“दिल्ली के दिल में क्या हैं” …!

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“दिल्ली के दिल में क्या हैं” …!

आखिरकार वह घड़ी आ ही गई, जब दिल्ली की किस्मत का फैसला होने वाला है। मजबूर केजरीवाल ने शायद महात्मा गांधी का नाम लेकर कुर्सी छोड़ने और ईमानदारी का सर्टिफिकेट लेने का फैसला कर लिया है। हो सकता है कि वह इस्तीफा देने के बाद भी सीधे राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को राज त्यागने की सूचना दें। महात्मा को बताएंगे कि मैंने यह शपथ ली है कि ” इस्तीफा देकर अब आम आदमी के रूप में लोगों से पूछूंगा कि क्या मैं ईमानदार हूं? जब तक वे जवाब नहीं देते, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा राष्ट्रपिता।” तब शायद राष्ट्रपिता यही कहेंगे कि केजरी तुम्हें जेल जाने की नौबत आने से पहले ही जनता से सर्टिफिकेट लेने की सोच बनानी थी। और ईमानदारी का सर्टिफिकेट पाने के लिए खुद के भीतर झांक लो केजरी। और मन न भरे तो अन्ना से जाकर सर्टिफिकेट ले लो। और जब बात ईमानदारी पर आ ही गई तो झोला टांगकर राजनीति से संयास लेकर फिर अन्ना की शरण में चले जाते। आगे महात्मा यही अफसोस जताएंगे कि आखिर देश को आजादी देने के लिए कितने पापड़ बेले थे और अब 75 साल बाद आखिर देश कहां से कहां पहुंच गया। खैर अन्ना ने कहा है कि वह नहीं बता सकते हैं कि केजरीवाल के दिल में क्या है, पर अब यह बात तय है कि अब देश की राजधानी की जनता बताकर ही रहेगी कि “दिल्ली के दिल में क्या है…।”

अब देखने वाली बात यह भी है कि केजरीवाल का दिल्ली के सीएम की कुर्सी पर सबसे ज्यादा समय तक बैठने का सपना पूरा होगा या नहीं। वैसे दो दिन बाद इस्तीफा देने पर वह लगातार सर्वाधिक 15 साल सीएम रहने के रिकॉर्ड की बराबरी करने से तो चूक ही जाएंगे, भले ही चौथी बार सीएम की शपथ लेकर दिल्ली में सबसे ज्यादा बार सीएम बनने और बाद में सर्वाधिक समय सीएम रहने का रिकार्ड बनाने में सफल हो जाएं। दिल्ली के पहले सीएम चौधरी ब्रह्म प्रकाश

नांगलोई थे, जो 17 मार्च 1952 से 12 फ़रवरी 1955 तक 2 साल, 332 दिन पद पर रहे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। दूसरे सीएम गुरुमुख निहाल सिंह, 12 फ़रवरी 1955 से 1 नवम्बर 1956 तक 1 साल, 263 दिन पद पर रहे। इसके बाद दिल्ली में सीएम पद समाप्त हो गया। 1956 से 1993 तक उप राज्यपाल का शासन केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में रहा। 1993 में फिर सीएम व्यवस्था बहाल हुई। तब भाजपा के मदन लाल खुराना, 2 दिसम्बर 1993 से 26 फ़रवरी 1996 तक 2 साल, 86 दिन सीएम रहे। इनके बाद भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा को 26 फ़रवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक 2 साल, 228 दिन तक सीएम बनाया और फिर सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 से 3 दिसम्बर 1998 तक 52 दिन दिल्ली की सीएम रहीं। दिल्ली की छठी सीएम शीला दीक्षित 3 दिसम्बर 1998 से 28 दिसम्बर 2013 तक 15 साल, 25 दिन इस पद पर रहीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की इन नेत्री का लगातार सर्वाधिक समय तक सीएम रहने का रिकार्ड शायद ही कोई तोड़ पाए।अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के सातवें सीएम रहे। वह पहली बार 28 दिसम्बर 2013 से 14 फ़रवरी 2014 तक 49 दिन कांग्रेस के सहयोग से सीएम बने थे और फिर जनता से सर्टिफिकेट मांगने कि कांग्रेस के साथ रहें या नहीं..उन्होंने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद 15 फ़रवरी 2014 से 13 फ़रवरी 2015 तक 363 दिन दिल्ली ने राष्ट्पति शासन देखा था।फिर अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने अपने दिल में बसाकर राज करने का सर्टिफिकेट दिया था। तब 14 फ़रवरी 2015 से अभी तक सीएम पद पर आसीन हैं। यानि यह साफ है कि लगातार दस साल पद पर रहने का रिकार्ड भी केजरीवाल के हिस्से में नहीं आ पाएगा।

केजरी की चाह है, “दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने हैं, लेकिन मेरी मांग है कि राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव महाराष्ट्र के साथ नवंबर में कराए जाएं… मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तभी बैठूंगा, जब लोग मुझे ईमानदारी का प्रमाणपत्र देंगे। मैं जेल से बाहर आने के बाद अग्निपरीक्षा देना चाहता हूं।” केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उन्हें भ्रष्ट साबित करने की कोशिश की है। उन्होंने दावा किया कि भगवा पार्टी लोगों को अच्छे स्कूल और मुफ्त बिजली मुहैया नहीं करा सकी क्योंकि वे भ्रष्ट हैं। उन्होंने कहा, “हम ईमानदार हैं।” दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया , “वे गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करते हैं। अगर मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जाता है, तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि वे इस्तीफा न दें, बल्कि जेल से ही अपनी सरकार चलाएं।”

खैर अन्ना ने क्या कह, यह जान लें।सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर उनके उस फैसले को लेकर तंज कसा है, जिसमें उन्होंने अगले दो दिन में अपने सीएम पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। अन्ना हजारे ने कहा, “मैंने उनसे शुरू से ही कहा था कि आपको राजनीति में नहीं आना चाहिए, बल्कि लोगों की सेवा करनी चाहिए। हमने कई सालों तक साथ काम किया है और यही बात उनसे भी कही थी। पर उन्होंने कभी मेरी बात नहीं सुनी और आज जो होना था हो गया।” हजारे ने कहा, “केजरीवाल को समझने में थोड़ा समय लग गया, उन्हें यह बहुत दिन पहले ही करना चाहिए था।” अन्ना ने कहा कि उन्होंने केजरी को कहा था कि राजनीति में मत जाओ। समाज की सेवा करो बहुत बड़े आदमी बनोगे। समाज सेवा आनंद देती है। आनंद बढाओ, लेकिन उसके दिल मे बात नहीं रही और आज जो होना था वह हो गया। अन्ना हजार ने कहा कि उनके (केजरीवाल) के दिल में क्या है मैं क्या जानूं। पर अब यह तय है कि दिल्ली की जनता जरूर बताएगी कि “केजरी की ईमानदारी पर दिल्ली के दिल में क्या है…।”