जब शैला ने कहा “भैया”, तो अमजद बोले – “भाई मत कहा करो” ▪️प्रेम, सम्मान और सादगी से भरी रही अमजद खान और शैला की कहानी

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अमजद खान
जन्मदिन पर विशेष

जब शैला ने कहा “भैया”, तो अमजद बोले – “भाई मत कहा करो”
▪️प्रेम, सम्मान और सादगी से भरी रही अमजद खान और शैला की कहानी

Mumbai: बॉलीवुड में “गब्बर सिंह” के नाम से मशहूर अमजद खान जितने सशक्त कलाकार थे, उतने ही संवेदनशील इंसान भी थे। आज उनका जन्मदिन है। 12 नवंबर 1940 को जन्मे अमजद खान ने फिल्मी पर्दे पर जितनी गहराई से किरदारों को जिया, उतनी ही सादगी से उन्होंने अपनी असल जिंदगी का हर रिश्ता निभाया। उनकी और उनकी पत्नी शैला की प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं थी।

▪️पड़ोसी से शुरू हुई कहानी

एक समय था जब अमजद खान और शैला एक ही मोहल्ले में पड़ोसी थे। शैला तब स्कूल में पढ़ती थीं और अमजद कॉलेज के छात्र थे। शैला अक्सर उनके घर बैडमिंटन खेलने जाया करती थीं और उन्हें “भैया” कहकर बुलाती थीं। लेकिन अमजद के मन में धीरे-धीरे शैला के लिए खास एहसास पनपने लगे थे। एक दिन उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम मुझे भाई मत कहा करो।” यही पल था जब एक नई कहानी की नींव रखी गई।

▪️“शैला” नाम का मतलब और अमजद की मासूम ख्वाहिश

एक दिन स्कूल से लौट रही शैला को अमजद रास्ते में मिले। उन्होंने शैला से पूछा, “क्या तुम्हें अपने नाम का मतलब पता है?” शैला कुछ कह पातीं उससे पहले ही अमजद बोले, “शैला उसे कहते हैं जिसकी आंखें डार्क हों।” फिर मुस्कुराते हुए कहा, “तुम जल्दी से बड़ी हो जाओ, मैं तुमसे शादी करूंगा।” यह सुनकर शैला शर्मा गईं, लेकिन शायद उसी क्षण उनके दिल में भी अमजद के लिए एक अलग जगह बन गई।

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▪️जब अमजद ने भेजा शादी का प्रस्ताव

कुछ महीनों बाद अमजद खान ने शैला के घर शादी का प्रस्ताव भेजा, लेकिन उस समय शैला की उम्र सिर्फ 14 साल थी। उनके पिता, प्रसिद्ध कवि और पटकथा लेखक अख्तर-उल-ईमान ने यह कहते हुए रिश्ता ठुकरा दिया कि बेटी अभी पढ़ाई की उम्र में है। उन्होंने शैला को अलीगढ़ भेज दिया ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।

▪️चिट्ठियों से जुड़ा दिलों का रिश्ता

अलीगढ़ में रहने के दौरान भी शैला और अमजद के बीच का रिश्ता चिट्ठियों के जरिए गहराता गया। शैला को अलीगढ़ का माहौल रास नहीं आया और बीमार पड़ जाने के बाद वह मुंबई लौट आईं। उनके पिता ने उन्हें मुंबई के एक स्कूल में दाखिल कराया, जहां फ़ारसी भाषा एक विषय के रूप में थी।

▪️फिर से मिला वक्त साथ रहने का

संयोग ऐसा कि अमजद खान फ़ारसी भाषा में निपुण थे। शैला ने फ़ारसी की ट्यूशन अमजद से लेना शुरू किया। ट्यूशन के ये पल दोनों के लिए सुनहरे समय की तरह थे। दोनों के बीच पहले से मौजूद स्नेह अब प्यार में बदल चुका था।

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▪️1972 में अमजद और शैला बने हमसफ़र

जब परिवार को उनके रिश्ते की गहराई का अहसास हुआ, तो इस बार अमजद खान के परिवार की ओर से भेजे गए शादी के प्रस्ताव को शैला के पिता ने स्वीकार कर लिया। साल 1972 में दोनों ने शादी कर ली। अमजद और शैला तीन बच्चों- बेटों शादाब खान, सीमाब खान और बेटी अहलाम खान के माता-पिता बने।

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▪️कलाकार जिसने सिर्फ गब्बर नहीं, जिंदगी भी जी

अमजद खान ने अपने करियर में अनेक यादगार किरदार निभाए, लेकिन फिल्म शोले में “गब्बर सिंह” का रोल उन्हें अमर कर गया। वे सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान और समर्पित परिवारिक व्यक्ति थे।

आज उनके जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए यही कहा जा सकता है – अगर अमजद खान हमारे बीच होते, तो शायद और भी कई बेमिसाल किरदार रच चुके होते। लेकिन जो उन्होंने दिया, वही हिंदी सिनेमा के इतिहास में अमर रहेगा।