Way to Join RSS Opened : सरकारी कर्मचारियों का संघ की शाखाओं से जुड़ने का रास्ता खुला, 58 साल बाद रोक निरस्त!
New Delhi : सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा 58 साल पुराना प्रतिबंध हटा लिया गया। गृह मंत्रालय ने 9 जुलाई को एक आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकारों के द्वारा 1966, 1970 और 1980 के उन आदेशों में संशोधन किया, जिनमें कुछ अन्य संस्थाओं के साथ आरएसएस की शाखाओं और अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर कड़े दंडात्मक प्रावधान लागू किए गए थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस आदेश का स्वागत किया है।
30 नवंबर 1966 में केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इंदिरा गांधी के शासन के दौरान लगाए गए प्रतिबंध को 9 जुलाई को एक आदेश से हटा दिया। महात्मा गांधी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों की संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान लागू किया गया था। सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन लाभ इत्यादि को ध्यान में रखते हुए भी अनेक सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे।
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्य सरकारें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़ने पर प्रतिबंध को पहले ही हटा चुकी हैं। लेकिन, इसके बाद भी केंद्र सरकार के स्तर पर यह आदेश बना रहा। इस मामले में एक वाद इंदौर की अदालत में चल रहा था, जिस पर अदालत ने केंद्र सरकार से सफाई मांगी थी। इसी पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने 9 जुलाई को एक आदेश जारी करते हुए इन सभी प्रतिबंधों को समाप्त करने की घोषणा की।
इस आदेश से संसद में हंगामे के आसार
लोकसभा चुनावों में मजबूत होकर उभरा विपक्ष इस आदेश को लेकर केंद्र पर हमलावर रुख अपना सकता है। सोमवार 22 जुलाई से ही संसद का सत्र आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान वित्त वर्ष के लिए बजट भी पेश किया जाने वाला है। केंद्र सरकार ने यह आदेश ऐसे समय में जारी किया है, जब संघ और भाजपा के बीच में तनातनी की खबरें रिसकर बाहर आ रही हैं।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कुछ दिन पूर्व ऐसी टिप्पणी की थी, जिसे केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना के रूप में देखा गया। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता न हासिल करने पर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के नेता इंद्रेश कुमार ने भी जनता के द्वारा ‘अहंकारी लोगों को सबक’ सिखा दिए जाने की बात कही गई थी। उनकी यह टिप्पणी भी केंद्र सरकार के खिलाफ मानी गई थी। बाद में उन्होंने अपने बयान से पल्ला झाड़ लिया।
संघ ने भी आदेश स्वागत किया
इस बारे में आरएसएस से जुड़े नेताओं का कहना है कि हमारा संगठन समाज के सभी वर्गों को केवल भारतीय होने की दृष्टि से देखता है। सबकी भलाई के लिए एक समान रूप से कार्यरत रहता है। ऐसे संगठन पर गलत मानसिकता से पूर्व की कांग्रेस सरकारों द्वारा लगाया गया प्रतिबंध गलत था। यह जनभावनाओं का भी अपमान था। लोगों ने इसे अपने स्तर पर पहले ही अस्वीकार कर दिया था, अब गृह मंत्रालय ने इस तरह का आदेश देकर उन लोगों की मनोभावनाओं का सम्मान किया है, जो सरकारी सेवाओं में रहते हुए भी आरएसएस के साथ जुड़कर राष्ट्र निर्माण की अपनी इच्छा पूरी करना चाहते थे।