What Will Happen After SC Relief : सुप्रीम कोर्ट ने अभी राहत दी, कई सवालों के जवाब अनुत्तरित!

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What Will Happen After SC Relief : सुप्रीम कोर्ट ने अभी राहत दी, कई सवालों के जवाब अनुत्तरित!

जानिए, वो कौनसे सवाल अनुत्तरित उभरे, जिनके जवाब अभी आना बाकी!

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए मोदी उपनाम को लेकर की गई उनकी टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में शुक्रवार को उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। लेकिन, अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं, जिनके जवाब आना अभी बाकी है।
लोकसभा अध्यक्ष अब उनकी सदस्यता बहाल कर सकते हैं या राहुल गांधी शीर्ष अदालत के आदेश के परिप्रेक्ष्य में एक सांसद के रूप में अपनी सदस्यता बहाल करने की अपील कर सकते हैं। अभी इस बारे में स्पष्ट नहीं है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने का आग्रह किया है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टिप्पणी उचित नहीं थी। सार्वजनिक जीवन में भाषण देते समय व्यक्ति से सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। पीठ ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया। ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।

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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। राहुल ने सभा में टिप्पणी की थी कि सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?

सार्वजनिक जीवन का अधिकार प्रभावित
सुप्रीम कोर्ट में तीन जस्टिस की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के फैसले का व्यापक असर हुआ। न सिर्फ राहुल गांधी के सार्वजनिक जीवन का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन निर्वाचकों का भी जिन्होंने उन्हें चुना था। अब सवाल उठता है कि राहुल गांधी की संसद की सदस्यता कब बहाल होगी? नियम के मुताबिक किसी सांसद को 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाए जाने पर उसकी संसद सदस्यता स्वतः खत्म हो जाती है।
ऐसे में राहुल के कन्विक्शन पर स्टे लगाए जाने के बाद उनकी संसद सदस्यता बहाल हो जाएगी। सदस्यता बहाल होने की जानकारी लोकसभा सचिवालय अधिसूचना जारी करके देगा। ये जल्दी भी हो सकता है और इसमें देरी भी संभव है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद फौरन बाद कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात कर जल्द से जल्द उनके संसद सदस्यता को बहाल करने की मांग की। जबकि, लोकसभा स्पीकर ने कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने के बाद इस पर फैसला लेने की बात कही है।

इस फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती
सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला दिया है उसे चुनौती दी जा सकती है या नहीं? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करके सभी पक्षों से जवाब मांगा था। सभी बातों पर विचार करने और दोनों पक्षों की की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की पीठ ने यह आदेश दिया है। संविधान के अनुच्छेद-141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के फैसले देश का कानून माने जाते हैं। संविधान के अनुच्छेद-137 के तहत विशेष स्थितियों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू याचिका दायर की जा सकती है। इस बारे में संविधान के अनुच्छेद-145 के तहत सुप्रीम कोर्ट के नियम और अनेक पुराने फैसले हैं। लेकिन, राहुल गांधी मामले पर रिव्यू याचिका की गुंजाइश नहीं बनती।

सदस्यता बहाली पर अपील संभव
लेकिन, अगर लोकसभा सचिवालय राहुल की सदस्यता बहाल करने में देरी करता है, तो वे फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। इसी साल एक मामला देखने को मिला था, जब सुप्रीम कोर्ट ने सदस्यता बहाली के आदेश दिए थे। लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को कवारत्ती में एक सत्र अदालत से हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराया गया। उन्हें 10 साल की जेल की सजा की सजा सुनाई गई। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने 13 जनवरी 2023 को एक अधिसूचना जारी कर उनकी सदस्यता को अयोग्य ठहरा दिया। 25 जनवरी को केरल हाई कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद फैजल ने हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर लोकसभा सचिवालय से अपनी सदस्यता दोबारा से बहाल करने की मांग की। इस बीच चुनाव आयोग ने उनके लोकसभा सीट पर उपचुनाव का भी ऐलान कर दिया था। फैजल ने चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में 29 मार्च को इस मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता बहाल कर दी।

सदस्यता बहाली पर आवास मिलेगा
सदस्यता बहाल होने पर राहुल को सरकारी आवास मिलेगा या नहीं इसकी प्रक्रिया क्या होगी? इस मुद्दे पर जानकारी मिली कि सांसदों के आवास का आवंटन केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के निदेशालय के जरिए किया जाता है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सांसदों को बंगला आवंटन और रद्द करने के लिए सांसदों वाली एक सदन समिति है। ये समिति ही केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से बंगला आवंटन का सिफारिश करती है। सदस्यता बहाल होने के बाद इस समिति की सिफारिश के आधार पर राहुल को बंगला आवंटित हो गया। हालांकि, जरूरी नहीं कि उन्हें 12 तुगलक रोड वाला बंगला ही आवंटित हो, जहां वो पहले रह रहे थे।

मामला ख़त्म नहीं हुआ, तात्कालिक राहत मिली
अभी यह नहीं माना जा सकता कि मामला ख़त्म हो गया। सजा पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को तात्कालिक राहत दी है। इस फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता बहाल हो जाएगी। अगर ये स्थिति 2024 के चुनाव तक बनी रहती है तो वे चुनाव भी लड़ सकेंगे। लेकिन, अभी यह मामला खत्म नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में ये मामला आगे चलेगा और कोर्ट दो बातों पर विचार करेगा। पहला यह कि क्या राहुल गांधी मानहानि के मामले में वास्तव में दोषी हैं और दूसरा, अगर दोषी हैं तो कितनी सजा होनी चाहिए?

अभी कई सवालों के जवाब आना बाकी
राहुल मानहानि के मामले में दोषी पाए जाते हैं तो स्थितियां बनेंगी। उन्हें दो साल की पूरी सजा मिलेगी या दो साल से कम। दो साल की सजा होने पर उनकी संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी और 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल से कम सजा होने पर जेल जाना पड़ेगा, लेकिन सदस्यता बहाल रहेगी और चुनाव लड़ सकेंगे। अगर निर्दोष पाए गए तो उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

अंतिम फैसले में लंबा समय संभव
इस मामले में राहुल गांधी ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर किया था, जिसके लिए संविधान के अनुच्छेद-136 में प्रावधान हैं। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी एडमिट करने के साथ अंतरिम आदेश पारित किया है। पुराने मामलों के निपटारे के बाद ही नई एसएलपी पर सुनवाई होती है। राहुल गांधी की एसएलपी में फाइनल सुनवाई में कई साल लग सकते हैं। इसलिए मानहानि मामले में राहुल की सजा और दोषमुक्ति का निर्धारण करने वाले फाइनल फैसले में लम्बा वक्त लग सकता है।

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