

Where Did 15 Lakhs Come from : न्यायमूर्ति के आवास पर भेजे गए थे 15 लाख, 17 साल बाद कल फैसला!
स्टेट हेड विक्रम सेन की विशेष रिपोर्ट
Chandigarh : यहां की एक अदालत कल शनिवार 29 मार्च को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति निर्मल यादव से जुड़े एक मामले में 17 साल बाद अपना फैसला सुनाएगी। अगस्त 2008 में एक अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के आवास पर कथित तौर पर 15 लाख रुपये की नकदी से भरा एक पैकेट पहुंचाया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार यह राशि हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के एक क्लर्क ने जस्टिस यादव को भेजी गई थी। लेकिन, दोनों जजों के नामों में समानता के कारण यह राशि गलती से जस्टिस कौर के घर पहुंच गई। 2010 में जस्टिस यादव को उत्तराखंड हाईकोर्ट ट्रांसफर किया गया। यहां से रिटायर होने से एक साल पहले उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। 2014 में विशेष अदालत ने पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। मुख्य आरोपी संजीव बंसल का दिसंबर 2016 में मोहाली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। इसके बाद जनवरी 2017 में उनके खिलाफ केस को समाप्त कर दिया गया था।
जस्टिस कौर ने 2016 में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी गई अपनी गवाही में उस घटना को याद करते हुए कहा कि मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि मैं एक सेब खा रही थी। मेरे पिता एक छोटी ड्रिंक के साथ बैठे थे। उसी समय मेरे प्यून अमरिक ने आकर कहा कि मैडम दिल्ली से कागज आए हैं। मैंने खोलकर देखने के लिए कहा। पैकेट खोलने में दिक्कत हो रही थी। इसके मुझे महसूस हुआ कि यह कागज नहीं हैं। मैंने तुरंत जल्दी से खोलने के लिए कहा। इस प्रक्रिया में उन्होंने पैकेट को फाड़ दिया और मुझे उसमें नोट दिखाई दिए। बिना एक पल गंवाए मैंने कहा, ‘पकड़ो, कौन लाया है?
संजीव बंसल ने कुछ ही देर में न्यायाधीश कौर को फोन करके बताया कि पैसे गलती से उनके घर पहुंचे थे और वास्तव में जस्टिस निर्मल यादव के लिए ये पैसे थे। हालांकि, उस समय तक न्यायाधीश कौर ने पुलिस को सूचना दे दी थी। अभियोजन पक्ष ने 84 गवाहों को सूचीबद्ध किया था, जिनमें से 69 गवाहों की गवाही दर्ज की गई। हालांकि, इस साल फरवरी में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने CBI को 12 गवाहों को फिर से जांचने की अनुमति दी थी।
कोर्ट ने CBI को चार सप्ताह के भीतर गवाहों की फिर से जांच करने का निर्देश दिया और ट्रायल कोर्ट से कहा कि कोई भी अनावश्यक स्थगन न दिया जाए। यह आदेश उस समय पारित किया गया जब मुकदमा अपने अंतिम चरण में था। अदालत ने 17 मार्च को अभियोजन साक्ष्य को बंद कर दिया। 26 मार्च को आरोपियों के बयानों की रिकॉर्डिंग का प्रक्रिया समाप्त हुई और 27 मार्च को अंतिम तर्क सुने गए।
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि यह धनराशि हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के एक क्लर्क द्वारा पहुंचाई गई थी, जिसने न्यायमूर्ति कौर को फोन करके बताया था कि यह धनराशि वास्तव में निर्मल सिंह नामक व्यक्ति के लिए थी, लेकिन गलती से उनके आवास पर पहुंच गई थी। न्यायाधीश निर्मल यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसके गर्ग नारवाना और अधिवक्ता वीजी नारवाना ने प्रतिनिधित्व किया। अन्य आरोपियों की ओर से अधिवक्ता एएस चौहल, बीएस रियार और हितेश पुरी ने प्रतिनिधित्व किया।
न्यायमूर्ति यादव (सेवानिवृत्त) ने अपने अंतिम बयान में कहा कि मैंने कोई अपराध नहीं किया है और पूरे मुकदमे के दौरान मेरे खिलाफ कोई भी ऐसा आरोप नहीं मिला। विशेष सीबीआई न्यायाधीश अलका मलिक की अदालत ने गुरुवार को न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में अंतिम दलीलें सुनी और मामले में फैसला 29 मार्च को सुनाने की तारीख तय की।