Wheat Cheaper in Open Market : गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध से गेहूं की कीमतें घटी

निर्यात के फैसले से गेहूं की कीमतों में 100 रुपए की तत्काल कमी

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बिजनेस विशेषज्ञ बसंत पाल की रिपोर्ट

Indore : गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का असर बाजार पर तत्काल नजर आया। अनाज मंडी में गेहूं की कीमत 100 रुपए कम हो गई।

किसानों का भी कहना है कि जो गेहूं 2100 से ऊपर बिक रहा था वो आज 2000 के अंदर आ गया। मंडी प्रभारियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सरकार के फैसले के बाद गेहूं की कीमत घट गई।

केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर लगातार बढ़ती गेहूं की कीमतों को संभालने के लिए बड़ा फैसला किया है। सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।

देश की खाद्य सुरक्षा और कीमतों पर काबू के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। पिछले कुछ दिनों से गेंहू की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, जिससे आम आदमी को परेशानियां बढ़ने लगी थी।

दूसरी ओर देश से बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात हो रहा था।

इस कारण घरेलू स्तर पर गेहूं के दाम बढ़ने लगे थे। सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाई गई रोक का तत्काल असर घरेलू स्तर पर भी देखने को मिला।

लक्ष्मीबाई अनाज मंडी के प्रभारी रमेश परमार ने बताया कि विदेशों में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का इंदौर की अनाज मंडी में भी असर पड़ा है।

यहां प्रति क्विंटल गेहूं के दाम में 100 रुपए की कमी तत्काल आई। मंडी प्रभारी के अनुसार आगामी दिनों में इसका असर ज्यादा नहीं पड़ेगा क्योंकि, किसान पहले से ही बड़ी मात्रा में गेहूं का विक्रय कर चुका है।

समर्थन मूल्य से ज्यादा पर ही गेहूं की बिक्री हो रही है।

किसानों का कहना है कि वे पिछले कुछ दिनों से लगातार ट्रैक्टर में गेहूं लेकर मंडी आ रहे है ओर गेहूं के उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं।

किसानों के अनुसार उनका गेहूं प्रति क्विंटल 2180 रुपए बिका! लेकिन आज गेहूं के दाम उन्हें काफी कम मिले और यह 2030 रुपए प्रति क्विंटल तक आ गया।

एक ओर किसान का कहना है कि इस बार गेहूं के काफी अच्छे दाम मिल रहे थे। लेकिन, सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के बाद गेहूं के दाम में प्रति क्विंटल 200 से 250 रुपए की कमी आई है।

किसान के अनुसार 2300 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला गेहूं मंडी में 2000 रुपए प्रति क्विंटल तक आ गया।

वार्षिक संग्रहण करने वाले उपभोक्ताओं को लाभ

गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध का लाभ सीधे उपभोक्ताओं को होगा। इन दिनों मंडियों में गेहूं की नई आवक के साथ ही वार्षिक संग्रहण करने वाले उपभोक्ताओं की गेहूं में जोरदार खरीदी चल रही है।

निर्यात के कारण कीमतें ऊँची होने से आटा-मैदा मिलों को भी महँगा गेहूं ख़रीदना पड़ रहा था। साथ ही ब्रेड, बिस्किट निर्माता भी गेहूं की बढ़ती कीमतों के कारण अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ाने की तैयारी में थे।

इन हालातों के चलते सरकार को आनन-फानन में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध का निर्णय लेना पड़ा। इससे कीमतों में कमी के साथ ही भाव में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया है।

सरकार को भी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी का लक्ष्य पाने में आसानी होगी। क्योंकि कीमतें बढ़ने से किसान समर्थन मूल्य की बजाए खुले बाजार में गेहूं बेच रहे थे।

मुफ़्त अनाज बाँटने से संकट बढ़ा

राशन दुकान से मुफ्त अनाज बांटने की सरकारी योजना से सरकार के गोदाम खाली हो गए थे।

ऐसे में रूस यूक्रेन युद्ध ने हालात बिगाड़ दिए, क्योंकि दोनों ही देश गेहूं और तिलहन निर्यात बाज़ार के बड़े खिलाड़ी थे, जो युद्ध के कारण अपना बाज़ार खो चुके है तो भारत इन उभरते बाजारों में अपना निर्यात बढ़ाना चाहता था।

अब घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत नहीं मिलेगी।

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बसंत पाल

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कारपोरेट, कमोडिटी मार्केट के जानकार हैं। इन विषयों पर तीन दशकों से निरंतर लेखन कर रहे हैं। आर्थिक मामलों के समीक्षक होने के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से भी सम्बद्ध रहे।
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