युद्ध, युद्ध, युद्ध…कराह रहे बुद्ध…धिक्कार ऐसे नोबेल शांति पुरस्कार की चाह पर…

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युद्ध, युद्ध, युद्ध…कराह रहे बुद्ध…धिक्कार ऐसे नोबेल शांति पुरस्कार की चाह पर…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

पूरी दुनिया युद्ध में उलझी हुई है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘शक्ति से शांति’ का राग अलापकर शांति का नोबेल पुरस्कार पाने को बेताब हैं। ट्रंप की ऐसी नीति को देखकर यह पुख्ता हो गया है कि अब युद्ध युद्ध युद्ध के अलावा और कुछ भी नहीं बचा है। शांति के पर्याय बुद्ध शायद यह सब देखकर कराह रहे होंगे। और अब अगली बारी चीन और जापान जैसे देशों की ही है कि जब वह युद्ध के मैदान में उतरेंगे तो दुनिया के सभी देश वैश्विक महाभारत में किसी न किसी पाले में खड़े नजर आएंगे।

युद्ध की भयावहता पर नजर जाती है तो दिल दहल जाता है। आर्थिक युद्ध से शुरुआत करें। शेयर बाजार में आज दवा बनाने वाली कंपनियों के शेयर फोकस में हैं। भारत की दवा निर्माता कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है। अमेरिका में दवा आयात पर 200% टैरिफ लगाने की धमकी दी। ट्रंप ने कैबिनेट बैठक के दौरान कहा, ‘ये शुल्क बहुत ऊंची दर पर, लगभग 200%, लगाए जाएंगे।’ अब असल युद्ध की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति का एक ऑडियो लीक हुआ है। अमेरिकी ब्रॉडकास्टर सीएनएन के हाथ लगे लीक ऑडियो में ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को फोन पर धमकी देने का दावा कर रहे हैं। ऑडियो में वो कह रहे हैं कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को धमकी दी थी कि अगर वो यूक्रेन पर हमले करते रहेंगे तो वो उनकी राजधानी मॉस्को पर बम गिरा देंगे। ऑडियो में वो दावा कर रहे हैं इसी तरह की धमकी उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी दी थी ताकि वो ताइवान पर हमला न करें।

रूस और यूक्रेन के बीच सीजफायर करवाने का दावा करने वाले ट्रंप को अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है। इस बीच रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला कर दिया है। यूक्रेन की वायु सेना ने बुधवार को बताया कि रूस ने बीती रात यूक्रेन पर रिकॉर्ड 728 शाहेद ड्रोन और डमी ड्रोन दागे। रूस की तरफ से ड्रोन्स की बौछार के साथ-साथ 13 मिसाइलें भी दागी गईं। रूस ने यूक्रेन पर ये हमला ऐसे वक्त में किया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध खत्म करने को लेकर रूसी रूसी राष्ट्रपति से हुई अनबन के बीच यूक्रेन को मिसाइल देने का वादा किया है।

यमन के हूती विद्रोहियों ने 6 जुलाई 2025 को लाल सागर में मैजिक सीज नाम के एक बल्क कैरियर जहाज पर खतरनाक हमला किया। यह जहाज लाइबेरिया के झंडे वाला और यूनानी स्वामित्व में था। हूतियों ने इस पर ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट-लॉन्चर और छोटे हथियारों से हमला किया। कुछ ही पलों में जहाज में आग लग गई और भीषण धमाके के बाद वह दो टुकड़ों में टूटकर डूब गया। हूती विद्रोहियों ने इस हमले का एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें जहाज पर जोरदार धमाके होते देखे जा सकते हैं। वीडियो में जहाज जलता हुआ नजर आता है और अंत में समुद्र में समा जाता है। हूतियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है और कहा कि यह जहाज इजरायल पर लगाई गई उनकी नाकाबंदी का उल्लंघन कर रहा था। ये हमले हमास के समर्थन में किए जा रहे हैं, जो इजरायल-हमास संघर्ष से जुड़े हैं।

 

गाजा में हमास और इजरायल के बीच जारी जंग अपने चरम पर है। हमास द्वारा पांच इजरायली सैनिकों की हत्या के 24 घंटे के भीतर ही आईडीएफ ने एक बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान हवाई हमले में 7 अक्टूबर नरसंहार का मुख्य साजिशकर्ता और हमास का नुखबा प्लाटून कमांडर ताहा अबू अयादेह मार गिराया गया। यह ऑपरेशन इजरायल डिफेंस फोर्स और इजरायली इंटरनल सिक्योरिटी एजेंसी के संयुक्त अभियान में किया गया।इस्राइल के हवाई हमलों में गाजा में 40 फलस्तीनी मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। नेतन्याहू और ट्रंप ने संघर्षविराम योजना को लेकर दो बार मुलाकात की। इस बीच गाजा के विस्थापित लोग खाने और पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं। ट्रंप के दूत अब दोहा में हमास से बातचीत करेंगे।

और ‘शक्ति से शांति में हमारा विश्वास…’, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मीटिंग के बाद नेतन्याहू बोले। नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि जब इजरायल और अमेरिका एक साथ खड़े होते हैं, तब महान परिणाम सामने आते हैं। इजरायल का गाजा में अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है और उनका अंतिम टारगेट हमास के सैन्य और शासन ढांचे को पूरी तरह खत्म करना है।

और ईरान ने खुली धमकी दी है कि,’ट्रंप की भी हत्या हो सकती है’। कहा-घर में धूप सेंकते वक्त ड्रोन अटैक हो सकता है। ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी सलाहकार और एक बड़े राजनीतिक व्यक्ति जावेद लारीजानी ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप के काम ऐसे हैं कि इसके चलते वे ‘मार्क्ड मैन’ बन गए हैं।

तो डायनामाइट के आविष्कारक और स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल ने यह सोचा भी नहीं होगा कि डायनामाइट से हुई बर्बादी का प्रायश्चित करने के लिए उनके द्वारा स्थापित नोबेल पुरस्कार इतना नरसंहार और बर्बादी कराएगा। इसे पाने के लिए 21वीं सदी के शक्तिशाली नेतृत्व पहले युद्ध कराएंगे और फिर सीजफायर कराकर खुद पर शांतिदूत का टैग लगाकर नोबेल पुरस्कार पाने की जोर-आजमाइश करेंगे‌। वास्तव में युद्ध युद्ध युद्ध का यह खौफनाक दृश्य देखकर बुद्ध कराह रहे हैं… अब बस ट्रंप और पुतिन का आमने-सामने आकर एक दूसरे पर बम बरसाना बाकी है, तब शायद बुद्ध पूरी तरह से अशांत हो जाएंगे और युद्ध खुद पर तरस खाएंगे। ऐसे नोबेल शांति पुरस्कार की चाह पर धिक्कार है… ट्रंप की ऐसी हरकतों पर अल्फ्रेड नोबेल भी रो रहे होंगे…।