When Collector Became Poet: जब कलेक्टर बने कवि

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When Collector Became Poet: जब कलेक्टर बने कवि

When Collector Became Poet: जब कलेक्टर बने कवि

ग्वालियर: ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह कल रात ग्वालियर में कवि बन कर प्रस्तुत हुए। अवसर था अटल जी के सम्मान में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन। उनकी कविता के अंश थे:

मां कहती है तुझ में अभी भी बचपना है,
सुबह उठकर कमरे की झाड़ू लगाता हूं,
पानी भरता हूं, बर्तन धोता हूं और दाल चावल बनाता हूं,
लेकिन मां कहती है तुझ में अभी भी बचपना है।

यह कविता उन्होंने अपने ग्रेजुएशन के समय इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हुए जब वह एक कमरे के मकान में रहते थे और स्वयं अपने सारे कार्य करते थे, तब लिखी थी।

इस कविता को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने ग्वालियर में अटल कवि सम्मान के दौरान आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के वरिष्ठ कवियों के बीच प्रस्तुत की।
उपस्थित श्रोताओं ने उनकी इस कविता के काफी सराहना की।