
We don’t want challan, we want helmet : अलीराजपुर पुलिस का मानवीय नवाचार, सुरक्षा और विश्वास की नई मिसाल
– राजेश जयंत
ALIRAJPUR: मध्य प्रदेश का पश्चिम सीमांत, जनजातीय बहुल और शिक्षा के मामले में निचले पायदान वाले अलीराजपुर जिले में सड़क सुरक्षा को लेकर एक ऐसा अनोखा अभियान चलाया जा रहा है, जिसने पूरे प्रदेश का ध्यान खींचा है। जिले के Superintendent of Police Raghuvansh Singh ने एक संवेदनशील पहल शुरू की है- “हमें चालान नहीं, हेलमेट चाहिए।” यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि पुलिसिंग के पारंपरिक तौर-तरीकों से हटकर नागरिकों के प्रति अपनत्व और जिम्मेदारी का संदेश है।
*चालान नहीं, जागरूकता का तोहफा*
जब-जब भी पुलिस ने यातायात नियम के उल्लंघन/ हेलमेट नहीं पहनने पर चालानी कार्रवाई की, तब-तब लोगों के बीच अक्सर यह सवाल उठता रहा है कि चालान काटने से दुर्घटनाएं कैसे रुकेंगी..? क्यों न चालान के पैसों से ही लोगों को हेलमेट दिया जाए..? अलीराजपुर पुलिस ने इस सोच को हकीकत में बदल दिया है। अब जिले में बिना हेलमेट पकड़े गए वाहन चालकों को निःशुल्क हेलमेट देकर सुरक्षा का संदेश दिया जा रहा है- वह भी बिना किसी चालान या दंड के।
SP Raghuvansh Singh का कहना है- “हमारा उद्देश्य लोगों में डर नहीं, जिम्मेदारी की भावना जगाना है। चालान अस्थायी समाधान है, लेकिन जागरूकता स्थायी बदलाव लाती है।”
*जनभागीदारी से बना ‘हेलमेट बैंक’*
अभियान के तहत जिले के सभी थाना क्षेत्रों में अब “हेलमेट बैंक” स्थापित किए गए हैं। यह पूरी तरह जनसहभागिता आधारित पहल है, जिसमें सक्षम नागरिक और सामाजिक संस्थाएं स्वयं आगे आकर हेलमेट खरीदकर पुलिस थानों में जमा कर रही हैं।
बाद में पुलिस इन्हें जरूरतमंद वाहन चालकों को निशुल्क वितरित कर रही है। इस पहल का स्पष्ट उद्देश्य है- चालान काटने के बजाय हेलमेट देकर सुरक्षा सुनिश्चित करना। साथ ही, अभियान के माध्यम से यह संदेश भी दिया जा रहा है कि सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी है, केवल पुलिस का काम नहीं।

*सम्मान के साथ सुरक्षा का संदेश*
अभियान का एक और मानवीय पहलू यह है कि नियमों का पालन करने वाले चालकों को भी सम्मानित किया जा रहा है। जिन लोगों ने पहले से हेलमेट पहनने की आदत बना ली है, उन्हें पुष्प देकर सम्मान और धन्यवाद दिया जा रहा है।
यह दृश्य उस मानसिकता को बदल रहा है जिसमें लोग पुलिस को केवल चालान काटने वाली संस्था के रूप में देखते थे। अब पुलिस “सजा देने वाली ताकत” नहीं, बल्कि “सुरक्षा देने वाली साथी” के रूप में सामने आई है।

*सिर्फ हेलमेट नहीं, यातायात अनुशासन का संदेश भी*
यह अभियान केवल हेलमेट वितरण तक सीमित नहीं है। इसके माध्यम से यातायात नियमों की जागरूकता पूरे जिले में फैलाई जा रही है।
पुलिस अधिकारी और यातायात कर्मी चौक-चौराहों, स्कूलों और ग्रामीण इलाकों में लोगों को सरल भाषा में समझा रहे हैं कि सड़क सुरक्षा केवल कानून का पालन नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा का संकल्प है। यह प्रयास अब एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है- जहां पुलिस और नागरिक मिलकर दुर्घटनामुक्त अलीराजपुर का सपना देख रहे हैं।

*मित्रवत पुलिस की नई पहचान*
इस नवाचार ने पुलिस की छवि को नया आयाम दिया है। लोगों के बीच अब यह भावना प्रबल हो रही है कि पुलिस केवल दंड देने के लिए नहीं, बल्कि जीवन बचाने के लिए काम कर रही है।सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस अभियान की जमकर सराहना की है-
कई नागरिकों ने लिखा, “पहली बार पुलिस से डर नहीं, भरोसा महसूस हो रहा है।” यह परिवर्तन उस दिशा में बड़ा कदम है, जहां कानून का पालन डर से नहीं, विश्वास और संवाद से कराया जाता है।
*सुरक्षा, संवेदनशीलता और सहयोग का संगम*
“हमें चालान नहीं, हेलमेट चाहिए” अभियान ने यह सिद्ध किया है कि जब प्रशासन दंड के बजाय संवाद और जागरूकता का रास्ता अपनाता है, तो समाज स्थायी बदलाव की ओर बढ़ता है।
अलीराजपुर जैसे जनजातीय क्षेत्र में यह प्रयास न केवल सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ कर रहा है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास और सहयोग की नई कहानी भी लिख रहा है।

*निष्कर्ष*
अलीराजपुर पुलिस का यह नवाचार पूरे मध्यप्रदेश में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरक मिसाल बन गया है।
इस पहल से जहां दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम उठे हैं, वहीं समाज में सुरक्षा के प्रति चेतना भी गहराई से स्थापित हुई है। अब जिले में हेलमेट केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा और विश्वास की साझी जिम्मेदारी का प्रतीक बन चुका है।
“हमें चालान नहीं, हेलमेट चाहिए” — यह नारा अब सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि अलीराजपुर से निकलकर पूरे प्रदेश के लिए सुरक्षा, संवेदनशीलता और सहभागिता का मंत्र बन गया है।





