क्या होता है Yo-Yo Test और Dexa Scan? 

531

क्या होता है Yo-Yo Test और Dexa Scan? 

मुंबई: बीसीसीआई के सचिव जय शाह की तरफ से यह साफ किया गया है कि भारतीय टीम में चयन के लिए सिर्फ खेल का प्रदर्शन ही नहीं बल्कि फिटनेस भी मायने रखेगी और इसके लिए खिलाड़ियों को योयो टेस्ट के अलावा डेक्सा स्कैन भी पास करना होगा। ऐसा नहीं है कि योयो टेस्ट पहली बार होगा, यह कोविड काल से पहले भी चलन में था और विराट कोहली-रवि शास्त्री के दौर में सख्ती से लागू किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसमें ढिलाई बरती जा रही थी।

क्या होता है योयो टेस्ट?
योयो टेस्ट को पहली बार 2019 वनडे वर्ल्ड कप से पहले लागू किया गया था और इसकी वजह से टीम की फिटनेस में काफी बदलाव भी देखने को मिला था। यह एक प्रकार से बीप टेस्ट जैसा होता है, जिसमें खिलाड़ियों को 20 मीटर की दूरी वाली दो सेटों के बीच एक तय समय में दौड़ लगानी होती है। इस दौरान खिलाड़ियों को एक सेट से दूसरे सेट तक दौड़ना होता है और फिर दूसरे सेट से पहले सेट तक आना होता है। दोनों सेटों की दूरी पूरी करने पर इसे एक शटल माना जाता है। लेकिन टेस्ट की शुरुआत पांचवें लेवल से होती है जो 23वें लेवल तक चलती रहती है। हर एक शटल के बाद दौड़ने का समय कम होते रहता है, लेकिन दूरी में कमी नहीं होती है। भारतीय खिलाड़ियों के लिए यो-यो टेस्ट पास करने के लिए 23 में से 16.5 स्कोर लाना अनिवार्य होता है। भारतीय क्रिकेट टीम में यह टेस्ट 2017 में जुड़ा था। तब स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच शंकर बसु ने इस टेस्ट को भारतीय टीम पर लागू किया था। इस टेस्ट का इस्तेमाल सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि फुटबॉल समेत कई अन्य खेलों में भी होता है।

क्या है डेक्सा स्कैन?
डेक्सा स्कैन एक तरह का फिटनेस टेस्ट ही है जिसमें एक व्यक्ति के शरीर की चर्बी, हड्डियों की मजबूती, शरीर में पानी की मात्रा की जांच की जाती है। डेक्सा स्कैन को भी कुछ साल पहले लागू किया गया था लेकिन तब कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से इसे रोक दिया गया था। लेकिन बीते कुछ सालों में भारतीय खिलाड़ियों के जोड़ों के दर्द और हड्डियों में परेशानी की शिकायत के बीच इसे फिर से लागू करने का फैसला किया गया है। डेक्सा स्कैन मुख्यतौर पर शरीर की संरचना और हड्डियों की स्थित जानने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मानक है। यह दस मिनट का एक टेस्ट होता है जो शरीर के फैट और मांसपेशियों की स्थिति का पता लगाता है। इस टेस्ट के जरिए हड्डियों की मजबूती की जांच के साथ-साथ हड्डियों में मौजूद कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की जानकारी भी मिलती है।