेकिन सच तो यह भी है कि कुछ निर्णय तो युद्ध से ही निकलते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो मनुष्य सभ्यता के विकास के साथ ही प्राणीमात्र के बीच जो संघर्ष प्रारंभ हुआ,उसमें निरंतर बढ़ोतरी ही नहीं होती जाती। इस समय भारत,पाकिस्तान के साथ युद्ध की दहलीज पर खड़ा है,दो टूक फैसले के दृढ़ संकल्प के साथ । पाकिस्तान भी युद्ध के लिये तैयारी व तत्परता तो दिखा रहा है, लेकिन उसकी स्थिति मरता, क्या न करता, जैसी है। आइये देखते हैं कि युद्ध के लिये जो प्राथमिक व आवश्यक साधन,तैयारियां लगती हैं, उनमें दोनों देश किस स्थिति में हैं। भारतीय होने के नाते तो हम अपने तो सुदृढ़ मानते ही हैं, लेकिन इस बारे वैश्विक संस्थानों के शोध भी बताते हैं कि हम अपने पड़ोसी से इतना आगे हैं कि पीछे पलटकर देखने पर वह बौना नजर आता है।
यह आंकड़े काफी कुछ सरल शब्दों में बात कह देते हैं। इससे हटकर भी युद्ध जैसे मामले में जो-जो आवश्यक होता है,उन पर भी गौर कर लेते हैं। भारत का रक्षा बजट 2025-26 का 79 बिलियन डॉलर(6.8 लाख करोड़ रुपये) का है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 9.5 प्रतिशत अधिक है। याने मोदी सरकार का ध्यान रक्षा मसलों पर ही विशेष रूप से रहा है। जबकि पाकिस्तान का रक्षा बजट हमसे दस गुना कम केवल 7.6 बिलियन का रहा है। सोचा जा सकता है कि दस किलो वजनी व्यक्ति सौ किलो के पहलवान के सामने आयेगा तो उसका क्या हश्र होगा।
भारत के पास टी-90 भीष्म जैसे उन्नत मॉडल के टैंक के साथ स्वदेशी अर्जुन टैंक भी हैं। हमारे पास 5200 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली अग्नि-वी मिसाइल हैं और अग्नि-वी 1 पर भी काम हो रहा है। पाक के पास 2750 किलोमीटर मारक क्षमता वाली शाहीन-3 मिसाइल है। चीन व बेलारूस की मदद से वह 3000 किमी तक क्षमता वाली मिसाइल विकसित करने में लगा है। हमारी वायु सेना के पास राफेल,एसयू-30 एमकेआई तथा स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान हैं। पाक के पास जेएफ-17 व एफ-16 लड़ाकू विमान है।
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भारत की बड़ी ताकत नौसेना भी है। हमारे पास बेहद उन्नत तकनीकी विमानवाहक पोत,परमाणु पनडुब्बी,सतह पर मार करने वाले कई जहाज हैं। भारतीय नौसेना तो प्रारंभ से शक्तिशाली रही है, जिसने चीन के साथ 1962 के युद्ध में भी मोर्चे पर भेजने का आग्रह किया था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इनकार कर दिया, अन्यथा स्थिति कुछ और हो सकती थी।
अब बात आती है परमाणु हथियारों की, जो किसी भी युद्ध की दशा व दिशा बदल सकते हैं। इसमें दोनों ही देश सक्षम हैं। सवाल इतना भर है कि इसका उपयोग कब,कैसे,कितना किया जाता है और वह हमला अचूक बैठता है या नहीं ? इसका उपयोग अत्यंत उन्मादी तरीके से भी हो सकता है और दुश्मन के प्रमुख ठिकानों को बरबाद कर विजयश्री हासिल कर भी किया जा सकता है। दोनों ही दशा में परमाणु हथियार के घातक प्रभावों को तो पीढ़ियों को झेलना ही पड़ता है। इसलिये इनके उपयोग के साथ विश्व से प्रतिरोध,प्रतिबंध व सामने वाले पक्ष के समर्थन में आने की संभावना भी मौजूद रहती ही है। फिर भी ये सारे नफे-नुकसान युद्ध प्रारंभ होने के बाद नहीं देखे जाते और न देखे जाने चाहिये।
महाभारत युद्ध दुनिया के सामने सबसे बड़ी मिसाल है, जब कौरवों ने अनीतिपूर्वक अकेले अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घेरकर मारा तो योगेश्वर श्रीकृष्ण ने सारे नीति,नियमों को खूंटी पर टांगकर युद्ध लड़ने के लिये अर्जुन समेत समस्त पाण्डव सेना से कहा। इसके बाद अनीति के समर्थक कौरव सेना के तमाम योद्धा जिस तरह से घेरकर मारे गये, वह इतिहास बन गया। भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी कोई अनीति पर उतरा व अवांछित परमाणु हथियारों का उपयोग किया तो जो कुछ उसके बाद होगा, तभी पचा चल सकेगा।
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इससे इतर देखें तो युद्ध में विजय के लिये जो आवश्यक तत्व होते हैं, वे संपूर्ण रूप से भारत के पक्ष में हैं। हमारी थल सेना दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। साधनों की कतई कमी नहीं है। सरकार हर फैसला मैदान में लेने की छूट देने वाली है। अंतरराष्ट्रीय समर्थन पूरी तरह से हमारे साथ है। पाकिस्तान के साथ अब तो चीन भी पूरी तरह से नहीं है, क्योंकि उसके बेहतर व्यापारिक स्वार्थ भारत के साथ हैं। पाक के साथ बस उसकी सेना है,उसके पाले हुए आतंकवादी हैं, जो अभी सेना के बंकरों में गिदड़ की तरह छुपकर बैठे हैं। वहां की जनता भी पूरे मन से तो भारत के साथ युद्ध नहीं चाहती होगी, क्योंकि जिस देश के लोग खाद्यान्न की कमी,चरम बेरोजगारी, बेतहाशा महंगाई,छिन्न-भिन्न अर्थ व्यवस्था,नेता-सेना के भ्रष्टाचार से जूझ रही हो, वह युद्ध की विभीषिका झेलने के लिये कैसे तैयार हो सकती है।
शतरंज बिछ चुकी है। पांसे भारत सरकार के हाथ में खंगाले जा रहे हैं। दुश्मन की समझ में ही नहीं आ रहा कि आखिरकार कौन-सी चाल भारत चलने वाला है। वह तो हडबड़ी में बस सेना तैनात किये जा रहा है। अब कोई निर्णायक फैसला तो होगा। उसके स्वरूप की प्रतीक्षा दुनिया कर रही है।